जब महिला दुकानदारों ने किया नग्न प्रदर्शन तो कैसे झुकी थी सरकार?
इम्फाल। 500 साल पुराना बाजार। इस बाजार को चलाती हैं करीब 4000 महिलाएं। इस बाजार की सभी दुकानदार महिलाएं हैं। यह एक संगठित बाजार है और इसमें सिर्फ विवाहित महिलाएं ही दुकानदार हो सकती हैं। यह बाजार कोरोना के कारण करीब 11 महीने से बंद था। अनुमान है कि बंदी के कारण करीब 3 हजार 800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। 8 फरवरी को ये बाजार फिर खुला है। महिलाओं द्वारा संचालित होने वाला यह एशिया का सबसे बड़ा बाजार है। यह बाजार महिलाओं के अद्मय साहस और उनकी कर्मठता का प्रतीक है। इस बाजार की महिलाओं ने आपने आत्मसम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों पर नग्न हो कर प्रदर्शन किया था जिसके बाद पूरे भारत में खलबली मच गयी थी। सरकार को आखिरकार इन महिलाओं के सामने झुकना पड़ा था।
500 साल पुराना मदर्स मार्केट
इस बाजार का नाम मदर्स मार्केट (इमा कैथल) है जो मणिपुर की राजधानी इम्फाल में आबाद है। 1533 में मणिपुर में राजा ने 'लालुप काबा' नामक प्रथा शुरू की थी जिसके तहत राज्य के सभी पुरुषों को अनिवार्य रूप से कृषि मजदूर और सैनिक के रूप में काम करना पड़ता था। यह पुरुषों के लिए बंधुआ मजदूरी की तरह था। इसकी वजह से घर चलाने की जिम्मेदारी औरतों पर पड़ गयी। उन्हें अपनी खेती, गृहस्थी खुद संभालनी पड़ती। पैसा कमाने के लिए रोजगार भी खुद ढूंढना पड़ता। कुछ महिलाओं ने दुकान लगानी शुरू की। फिर तो यह सिलसिला चल पड़ा। धीरे-धीरे महिलाओं द्वारा संचालित होने वाला एक बाजार विकसित हो गया। 1891 में ब्रिटिश सरकार ने आर्थिक सुधारों के तहत इस बाजार की व्यवस्था बदल दी। अंग्रेजों ने स्थानीय़ लोगों से बिना पूछे ही इस बाजार से अनाज का निर्यात शुरू कर दिया। इसके चलते मणिपुर में भूखमरी की नौबत आ गयी। महिला दुकानदारों ने इसका विरोध किया। अंग्रेजों ने इस बाजार में बाहरी लोगों को स्थापित करना चाहा लेकिन सफल नहीं हुए। भारत जब आजाद हुआ तो यह बाजार व्यवस्थित हुआ।
अनोखा बाजार
पूर्वोत्तर के मणिपुर को भारत का स्विटजरलैंड कहा जाता है। यहां घूमने के लिए बहुत सैलानी आते हैं। घूमने और खरीदारी के लिए मदर्स मार्केट एक पसंदीदा जगह है। यहां करीब चार हजार दुकानें हैं जिन्हें महिलाएं चलाती हैं। पुरुष यहां खरीदारी के लिए आ सकते हैं लेकिन वे दुकानदार नहीं बन सकते। यह एक संगठित बाजार है जिसको महिलाओं की एक समिति चलाती है। यहां मणिपुरी पोशाक, हस्तशिल्प की वस्तुएं, दुर्लभ जड़ी-बूटी, फल, खीने-पीने की चीजें, मछली समेत अनगिनत चीजें मिलती हैं। पिछले 21 मार्च को जब देश में लॉकडाउन लागू हुआ था तब इस बाजार को बंद कर दिया गया था। एक सर्वे में बताया गया है कि बाजार बंद होने से करीब 3 हजार 800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राज्य सरकार ने जरूरतमंद महिला दुकानदारों को कर्ज देने की घोषणा की है। उनके लाइसेंस फी में भी कटौती की गयी है। यह बाजार मणिपुर की अर्थव्यस्था की जान है। इसे फिर खड़ा करना एक बड़ी चुनौती है। यहां की महिल दुकानदारों का स्वभाव बहुत मिलनसार है। वे ग्राहकों के साथ विन्रमता से पेश आती हैं।
नारी शक्ति का प्रतीक
इम्फाल का मदर्स मार्केट नारी शक्ति का जीता-जागता नमूना है। मुस्कुरा कर ग्राहकों का स्वागत करने वाले ये महिलाएं इतनी संगठित हैं कि सरकारें भी झुक जाती हैं। 2003 में राज्य सरकार ने मदर्स मार्केट को हटा कर एक आधुनिक शॉपिंग कम्प्लेक्स बनाने का एलान किया था। लेकिन यहां की महिला दुकानदार अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाये रखने पर अड़ गयीं। उन्होंने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया। महिलाएं रात-दिन धरने पर बैठी रहीं। राज्य सरकार ने घबरा कर अपना फैसला वापस ले लिया। इसी तरह 2004 में यहां की महिला दुकानदारों ने पूरे देश के ये दिखाया था कि वे अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए किस हद तक जा सकती हैं। मणिपुर में अलगाववादी ताकतें भी सक्रिय हैं। अलगाववादी संगठनों को काबू में रखने के लिए भारत सरकार ने 1958 में अफ्सपा यानी सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) कानून बनाया था। इसके तहत मणिपुर के कंगला किले में असम राइफल्स की एक बटालियन तैनात की गयी थी।
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नग्न प्रदर्शन से झकझोरा था पूरे देश को
2004 में असम राइफल्स के जवानों ने एक मणिपुरी लड़की को इस आरोप में उठा लिया था कि उसके अलगाववादियों से संबंध हैं। इस लड़की पर भी आरोप था कि वह मणिपुर पीपल्स लिबरेशन आर्मी की सदस्य है। लड़की की गिरफ्तारी के अगले दिन खेतों में उसकी लाश मिली जिस पर गोलियों के कई निशान थे। स्थानीय लोगों का कहना था कि उससे रेप भी किया गया था। उसके शरीर की हालत देख कर रेप के संकेत मिल रहे थे। इसके बाद पूरे मणिपुर में गुस्सा फूट पड़ा। असम राइफ्लस का कहना था कि जब आरोपी महिला उसकी गिरफ्त से भागने की कोशिश करने लगी तो उसे गोली मार दी गयी। इस मामले के दोषिय़ों सजा दिलाने के लिए महिलाएं सड़क पर उतर गयीं। इस दौरान मदर्स मार्केंट की महिला दुकानदार किसी वीरांगना की तरह विरोध प्रदर्शन की अगुआई करने लगीं। जब केन्द्र सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगी तो घटना के पांचवें दिन महिलाओं ने एक अभूतपूर्व फैसला किया। रेप का विरोध करने और सरकार को झकझोरने के लिए 30 महिलाएं नग्न हो कर सड़क पर उतर गयीं। इनमें मदर्स मार्केट की 12 महिलाएं शामिल थीं। उन्होंने बिना कपड़े के सड़क पर मार्च किया। अमानुषिक क्रूरता के खिलाफ इस प्रदर्शन की देश और विदेश में गूंज हुई। केन्द्र सरकार के हाथ-पांव फूल गये। इसके कुछ दिनों के बाद असम राइफल्स की बटालियन को मणिपुर के कांगला जिले से हटा लिया गया। इस बाजार की करीब चार हजार महिलाएं जब इकट्ठा होती हैं तो उनकी ताकत के आगे सरकार को भी झुकना पड़ता है।
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