क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

मोदी के शपथ ग्रहण में बिम्सटेक की शिरकत, जानिए कैसे होगा देश को फायदा?

Google Oneindia News

बेंगलुरु। देश की सत्रहवीं लोकसभा का गठन होने जा रहा है और नरेंद्र मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। इस समारोह में दुनिया के कई देशों के प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं। लेकिन उनमें सबसे ज्यादा खास होंगे बिम्‍सटेक देशों के प्रतिनिधि। जी हां, क्योंकि आने वाले वर्षों में इन देशों के साथ व्यापारिक संबंध और भी ज्यादा मजबूत होने वाले हैं। और तो और जल्‍द ही भारत बिजली के निर्यात में तेजी से आगे बढ़ सकता है।

Narendra Modi, Amit Shah

कार्बन कॉपी की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2045 तक दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच बिजली का वार्षिक आयात-निर्यात 65000 मेगावॉट से 95000 मेगवॉट के बीच होगा। विश्‍व बैंक और इंटीग्रेटेड रिसर्च एंड ऐक्शन फॉर डेवलपमेंट का अनुमान है कि दक्षिण एशियाई देशों की अर्थव्‍यवस्‍था 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ती रहेगी। ऐसे में बिजली का आयात-निर्यात 60 हजार मेगावॉट तक पहुंच सकता है। जबकि विश्‍वबैंक की ही एक और रिपोर्ट का अनुमान 95 हजार मेगावॉट तक का है।

सीबीईटी की होगी अहम भूमिका

क्रॉस बॉर्डर इलेक्ट्रिसिटी ट्रेड (सीबीईटी) वह निकाय है जो पड़ोसी देशों में बिजली के आयात-निर्यात की दिशा में कार्यरत है। आने वाले समय में सीबीईटी की भूमिका बेहद अहम होने वाली है, क्योंकि इसी के जरिये भारत अक्षय ऊर्जा निर्यात करता है। 2022 तक भारत का टार्गेट 175 जीगावॉट बिजली सौर्य एवं पवन ऊर्जा संयंत्रों के माध्‍यम से पैदा करने का है। यदि यह टार्गेट पूरा होता है तो वह भारत की कुल क्षमता यानी करीब 356 गीगावॉट का 50 फीसदी होगा। और तो और 2027 तक भारत का लक्ष्‍य है कि वह 275 गीगावॉट ऊर्जा केवल अक्षय ऊर्जा संयंत्रों से ही पैदा करे।

BIMSTEC

ग्लोबल एनर्जी मॉनीटर की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में भारत ने कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को 3 गीगावॉट की अनुमति दी थी। जबकि 2008 से 2012 के बीच यह 31 गीगावॉट थी और 2013 से 2017 के बीच 13 गीगावॉट। लगातार दूसरे वर्ष भारत ने ऊष्मीय संयंत्र के मुकाबले सोलर प्लांट पर अधिक बल दिया है।

चीन को हो सकता है नुकसान

आपको बता दें कि अगर भारत अपने प्लान में कायमाब हुआ, तो चीन हलकान हो सकता है। असल में चीन ने कोयला आधारित पावर प्लांट के निर्माण के लिये 20 बिलियन डॉलर के प्रोजेक्‍ट पर मुहर लगा दी है। चीन आने वाले समय में पड़ोसी देशों को बिजली निर्यात करने की योजना में है, जिससे उसे भारी मुनाफा हो सकता है। लेकिन अगर भारत के बिम्सटेक देशों से संबंध अच्‍छे रहे और पड़ोसी देशों को बिजली निर्यात का टार्गेट पूरा हुआ तो आने वाले समय में पूरे दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया में चीन नहीं बल्कि भारत का बोलबाला होगा।

आपको बता दें कि पेरिस एग्रीमेंट के अनुसार कोई भी देश 2020 के बाद नया कोयला आधारित बिजली संयंत्र स्‍थापित नहीं कर सकता। यही कारण है कि हाल ही में पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी 1320 मेगावॉट के रहीम यार खान पावर प्रोजेक्‍ट को निरस्‍त कर दिया। पाकिस्‍तान भी बहुत जल्‍द अक्षय ऊर्जा के नये संयंत्र स्‍थापित करने पर नई योजना लाने की तैयारी में है।

English summary
Top officials and leaders from BIMSTEC countries are being the part of Prime Minister Narendra Modi’s swearing in ceremony. This could open new doors for India in terms of electricity trade.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X