लालू-पप्पू के बेटे भला क्रिकेट टीम में पहुंचे कैसे?
नेताओं के बेटे अपने टैलेंट के बूते टीमों तक पहुंचते हैं या फिर अपने पिता के नाम के दम पर?
क्रिकेट और राजनीति अक्सर समारोह में एकसाथ नज़र आ जाते है लेकिन जब दोनों मिलते हैं तो बड़ी ख़बर बनती है.
ऐसी ही एक ख़बर मंगलवार को आई. ख़बर ये कि बिहार की राजनीति में दख़ल रखने वाले पप्पू यादव के बेटे सार्थक बिना कोई मैच खेले दिल्ली की टी20 टीम में चुन लिए गए हैं.
सार्थक ने इस सीज़न में एक भी मैच नहीं खेला है, इसके बावजूद उन्हें सय्यद मुश्ताक़ अली इंटर स्टेट टी20 प्रतियोगिता के लिए चुना गया है.
हैरानी की बात भी है कि उन्हें चुनते वक़्त उन्मुक्त चांद और हितेन दलाल जैसे खिलाड़ियों को नज़रअंदाज़ किया गया, जिन्होंने अंडर-23 टीम के लिए अच्छा स्कोर किया है.
पप्पू के बेटे सार्थक कर सवाल क्यों?
हालांकि, दिल्ली की टीम ने अपने फ़ैसले का बचाव किया है. कोर्ट की तरफ़ से नियुक्त DDCA के एडमिनिस्ट्रेटर जस्टिस विक्रमजीत सेन ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ''चयन समिति को एक ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी और हमें लगता है कि उन्होंने बिना किसी दबाव के अपना काम किया है.''
उन्होंने कहा, ''जिस लड़के (सार्थक) की बात हो रही है, उन्हें लेकर बातें शायद उनके पिता की वजह से हो रही. लेकिन मुझे ऐसी कोई सूचना नहीं कि चयनकर्ता किसी तरह के दबाव में थे.''
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अब नज़र डाल लेते हैं सार्थक के क्रिकेट करियर पर. साल 2016 में अपना पहला टी20 मैच खेलने वाले इस खिलाड़ी ने तीन मुक़ाबलों में महज़ 10 रन बनाए. सार्थक ने इकलौता लिस्ट ए मैच हिमाचल प्रदेश के ख़िलाफ़ पिछले साल खेला था जिसमें उन्होंने 37 रन बनाए थे और पांच चौके लगाए थे.
इस सीज़न में कोई मैच नहीं?
वो दिल्ली अंडर 16, दिल्ली अंडर 19 और नॉर्थ ज़ोन अंडर 16 से भी जुड़े रहे हैं लेकिन कभी उनके किसी पारी का ज़िक्र नहीं सुना. वो अंडर 23 टीम का हिस्सा भी रहे लेकिन कोई मैच खेलने पिच पर नहीं उतरे.
टी20 मैचों में सार्थक ने एक भी मैच में अपनी मौजूदगी का अहसास नहीं कराया है. साल 2016 में 2 जनवरी को रेलवे के ख़िलाफ़ टी20 मैच में उन्होंने तीन, 10 जनवरी को बड़ौदा के ख़िलाफ़ मैच में दो और साल 2017 में 31 जनवरी को हिमाचल प्रदेश के ख़िलाफ़ टी20 मैच में सिर्फ़ पांच रन बनाए थे.
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इस 'मामूली' रिकॉर्ड के बावजूद चेयरमैन ऑफ़ सेलेक्टर्स अतुल वासन इस फ़ैसले का बचाव कर रहे हैं.
ईएसपीएन क्रिकइंफ़ो के मुताबिक वासन ने कहा, ''मुझे आज तक पता ही नहीं था कि उनके पिता कौन हैं. हमने उन्हें पिछले साल चुना था. उन्होंने लिस्ट ए के एक मैच में 37 रन बनाए थे और एक (असल में तीन) टी20 मैच खेला था जिसमें पांचवें नंबर पर बल्लेबाज़ी की. वो ओपनर हैं. इस साल वो सीज़न की शुरुआत में खेलते लेकिन कुछ दिक्कतें थीं.''
