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सिक्किम में कैसे सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बन गई भाजपा?

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नई दिल्ली। अप्रैल में हुए सिक्किम विधानसभा चुनाव में भाजपा एक सीट भी नहीं जीत पाई थी। भाजपा को महज 1.62 प्रतिशत वोट मिले थे। वहां की मजबूत पार्टी एसडीएफ को इस चुनाव में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने 17 सीटें हासिल करते हुए हराया था। बीजेपी सिक्किम में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रही थी, लेकिन उसे कोई कामयाबी नहीं मिली थी। अब बीजेपी को सिक्किम में भी राजनीतिक जमीन मिलते हुए दिख रही है।

ऐसा कैसे हुआ

ऐसा कैसे हुआ

हालिया घटनाक्रम में सिक्किम में 25 सालों तक शासन करने वाली सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के 10 विधायक पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए। जिसके बाद एसडीएफ़ में अब इसके मुखिया पवन चामलिंग और दो अन्य विधायक रह गए हैं। जिससे अब बीजेपी संख्या में 10 हो गई है, और साथ ही वहां की मुख्य विपक्षी पार्टी भी। यह ध्यान देने की बात है कि साल 2016 में पूर्वोत्तर में जब बीजेपी कांग्रेस विरोधी गठबंधन बनाने की कोशिश में लगी हुई थी तब बीजेपी की कोशिशों में साथ देने वाले सहयोगी में चामलिंग ही प्रमुख थे। लेकिन हालिया विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन करने के प्रस्ताव को उन्होंने ख़ारिज कर दिया था।

दल-बदल विरोधी कानून

दल-बदल विरोधी कानून

एसडीएफ के विधायकों के बीजेपी में शामिल होने पर दल-बदल विरोधी कानून की चर्चा भी हो रही है। इस पर बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा है कि उनकी पार्टी में शामिल होने वाले विधायकों पर दल-बदल विरोधी कानून लागू नहीं होगा क्योंकि दो तिहाई से अधिक विधायकों ने पार्टी छोड़ा है और उनकी पार्टी में शामिल होने का निर्णय किया है। वैसे दल-बदल विरोधी कानून भी यही कहता है कि अगर किसी पार्टी के निर्वाचित दो तिहाई सदस्य एक साथ पार्टी छोड़ते हैं तो उनपर यह कानून लागू नहीं होगा।

सिक्किम में दल-बदल का इतिहास

सिक्किम में दल-बदल का इतिहास

सिक्किम में विधायकों का इस तरह दल बदल करना कोई नई बात नहीं है। ऐसा होता रहा है। सिक्किम के स्थानीय पार्टियों का राष्ट्रीय पार्टियों के साथ जाने का सिलसिला बहुत पुराना है। जब सिक्किम का भारत में विलय हुआ तो राज्य के पहले मुख्यमंत्री काज़ी लेंडुप दोरजी बने थे। उन्होंने अपनी पार्टी सिक्किम नेशनल कांग्रेस का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विलय कर दिया था। साल 1977 में जब केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी थी तो उनकी पार्टी ने फिर पाला बदला और जनता पार्टी के साथ हो गई थी। लेकिन 1994 में एसडीएफ़ के सत्ता में आने से राष्ट्रीय पार्टियों की राज्य की राजनीति में अहमियत लगभग ख़त्म हो गई है। पिछले चार साल को ही देखें तो सिक्किम में ये दूसरी बार है जब बड़ी संख्या में विधायकों ने दल बदल किया है। साल 2015 में एसकेएम के सात विधायक तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी एसडीएफ में शामिल हो गए थे।

हालांकि काफ़ी पहले से ही ऐसी चर्चा थी कि एसडीएफ के एमएलए बीजेपी में जा सकते हैं। लेकिन पुख्ता कुछ नहीं था। अब जब सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं तो सिक्किम में भाजपा रातोंरात शून्य से 10 तक जा पहुंची है।

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English summary
How did BJP become the largest opposition party in Sikkim?
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