तो फोर्ड फाउंडेशन ने गैरकानूनी गतिविधि के लिए दिया तीस्ता की संस्था को फंड
नई दिल्ली। क्या किसी के मोबाइल फोन पर आने वाले फोन की जानकारी किसी को भी दी जा सकती है। क्या फोर्ड फाउंडेशन सबरंग फाउंडेशन के उस दावे को अपनी स्वीकृति देता है जिसमें इसने 5 लाख मोबाइल कॉल को विश्लेषण किया है।
फोन कॉल का ब्योरा हासिल करके उसका विश्लेषण करना खुफिया विभाग का काम होता है और गृहमंत्रालय की निगरानी में पुलिस की अनुमति के बाद ही इसे किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेशम इस बात को कहा है कि किसी के फोन को गृहमंत्रालय और पुलिस की इजाजत के बिना ट्रेस नहीं किया जा सकता है।
गैरकानूनी
काम
के
लिए
फोर्ड
देता
है
डोनेशन
सबरंग ट्रस्ट पर पर गुजरात सरकार ने आरोप लगाया है कि इस ट्रस्ट को फोर्ड फाउंडेशन ने बड़ा डोनेशन दिया है लेकिन इस संस्था ने अपने डोनेशन के बारे विस्तृत जानकारी नहीं दी है।
वहीं गुजरात सरकार ने अपनी जांच में कहा है कि ट्रस्ट ने फोन कॉल्स पर निगरानी रखने के लिए 5 लाख रुपए खर्च किये हैं। यही नहीं इस ट्रस्ट ने गुजरात दंगों के दौरान 5 लाख फोन काल पर निगरानी रखी थी।
गुजरात सरकार का कहना है कि यह गैरकानूनी है। ऐसे में फोर्ड फाउंडेशन गैरकानूनी गतिविधि के लिए कैसे पैसा दे सकता है। गृहमंत्रालय का यह अहम आरोप है तीस्ता सीतलवाड़ की संस्था सबरंग ट्रस्ट पर है।
तीस्ता
सीतलवाड़
की
संस्था
ने
नहीं
दिया
फंड
का
सही
ब्योरा
सबरंग ट्रस्ट का कहना है कि उसने अपने डोनेशन के 80 फीसदी में से 75 फीसदी डोनेशन ऑफिस के काम पर खर्च किया है। ट्रस्ट के अकाउंट के अनुसार 2.5 लाख डॉलर ऑफिस के काम के प्रोजेक्ट पर खर्च किये गये हैं। वहीं ट्रस्ट इस बात की सही जानकारी देने में विफल रहा है कि ऑफिस के किस प्रोजेक्ट पर इतने रुपए खर्च किये गये हैं।
देश
की
सेना
को
बदनाम
करने
का
आरोप
गुजरात
सरकार
का
फोर्ड
फाउंडेशन
और
सबरंग
ट्रस्ट
पर
यह
भी
आरोप
है
कि
इसने
देश
की
सेना
को
बदनाम
करने
की
साजिश
की।
सरकार
का
आरोप
है
कि
इन
संस्थाओं
ने
दंगों
को
रोकने
के
लिए
कुछ
भी
नहीं
किया
बल्कि
उसे
और
भड़काने
की
कोशिश
की।
देश की छवि को सांप्रदायिक दिखाने की साजिश
यही नहीं सरकार का यह भी आरोप है कि इस संस्था ने पाकिस्तान के मानवाधिकार के सदस्यों को भारत आने की अनुमति दी और उनके साथ समझौता किया। यही नहीं पाक से आये इन लोगों ने भारत में सांप्रदायिक तनाव को काफी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया था।