फसलों की देखभाल और आंदोलन कैसे चले साथ-साथ? किसानों ने निकाली ये तरकीब
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन आज 83वें दिन भी जारी रहा। विरोध प्रदर्शन के बीच गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने आज (16 फरवरी) बसंत पंचमी मनाई, इस दौरान विरोध स्थल पर किसानों ने मां सरस्वती की पूजा भी की। बता दें कि बसंत पंचमी का त्योहार सर्दियों से लेकर फसल की कटाई तक मौसम के बदलाव का प्रतीक है। गाजीपुर बॉर्डर पर बसंत पंचमी मनाने वाले किसानों ने ऐलान किया कि वह होली भी वहीं मानएंगे जिसके लिए तैयारियां चल रही हैं।
बता दें कि मौसम के बदलाव का मतलब यह भी है कि अब धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली के अलग-अलग धरना स्थलों पर बैठे आंदोलनकारी किसान अब अपनी फसलों की कटाई के लिए वापस जाना चाहते हैं, ऐसे में विरोध स्थलों पर किसानों की बड़ी संख्या का प्रबंधन कैसे किया जाए यह एक समस्या खड़ी हो गई है। इस चुनौती का सामना करने के लिए अब किसान यूनियनों एक हल निकाला है।
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किसान यूनियनों ने किसानों से कहा है कि विरोध स्थलों पर एक गांव से केवल 15 लोगों की आवश्यकता है ताकि बाकी लोग घर वापस जा सकें और कटाई के मौसम में अपनी फसलों की देखभाल कर सकें। साथ ही आंदोलन के संदेश को फैलाने में भी मदद कर सकें। योजना के अनुसार, किसान अपने गांव और विरोध स्थल के बीच की दूरी के आधार पर अलग-अलग समय पर किसान आंदोलन में अपने उपस्थिति दर्ज कराते रहेंगे। गाजीपुर बॉर्डर विरोध स्थल पर किसान नेता गुरमीत सिंह ने कहा, 'हमने तय किया है कि इस समय 4,000-5,000 से अधिक प्रदर्शनकारियों की आवश्यकता नहीं है। लेकिन किसानों को भी पता है कि सरकार हमें विरोध स्थल से हटाने की कोशिश कर सकती है, जैसे कि उसने 28 जनवरी को करने की कोशिश की थी।'