कैसे दिल्ली के श्रीवास्तव ग्रुप के विदेशों में पाकिस्तान विरोधी प्रचार से जुड़े हैं तारः फ़ैक्ट चेक
ये वही श्रीवास्तव ग्रुप है जिसके इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर नॉन-अलाइंड स्ट्डीज़ ने इस साल अक्टूबर में 23 ईयू सांसदों के ग़ैर-सरकारी कश्मीर दौरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की सारी व्यवस्था की थी. यूरोपीय संघ ने रूस की ओर से फ़ैलाए जा रहे फ़ेक न्यूज़ से निपटने के लिए एक फ़ोरम बनाया है. ये यूरोप में फ़ेक प्रोपेगैंडा की पहचान करने के लिए काम कर रही है.
यूरोप के एक ग़ैर सरकारी फ़ैक्ट चेक एनजीओ ईयू डिसइंफ़ो लैब का दावा है कि एक भारतीय नेटवर्क दुनिया के 65 देशों में 265 'फ़ेक मीडिया ब्रांड' के ज़रिए पाकिस्तान विरोधी प्रोपेगैंडा फ़ैलाने का काम कर रहा है. इन सभी 'फ़ेक मीडिया आउटलेट्स' के तार दिल्ली के श्रीवास्तव ग्रुप से जुड़े हुए हैं.
ये वही श्रीवास्तव ग्रुप है जिसके इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर नॉन-अलाइंड स्ट्डीज़ (आईएआईएनएस) ने इस साल अक्टूबर में 23 ईयू सांसदों के ग़ैर-सरकारी कश्मीर दौरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की सारी व्यवस्था की थी.
यूरोपीय संघ ने रूस की ओर से फ़ैलाए जा रहे फ़ेक न्यूज़ से निपटने के लिए एक फ़ोरम बनाया है. ये स्वतंत्र फ़ैक्ट चेक यूरोप में फ़ेक प्रोपेगैंडा की पहचान करने के लिए काम कर रही है. इन सभी 265 आउटलेट का ज़्यादातर कंटेंट पाकिस्तान-विरोधी ख़बरों से भरा हुआ है.
ईयू की डिसइंफ़ो लैब ने अपनी परत-दर-परत पड़ताल में पाया है कि कैसे दिल्ली का श्रीवास्तव ग्रुप विदेश में चल रहे ''फ़ेक लोकल न्यूज़ आउटलेट'' से जुड़ा है.
डिसइंफ़ो लैब ने पाया कि कई लोग रूस की ओर से फैलाए जा रहे झूठ को ईपीटुडे वेबसाइट के हवाले से शेयर कर रहे हैं. इसके बाद लैब ने इस वेबसाइट की पड़ताल शुरू की तो सामने आया कि ये वेबसाइट भारत से जुड़ी हुई है. इसके बाद पड़ताल में एक के बाद एक कई विदेशी वेबसाइट सामने आईं जिनके तार दिल्ली से जुड़े मिले.
इस पूरे मामले पर श्रीवास्तव ग्रुप का रुख़ जानने के लिए हम आधिकारिक वेबसाइट पर दिए गए पते A2/59 सफ़दरजंग पहुंचे. इस पते पर एक घर मिला जिसके गेट पर खड़े सिक्योरिटी गार्ड ने हमे अंदर जाने से रोक दिया. उसने हमें बताया कि यहां कोई ऑफ़िस नहीं है. इस वेबसाइट पर कोई ईमेल आईडी नहीं दी गई है जिससे संपर्क किया जा सके. हमने दिए गए नंबर पर फोन किया तो जवाब मिला कि ''सर आपको फ़ोन कर लेंगे.''
इस मामले पर हमने विदेश मंत्रालय को एक मेल के ज़रिए पूछा है कि क्या ऐसी वेबसाइट्स की जानकारी मंत्रालय के पास है. और क्या किसी भी तरीके से इसका ताल्लुक भारत सरकार से है? ये रिपोर्ट लिखे जाने तक हमें मंत्रालय की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है.
श्रीवास्तव ग्रुप से कैसे जुड़े हैं वेबसाइट्स के तार?
9 अक्टूबर को ईयू के डिसइंफ़ो लैब ने ट्विटर पर सिलसिलेवार तरीके से बताया कि उसकी पड़ताल में कैसे भारत के श्रीवास्तव ग्रुप की भूमिका सामने आई.
• EPToday की ऑफ़िशियल वेबसाइट पर इसका पता ब्रसेल्स, बेल्जियम का दिया गया है. इसके बाद श्रीवास्तव ग्रुप की आधिकारिक वेबसाइट छानी. इस ग्रुप का मुख्यालय दिल्ली में है और एक कार्यालय बेल्जियम, स्विट्ज़रलैंड और कनाडा में है. खास बात ये है कि ईपी टुडे और श्रीवास्तव ग्रुप का बेल्जियम स्थित दफ़्तर एक ही पते पर है.
- डिसइंफ़ोलैब का कहना है कि ईपी टुडे की आईपी हिस्ट्री सर्च करने पर पता चला कि इसे उसी सर्वर पर होस्ट किया गया था जिस पर श्रीवास्तव ग्रुप को होस्ट किया गया था. यानी पहले दोनों ही वेबसाइट को एक सर्वर पर होस्ट किया गया था.
