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डील पर दंगल: कांग्रेस के ही नक्‍शेकदम पर चल रही है बीजेपी, जानिए कैसे

कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने फ्रांस के साथ राफेल फाइटर जेट के लिए हुई 58,000 करोड़ की डील पर देश को अंधेरे में रख रही है। रक्षा मंत्रालय की मानें तो सरकार सिर्फ पूर्व में यूपीए की ओर से गोपनीयता के उस प्रावधान का पालन कर रही है जो 2008 में फ्रांस और भारत के बीच हुए समझौते के तहत अमल मेंं आया था।

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नई दिल्‍ली। कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार ने फ्रांस के साथ राफेल फाइटर जेट के लिए हुई 58,000 करोड़ की डील पर देश को अंधेरे में रख रही है। उनका कहना है कि सरकार इस डील से जुड़ी जानकारियों को संसद में साझा नहीं कर रही है। वहीं रक्षा मंत्रालय ने भी साफ कर दिया है कि डील को लेकर जो गोपनीयता बरती जा रही है वह दरअसल डील का हिस्‍सा है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतामरण की मानें तो गोपनीयता बरतने का सरकार का फैसला सही है और कांग्रेस तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है। लेकिन रक्षा मंत्रालय का कहना है कि वह यूपीए सरकार के ही नियम का पालन कर रही है।

सिंतबर में हुई डील

सिंतबर में हुई डील

भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ एक इंटर-गर्वनमेंट समझौते को साइन किया था। इसके तहत 36 राफेल डील खरीदने का सौदा हुआ था। इस डील के साइन होने के करीब एक साल के अंदर पीएम मोदी ने फ्रांस का दौरा किया था। इन फाइटर जेट्स की डिलीवरी सिंतबर 2019 से भारत को शुरू होगी

देश की सुरक्षा को खतरा

देश की सुरक्षा को खतरा

रक्षा मंत्रालय की मानें तो सरकार सिर्फ पूर्व में यूपीए सरकार की ओर से गोपनीयता के उसी प्रावधान का पालन कर रही है जो साल 2008 में फ्रांस और भारत के बीच हुए समझौते के तहत अमल में आया था।रक्षा मंत्रालय के मुताबिक सटीक कीमतों और दूसरी जरूरी जानकारियों को साझा करने का मतलब वेपेन सिस्‍टम से जुड़ी दूसरी जानकारियों को भी सार्वजनिक करना है। अगर ऐसा हुआ तो फिर रक्षा तैयारियां प्रभावित होंगी और इससे देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। ।

क्‍या किया था यूपीए ने

क्‍या किया था यूपीए ने

एक मीडिया रिपोर्ट के पास मौजूद कुछ खास डॉक्‍यूमेंट्स से भी इस बात का पता लगता है कि साल 2005 और 2008 में तत्‍तकालीन रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी और एके एंटोनी ने भी इस डील से जुड़ी व्‍यावसायिक जानकारियों का साझा करने से मना कर दिया था। साल 2005 में जब प्रणब मुखर्जी रक्षा मंत्री थे तो उनकी पार्टी के ही सांसद जर्नादन पुजारी ने दूसरे देशों से होने वाली रक्षा खरीद से जुड़ा सवाल पूछा था और मुखर्जी ने राष्‍ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए कोई भी जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया था।

 नहीं मिली किसी को कोई जानकारी

नहीं मिली किसी को कोई जानकारी

इससे तीन वर्ष बाद ही जब एके एंटोनी रक्षा मंत्री बने तो दिसंबर 2008 में उन्‍होंने भी यही रुख अपनाया। सीपीएम के दो सांसदों प्रशांता चटर्जी और मोहम्‍मद अमीन ने 10 बड़ी रक्षा आपूर्ति से जुड़ी जानकारियां हासिल करनी चाही। एंटोनी ने बताया कि भारत जिन बड़े देशों से हथियार खरीदता है उसमें अमेरिका, रूस, यूके, फ्रांस, जर्मनी और इजरायल शामिल हैं। लेकिन उन्‍होंने भी इससे ज्‍यादा जानकारियां देने से साफ इनकार कर दिया। इसी तरह से जब साल 2007 में सीताराम येचुरी ने रक्षा डील से जुड़ी कुछ जानक‍ारियां हासिल करनी चा‍हीं तो उन्‍हें भी इसी तरह का जवाब मिला। येचुरी ने एंटोनी से इजरायल से खरीदे जाने वाली मिसाइल की कीमतों के बारे में पूछा था।

राहुल लगातार हमलावर

राहुल लगातार हमलावर

वहीं विशेषज्ञों का भी कहना है कि गोपनीयता का प्रावधान खरीदार और विक्रेता के बीच कीमतों से जुड़ा होता है, किसी भी सरकार के लिए रक्षा खरीद से जुड़ी जानकारियों को साझा करना असंभव कर देता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि पूरी डिफेंस इंडस्‍ट्री अलग-अलग कीमतों पर काम करती है। राहुल गांधी साल 2016 से ही केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 36 राफेल फाइटर जेट के लिए हुई डील को लेकर हमलावर रहे हैं। राहुल गांधी ने पीएम मोदी से पूछा था कि वह यह बताएं कि राफेल के लिए कितनी कीमत अदा की गई है।राहुल का कहना है कि सरकार की चुप्‍पी यह बताने के लिए काफी है कि डील में कुछ गड़बड़ है।

English summary
Not just BJP but Congress too had taken the same stand and refused to give details of few defence deals.
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