राफेल डील पर खड़गे का सवाल- पूरा का पूरा पैरा टाइपो कैसे हो सकता है
नई दिल्ली। राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर सरकार के हलफनामे में व्याकरण संबंधी कथित अशुद्धियों को लेकर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा पूरा पैरा टाइपो कैसे हो सकतै हैं? खड़गे ने कहा कि हम एक जेपीसी चाहते हैं क्योंकि जब संसद सदस्य बैठेंगे और फाइलों को देखेंगे तब जाकर सब कुछ जानने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि बोफोर्स और 2जी मामलों में भी एक जेपीसी का गठन किया गया था।
खड़गे ने कहा कि टाइपो कैसे हो सकता है? अगर यह एक शब्द होता तो यह समझा जा सकता था, लेकिन पूरा पैरा टाइपो नहीं हो सकता है। पिछले शनिवार को रक्षा मंत्रालय ने राफले जेट लड़ाकू सौदे पर अपने आदेश में अनुच्छेद के सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर किया था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील पर सरकार को क्लीन चिट देते हुए सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि 5 9,000 करोड़ की इस डील के लिए सरकार ने उचित प्रक्रिया का पालन किया है। इसलिए सीबीआई जैसे किसी जांच के आदेश की कोई जरूरत नहीं है।
इस
बात
को
लेकर
है
खड़ा
हुआ
विवाद
सुप्रीम
कोर्ट
ने
पेज
नंबर
21
में
कहा
है
कि
सरकार
ने
सीएजी
के
साथ
राफेल
की
कीमतों
का
विवरण
साझा
किया
है
और
सीएजी
अपनी
रिपोर्ट
को
पहले
ही
अंतिम
रूप
दे
चुका
है
और
उसे
संसद
की
लोक
लेखा
समिति
से
साझा
किया
जा
चुका
है।
इसके
अलावा
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कीमत
पर
कहा
है
कि
इससे
जुड़े
विवरण
कॉम्पट्रोलर
ऐंड
ऑडिटर
जनरल
से
साझा
किए
जा
चुके
हैं
और
सीएजी
की
रिपोर्ट
की
जांच-परख
पीएसी
कर
चुकी
है।
लेकिन
विपक्षी
नेताओं
का
कहना
है
कि
CAG
की
रिपोर्ट
को
अभी
अंतिम
रूप
दिया
जाना
बाकी
है
और
जनवरी
के
आखिर
तक
यह
पूरी
हो
सकती
है।
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