11/14 Meanwhile, we searched to find out which servers these domains are hosted on, and found that both https://t.co/Kqaz5FUerg and https://t.co/nyll4VNwHU were hosted on the same server https://t.co/ihD9IbIjsb.
— EU DisinfoLab🇪🇺 (@DisinfoEU) October 9, 2019
Another significant one here is https://t.co/odiHngS7S1. pic.twitter.com/lTyATYA1rx
- http://eptoday.com का ओरिजनल रजिस्ट्रेशन http://UIWNET.COM से जुड़ा हुआ था. UIWNET.COM और श्रीवास्तव ग्रुप का होस्ट सर्वर एक है.
- इस साल अक्टूबर में आई एक रिपोर्ट में बताया गया कि ईपीटुडे के फ़ेसबुक पेज को चार लोग दिल्ली से चला रहे है. जब बीबीसी मे इसकी पड़ताल की तो पाया कि इसका फ़ेसबुक पेज सस्पेंड किया जा चुका है.
- ये भारतीय ग्रुप जेनेवा में भी काम कर रहा है, जहां संयुक्त राष्ट्र की रिफ़्यूजी एजेंसी है. टाइम्स ऑफ़ जेनेवा (timesofgeneva.com) नाम से एक ऑनलाइन न्यूज़पेपर चलाया जा रहा है. इस वेबसाइट पर दावा किया जा रहा है कि ''35 साल से वो इस बिज़नेस में हैं.''
- टाइम्स ऑफ़ जेनेवा पर वहीं कटेंट है जो ईपीटुडे पर छापा जा रहा है. टाइम्स ऑफ़ जेनेवा की साइट पर वीडियो भी है, जो या तो पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के हालत की बात करता है या फिर गिलगित-बल्तिस्तान पर फ़ोकस है. टाइम्स ऑफ़ जेनेवा पर पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों के प्रदर्शन पर काफ़ी कवरेज की गई.
- डिसइंफ़ो लैब का दावा है कि टाइम्स ऑफ़ जेनेवा के सर्वर पर एक एनजीओ की वेबसाइट pakistaniwomen.org भी चल रही है. लैब की पड़ताल वेबसाइट से होते हुए यूरोपीय ऑर्गनाइजेशन फॉर पाकिस्तानी माइनॉरिटी (ईओपीएम) के ट्विटर हैंडल तक पहुंची. इस संस्था का पता, ईपीटुडे का पता और श्रीवास्तव ग्रुप के ब्रसेल्स दफ्तर का पता एक ही है.
- अब इस मामले में एक तीसरा प्लेयर सामने आता है 4NewsAgency. इसकी वेबसाइट पर दी जानकारी के मुताबिक ये बेल्जियम, स्विट्ज़रलैंड, थाइलैंड और अबू धाबी की चार न्यूज़ एजेंसियों का एक समूह है. हालांकि ये नहीं बताया गया है कि ये चार एजेंसियां हैं कौन-कौन सी.
- दावा है कि ये इसकी टीम 100 देशों में काम कर रही है लेकिन वेबसाइट पर बेल्जियम और जेनेवा के दो दफ़्तरों का ही पता दिया गया है. एक बात जो इनमें एक है कि ईपीटुडे, जेनेवा टाइम्स, 4newsagency और श्रीवास्तव ग्रुप इन सभी का दफ़्तर बेल्जियम और जेनेवा में ही है.
- 4newsagency, ईपीटुडे, जेनेवा टाइम्स और श्रीवास्तव ग्रुप के बीच लिंक को विस्तार से समझने के लिए बीबीसी ने डिसइंफ़ो लैब को मेल लिखा जिसके जवाब में पता चला कि ये सभी फ़ेक मीडिया आउटलेट इस एजेंसी से जुड़े हुए हैं. इन वेबसाइट पर एक ही तरह के कंटेंट का इस्तेमाल हो रहा है.
As usual, let’s start from the OSINT traces. Here’s what we found on the same IP address hosting Srivastava Group & co. (3/9) pic.twitter.com/2P8S3yYuO2
— EU DisinfoLab🇪🇺 (@DisinfoEU) November 8, 2019
- डिसइंफ़ो लैब का कहना है कि 21 ऐसे डोमेन हैं जो एक सर्वर से चल रहे हैं और इसमें श्रीवास्तव ग्रुप का नाम शामिल है.
- डिसइंफ़ो लैब को 2018 में लिखा गया एक लेटर मिला है. माडी शर्मा के ही ग़ैर सरकारी संगठन WESTT ने आधिकारिक रूप से यूरोपीय संसद के पूर्व अध्यक्ष एंटोनियो ताजानी को पत्र लिखा था कि वह पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों पर EP टुडे के ऑप-एड का समर्थन करें. माडी शर्मा के ही इस संगठन ने 23 ईयू सांसदों का भारत दौरा आयोजित किया था.
- बीबीसी ने अपनी पड़ताल में पाया है कि माडी शर्मा ईपीटुडे पर लेख लिखती हैं.
