Citizenship Amendment Bill: BJD, JDU के वोट ने राज्यसभा में पलट दिया पासा
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा में पास किए जाने के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया गया जहां इसे पास कर दिया गया। लेकिन जब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया उससे पहले ही कहा जा रहा था कि भाजपा इस बिल को राज्यसभा में भी पास करा लेगी। जिस तरह से लोकसभा में कुछ गैर एनडीए दलों ने बिल का समर्थन किया उसके बाद साफ था कि इस बिल को राज्यसभा में भी आसानी से पास कराया जा सकता है। बता दें कि इस बिल के जरिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन व पारसी लोगों को नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है।
गैर एनडीए दलों ने भी किया वोट
इस बिल को राज्यसभा में पास कराने मे भाजपा का जनता दल युनाइटेड के अलावा गैर एनडीए दल बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस, तेलगु देशम पार्टी ने भी समर्थन किया। जिसके चलते इस बिल को राज्यसभा में कुल 125 वोट मिले। वहीं इस बिल के विरोध में 105 वोट पड़े। इस बिल को पास कराने में जदयू और बीजेडी के वोट सबसे अहम साबित हुए जिसके चलते यह बिल भाजपा पास कराने में सफल रही। दोनों दलों के सांसदों की बात करें तो उनके खाते में 11 सांसद हैं, दोनो ही दलों ने लोकसभा में भी इस बिल का समर्थन किया था। माना जा रहा था कि जदयू राज्यसभा में अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
नीतीश ने भी किया समर्थन
नीतीश कुमार इससे पहले नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजेंस और कैब को लेकर विपक्ष के साथ थे, बावजूद इसके कि वह बिहार में भाजपा के साथ हैं। सोमवार को जब जदयू ने लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया और इसके पक्ष में वोट दिया तो पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने इसका विरोध किया था और बिल के पास होने पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी, उन्होने इस बिल को धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला बताया था। लेकिन जदयू के सांसदों ने साफ किया था कि पार्टी के भीतर किसी भी तरह के भ्रम की स्थिति नहीं है। खुद नीतीश कुमार ने इस मसले पर चुप्पी साधे रखी, जिससे साफ हो गया कि जदयू राज्यसभा में इस बिल का समर्थन करेगी।
AIADMK ने भी किया समर्थन
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्ने्र कझगम जिसने इस बिल का समर्थन किया था उसे काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था, लेकिन बावजूद इसके लिए पार्टी के 11 सांसदों ने बिल के समर्थन में अपना वोट दिया। दरअसल इस बिल में श्रीलंका के विस्थापित तमिल शरणार्थियों को नहीं शामिल किया गया, जिसके चलते लोग इस बिल का विरोध कर रहे थे, लेकिन एआईएडीएमके ने इस बिल का समर्थन किया था, जिसकी वजह उस आलोचना का सामना करना पड़ा था।
शिवसेना ने भी खेला दांव
वहीं शिवसेना की बात करें तो पार्टी ने लोकसभा में इस बिल का लोकसभा में समर्थन किया था। लेकिन राज्यसभा में पार्टी ने सदन से वॉकआउट कर लिया और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। जिसकी वजह से सरकार को समर्थन के लिए सिर्फ 121 वोटों की ही जरूरत थी। इससे पहले सदन ने इस बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजे जाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। 124 सदस्यों ने इसके खिलाफ वोट किया। जबकि 99 लोगों ने इसके पक्ष में वोट किया।