इंडियन आर्मी को पाकिस्तान की जासूसी से बचाने के लिए आ रहा है 'बॉस'
चेन्नई में तैयार हुआ भारत ऑपरेटिंग सिस्टम (बॉस) जो इंडियन आर्मी को देगा साइबर सिक्योरिटी और बचाएगा जासूसी से। प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह के बाद डेवलप किया गया है सिस्टम।
चेन्नई। इंडियन आर्मी इन दिनों कभी जासूसी तो कभी दुश्मन मुल्क में बैठे हैकर्स के निशाने पर है और इस बात से कई लोग परेशान हैं। लेकिन अब परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इंडियन आर्मी के लिए ऐसा सिस्टम तैयार किया गया है जो इसे हैकिंग और जासूसी से बचाएगा और सिस्टम का नाम है बॉस। बॉस या भारत ऑपरेटिंग सिस्टम जिसे चेन्नई में डेवलप किया गया है और इसका मकसद आर्मी के कम्यूनिकेशन और इनफॉर्मेशन नेटवर्क की सुरक्षा करना है।
पीएम मोदी की सलाह पर तैयार हुआ बॉस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर इस सिस्टम को डेवलप किया गया है। बॉस दरअसल एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो पीएम मोदी की साइबर सिक्योरिटी को मजबूत करने की अपील को आगे बढ़ाता है। इंडियन आर्मी अभी इस सॉफ्टवेयर को टेस्ट कर रही है।
नॉर्दन कमांड पर बड़ा जिम्मा
आर्मी की नॉर्दन कमांड बॉस को अपने हेडक्वार्टर पर परख रही है और अगर नॉर्दन कमांड की ओर से इसे ग्रीन सिग्नल मिल जाता है तो फिर विदेश मदद की जगह देसी सॉफ्टवेयर हमारी रक्षा करेगा और आर्मी को पहले से ज्यादा सुरक्षा प्रदान करेगा। इस सॉफ्टवेयर को चेन्नई की सीडैक की ओर से डेवलप किया गया है और इसे आर्मी के लिए एक अहम सॉफ्टवेयर माना जा रहा है।
बॉस करेगा सेना की रक्षा
आज के दौर में साइबर सिक्योरिटी सबसे बड़ी चुनौती है और एक अहम पहल है और इंडियन आर्मी इन दिनों जासूसी और हैकिंग जैसी घटनाओं का सामना कर रही है। ऐसे में बॉस एक अहम पहल है जो सेना को पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों से बचाएगा और आर्मी के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बहुत ही जरूरी माना जा रहा है।
देसी सॉफ्टवेयर की ओर रुख करती इंडियन आर्मी
वर्तमान में आर्मी जिस सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर रही है वह पूरी तरह से विदेशी है और इसे असुरक्षित माना गया। इसलिए तय हुआ कि अब आर्मी पूरी तरह से देसी सॉफ्टवेयर का प्रयोग करेगी। भारत अब ट्राइ-सर्विसेज साइबर एजेंसी के साथ है तो साइबर सिक्योरिटी का जिम्मा संभालेगी। इस एजेंसी के पास रक्षात्मक और आक्रामक दोनों ही तरह की साइबर क्षमताएं हैं।
जब चीन की ओर से हुआ जासूसी का डर
करीब दो वर्षों पहले एक एडवाइजरी जारी की गई थी जिसे एयरफोर्स की ओर से जारी किया गया था। इसमें एयरफोर्स के ऑफिसर्स और जवानों को एक खास कंपनी का मोबाइल फोन प्रयोग न करने की सलाह दी गई थी जो कि चीन में बना था। इस एडवाइजरी का मकसद एयरफोर्स कर्मियों को जासूसी का शिकार बनने से बचाना था।