- एक ही नाम का शख़्स ईपीटुडे पर लेख भी लिख रहा है और माडी शर्मा के थिंकटैंक WESTT के लिए काम भी कर रहा है.
Well, what’s intriguing is that “Europe Desk Correspondents” or “EU Desk Officers” for EP Today have also worked for WESTT at the same time… (3/11) pic.twitter.com/gQsSFRBAlX
— EU DisinfoLab🇪🇺 (@DisinfoEU) November 6, 2019
ये वेबसाइट काम क्या करती हैं?
- डिसइंफ़ो लैब का दावा है कि ये '265 फ़ेक लोकल न्यूज़ आउटलेट' अंतराष्ट्रीय संस्थाओं को प्रभावित करने का काम करते हैं.
- अपनी विश्वसनीयता को मज़बूत बनाने के लिए एनजीओ को खास तरह के विरोध प्रदर्शनों की प्रेस रिलीज़ मुहैया करती हैं.
- ये सभी मीडिया आउटलेट एक दूसरे को कोट करते हैं, एक ही रिपोर्ट को अपने प्लेटफॉर्म पर छापते हैं. ये इस तरह किया जाता है कि पढ़ने वाला खबरों के साथ होने वाले हेर-फ़ेर को समझ ही नहीं पाता. इसका काम भारत के लिए अंतराष्ट्रीय सपोर्ट को बढ़ाना है.
- खबरों-संपादकीयों के ज़रिए लोगों के बीच पाकिस्तान की छवि को तोड़-मरोड़ कर पेश करना.
क्या है श्रीवास्तव ग्रुप?
श्रीवास्तव ग्रुप तब चर्चा में आया जब इस साल अक्टूबर में 23 ईयू सांसद ग़ैर सरकारी दौरे पर भारत आए. माडी शर्मा का एनजीओ विमेंस इकोनॉमिक एंड सोशल थिंक टैंक (WESTT) यूरोपीय सांसदों को भारत लेकर आया था. सांसदों को भेजे अपने निमंत्रण में कहा था कि आने जाने का ख़र्च भारत स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नॉन अलाइड स्टडीज़ (आईआईएनएस) उठाएगा.
इंस्टीट्यूट ऑफ नॉन अलाइड स्टडीज़ ग़ैर सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1980 में की गई थी. श्रीवास्तव ग्रुप की वेबसाइट पर बताया गया है कि आईआईएनएस उनकी संस्था है. इसके अलावा इस समूह के कुछ अखबार डेल्ही टाइम्स (अंग्रेजी), नई दिल्ली टाइम्स (हिंदी) भी छपते हैं. हालांकि इन पेपर का सर्कुलेशन कितना है इसकी कोई जानकारी वेबसाइट पर नहीं दी गई है.
द वायर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक श्रीवास्तव ग्रुप की कई कंपनियां हैं. लेकिन रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनी यानी RoC के पास दाखिल किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि इसकी ज़्यादतर कंपनी बिजनेस नहीं कर रही हैं. उनके पास पैसे ही नहीं हैं.
इस ग्रुप की कुल सात कंपनियां चल रही हैं, जिसके बोर्ड में नेहा श्रीवास्तव और अंकित श्रीवास्तव का नाम कॉमन है.
रिपोर्ट के मुताबिक A2N ब्रॉडकास्टिंग ने पिछले साल 2000 रुपये का घाटा दर्ज किया. इस कंपनी की कोई कमाई नहीं है. इसके पास 10 हज़ार रुपये का बैलेंस सिटी बैंक में है और 10 हज़ार ओरिएंटल बैंक में.
इस कंपनी के पास कोई बड़े मुनाफ़े का कारोबार नहीं है.
सफ़दरजंग एन्क्लेव में A2/59 पते को हमने खंगालना शुरू किया तो साल 2018 की इंडियन इस्लामिक कल्चर सेंटर की एक इलेक्टोरल लिस्ट मिली, जिसके मुताबिक़ इस पते पर अंकित श्रीवास्तव और नेहा श्रीवास्तव रहते हैं.
ये दोनों ही श्रीवास्तव समूह से जुड़े हैं. डॉ. अंकित श्रीवास्तव इस समूह के वाइस चेयरमैन है. वहीं, नेहा श्रीवास्तव वाइस चेयरपर्सन है. लेकिन इस पते पर एक दफ़्तर होने का दावा किया जा रहा है.
इसके बाद हमने इनके सोशल मीडिया अकाउंट खंगाले तो अंकित श्रीवास्तव की ट्विटर प्रोफ़ाइल मिली. इस प्रोफ़ाइल पर 10 हज़ार से ज्यादा फॉलोअर हैं और उन्होंने ख़ुद को न्यू डेल्ही टाइम्स का एडिटर इन चीफ़ बताया है. अंकित श्रीवास्तव की लिंक्डइन प्रोफ़ाइल पर भी यही जानकारी दी गई है.
कई कोशिशों के बाद भी श्रीवास्तव ग्रुप के किसी भी प्रतिनिधि से हमारी बात नहीं हो सकी.