अतुल वासन की सफ़ाई
उन्होंने कहा, ''जब हमने एक बार किसी पर फ़ैसला कर लिया तो उसे कामयाब या नाकाम होने का एक मौक़ा ज़रूर देना चाहिए. जब हमने कुणाल चंदेला को चुना था, तो उन्हें भी कोई नहीं जानता था. हमने अगर कुछ खिलाड़ियों पर दांव लगाया तो (सार्थक) रंजन को खेलने देना चाहिए.''
अतुल वासन कितने भी कारण गिना लें या कितनी सफ़ाई पेश करें, सीज़न में कोई मैच ना खेलने वाले खिलाड़ी की अचानक स्टेट की टी20 टीम में जगह देने को लेकर सवाल तो उठते रहेंगे. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ.
ख़ास बात ये है कि जब पहले ऐसा हुआ था तो भी टीम थी दिल्ली और खिलाड़ी के पिता भी बिहार के नेता थे. हम बात कर रहे हैं तेजस्वी यादव और उनके पिता लालू यादव. तेजस्वी उप-मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद इन दिनों लालू के जेल जाने के बाद विपक्ष के नेता के रूप में उभरने की कोशिश कर रहे हैं.
तेजस्वी यादव का क्रिकेट करियर
लेकिन कुछ साल पहले सीन कुछ और था. तेजस्वी यादव राजनीति नहीं बल्कि क्रिकेट के मैदान में कदम जमाने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन उन्हें कोई ख़ास कामयाबी नहीं मिली.
दिल्ली अंडर 19 टीम का हिस्सा रह चुके तेजस्वी ने अपने छोटे से करियर में प्रथम श्रेणी का एक मैच खेला जिसकी दोनों पारियों में वो मिलाकर 20 रन बना पाए. लिस्ट ए के दो मैचों में उन्हें खेलने का मौका मिला और उन्होंने कुल रन बनाए 14. तेजस्वी ने चार टी20 मैच भी खेले, जिसमें उनके बल्ले से तीन रन निकले.
अब बात बॉलिंग की. प्रथम श्रेणी और टी20 में उनके खाते में एक भी विकेट दर्ज नहीं है. जबकि लिस्ट ए में वो महज़ एक विकेट चटकाने में कामयाब रहे.
तेजस्वी का छोटा सा करियर
तेजस्वी का कारोबार कितना छोटा रहा, इसका अंदाज़ा इस बात से लगा लीजिए कि उन्होंने साल 2010 में 14 फ़रवरी को लिस्ट ए का अपना पहला मैच खेला था, जबकि 16 फ़रवरी को आख़िरी लिस्ट ए मैच खेला. साल 2009 में 20 अक्टूबर को उन्होंने पहला टी20 मैच खेला था और 24 अक्टूबर आख़िरी टी20 खेला.
लेकिन लालू के बेटे का क्रिकेट करियर यहीं ख़त्म नहीं हुआ. दिल्ली की टीम में जगह बनाने के बाद वो इंडियन प्रीमियर लीग में दिल्ली डेयरडेविल्स के खेमे में पहुंचने में भी कामयाब रहे. तेजस्वी ने 19 साल की उम्र में नेशनल स्तर पर क्रिकेट खेलना शुरू किया था लेकिन बात नहीं बनी.
साल 2009 में उन्हें आईपीएल में चुना गया और खरीदने वाली टीम थी दिल्ली डेयरडेविल्स. उस वक़्त उनके पिता लालू यादव देश के रेल मंत्री थे और राष्ट्रीय राजनीति में अच्छा-ख़ासा क़द रखते थे.
लेकिन कभी खेल नहीं पाए
ऐसी ख़बरें भी आईं थी कि साल 2009 से 2012 के बीच तेजस्वी को दिल्ली डेयरडेविल्स की ओर से 30-40 लाख रुपए का भुगतान किया गया, लेकिन वो अंतिम 11 खिलाड़ियों में कभी नहीं आए.
साल 2010 में भी वो आईपीएल का हिस्सा थे. ये और बात है कि तेजस्वी को आईपीएल के एक भी मैच में खेलने का मौक़ा नहीं मिला.
तभी एक बार लालू ने कहा भी था, ''मेरा बेटा तेजस्वी दिल्ली की टीम का हिस्सा है. लेकिन सिर्फ़ दूसरे खिलाड़ियों के लिए मैदान में पानी ले जाता है. उन लोगों ने तेजस्वी को कभी खिलाया ही नहीं.''