मोदी भ्रष्टाचार पर कैसे बोल सकते हैंः कुमारस्वामी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक रैली में कहा है कि बीजेपी की भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई ने सभी विपक्षी दलों को एक प्लेटफॉर्म पर ला दिया है .
कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी ने प्रधानमंत्री मोदी की इस टिप्पणी का मज़ाक उड़ाया है.
बीबीसी हिंदी से बातचीत में कुमारास्वामी ने कहा, "ऐसे कौन बात करता है? बीते चार सालों में उन्होंने किया क्या है? क्या देश में भ्रष्टाचार नहीं है? उनके अपने मंत्रालयों में लोग हैं जो भ्रष्टाचार में लिप्त है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक रैली में कहा है कि बीजेपी की भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई ने सभी विपक्षी दलों को एक प्लेटफॉर्म पर ला दिया है .
कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी ने प्रधानमंत्री मोदी की इस टिप्पणी का मज़ाक उड़ाया है.
बीबीसी हिंदी से बातचीत में कुमारास्वामी ने कहा, "ऐसे कौन बात करता है? बीते चार सालों में उन्होंने किया क्या है? क्या देश में भ्रष्टाचार नहीं है? उनके अपने मंत्रालयों में लोग हैं जो भ्रष्टाचार में लिप्त है."
कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा, "मोदी और अमित शाह के पास भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने का क्या नैतिक अधिकार है, उन्होंने तो ख़ुद येदियुरप्पा को मख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर पेश किया था? येदियुरप्पा कैसे भ्रष्टाचार कम करेंगे?"
ओडिशा के कटक में एक रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि 'काले धन और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ हमारी लड़ाई ने दुश्मनों को भी दोस्तों में बदल दिया है. इसी की वजह से वो सब एक साथ एक मंच पर आए हैं. जो एक दूसरे पर बड़े घोटालों के आरोप लगा रहे थे वो सब अब एकजुट हो रहे हैं.''
कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के गठबंधन की सरकार के शपथग्रहण में देश भर की 23 पार्टियों के नेता शामिल हुए थे इनमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के अलावा यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती भी थीं.
नरेंद्र मोदी ने अपनी टिप्पणी में विपक्षी नेताओं के इस जमावड़े को ही निशाने पर लिया था.
कुमारास्वामी कहते हैं, "कई क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं का एक साथ आना एक छोटा सा प्रयोग था जिसका मक़सद एक प्लेटफ़ॉर्म बनाना है न किसी नेता को व्यक्तिगत फ़ायदा पहुंचाना है. ये राष्ट्रहित में है. इसी से इस प्लेटफ़ॉर्म की कामयाबी भी तय होगी."
कुमारास्वामी ने कहा कि विपक्षी दलों को एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर एक साथ आना चाहिए न कि किसी एक नेता को मोदी के ख़िलाफ़ पेश करना चाहिए. यही बेहतर रहेगा.
उन्होंने कहा, "इस समय देश की अपनी समस्याएं हैं और राज्यों के सामने भी अपनी समस्याएं हैं. अगर हम एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत इन्हीं पर केंद्रित रहे तो लोग हम पर विश्वास करेंगे."
कुमारस्वामी इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि वो राष्ट्रीय स्तर के गठबंधन के सूत्रधार नहीं हो सकते हैं. वो कहते हैं, "इसके लिए मैं बहुत छोटा आदमी हूं. मेरे पिता (पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा) का अपना कद था और उनका सम्मान भी है. वो सभी को एक साथ लाने के सूत्रधार हो सकते हैं."
लेकिन जहां तक कर्नाटक का सवाल है, कुमारास्वामी आश्वस्त हैं कि साथ मिलकर काम किया जा सकता है. वो कहते हैं, "हमें साझा समझ से काम करना है, मुद्दे जो भी हों मैं उनका अपने स्तर पर समाधान करने की कोशिश करूंगा. इसके लिए देवेगौड़ा जी या सोनिया जी के पास जाने की ज़रूरत नहीं होगी."
कुमारास्वामी इस बात को लेकर भी स्पष्ट हैं कि सिर्फ़ किसानों के क़र्ज़ माफ़ करने से कृषि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान नहीं होगा. वो कहते हैं कि कर्ज़ माफ़ी सिर्फ़ एक अस्थायी उपाय है.
कर्नाटक में बीते तीन सालों से किसान सूखे का सामना कर रहे हैं और इसकी वजह से किसानों को 58 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का नुक़सान हुआ है.
वो कहते हैं, "जब उद्योग नाकाम हो जाते हैं तो सरकार उन्हें राहत देती हैं, ठीक ऐसी ही राहत हमें किसानों को देने की ज़रूरत है."
वो कहते हैं कि किसानों को न सिर्फ़ बेहतर बाज़ारों की ज़रूरत है बल्कि खेतीबाड़ी के तरीक़े बदलने की भी ज़रूरत है.
वो कहते हैं, "अगर हम खेती के पैटर्न को नहीं बदलेंगे तो हम निश्चित रूप से किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं कर सकेंगे. हमें इसके लिए किसानों को समझाना ही होगा."
कुमारास्वामी ने अपने चुनाव अभियान के दौरान मुख्यमंत्री बनने के 24 घंटों के भीतर किसानों के क़र्ज़ माफ़ करने का वादा किया था जो उन्होंने पूरा नहीं किया है.
बीजेपी इसके ख़िलाफ़ प्रदेश भर में बंद की तैयारी कर रही है.
कुमारास्वामी कहते हैं कि अगर उनकी पार्टी की अपने दम पर सरकार आई होती तो वो ये वादा ज़रूर पूरा करते अब इसके लिए उन्हें अपनी गठबंधन सहयोगी कांग्रेस से चर्चा करनी होगी.
हालांकि वो इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार के दौरान जो कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गईं थीं वो सब जारी रहेंगी. वो कहते हैं, "मैं व्यवस्था को बदलना नहीं चाहता, ग़रीबों के हित में जो भी कार्यक्रम चल रहे हैं वो चलते रहेंगे."