क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

महामारी में कैसे पढ़ाई कर रहे हैं पाकिस्तान के बच्चे ?

कोरोना वायरस की वजह से पाकिस्तान के तीन लाख से ज़्यादा स्कूल मार्च से ही बंद हैं. कई छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ने की सुविधा नहीं है.

By महरीन ज़हरा-मलिक
Google Oneindia News
महामारी में कैसे पढ़ाई कर रहे हैं पाकिस्तान के बच्चे?

कोरोना वायरस ने पाकिस्तान की आवाम में डिजिटल विभाजन को बेपर्दा कर दिया है. क्या इससे तालीम में तकनीक के भविष्य पर कोई सार्थक बहस शुरू हो पाएगी?

12 साल की खैरुन्निसा हुसैन सप्ताह में पांच दिन सुबह 9 बजे ज़ूम कॉन्फ्रेंस में लॉग-इन करती है. चार घंटे तक वह गणित, विज्ञान और फ्रेंच की वर्कशीट पर काम करती है.

पिछले महीने आर्ट असाइनमेंट में उसे ईमेल पर डैमियन हर्स्ट की पेंटिंग भेजी गई थी जिसकी नकल बनानी थी. हर मंगलवार को उसकी पीई टीचर योगा के वीडियो लिंक भेजती हैं ताकि छात्र उसका अभ्यास कर सकें.

कोरोना वायरस की वजह से पाकिस्तान के तीन लाख से ज़्यादा स्कूल मार्च से ही बंद हैं. लाहौर में हुसैन के स्कूल के छात्र भाग्यशाली हैं कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उनकी कक्षाएं चल रही हैं. पाकिस्तान के लाखों छात्र स्मार्टफोन और इंटरनेट से वंचित हैं.

कराची के इंस्टीट्यूट ऑफ़ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में अर्थशास्त्र पढ़ने वाले अतीक़ अली यूनिवर्सिटी बंद होने के बाद अपने मूल शहर तुरबत चले गए थे.

वहां वायरलेस इंटरनेट या 3जी/4जी सेवा नहीं है. रोजाना 50 डिग्री तक के तापमान में वह एक घंटा बाइक चलाकर शहर के बाहर अपने दोस्त के यहां जाते हैं और लेक्चर डाउनलोड करते हैं.

फोन इंटरव्यू पर अली कहते हैं, "वहां पहुंचने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है, फिर कभी बिजली नहीं रहती कभी इंटरनेट डाउन रहता है."

पाकिस्तान में स्कूली तालीम

महामारी में कैसे पढ़ाई कर रहे हैं पाकिस्तान के बच्चे?

पाकिस्तान के 7 करोड़ बच्चों में से करीब 2.28 करोड़ बच्चे स्कूल से बाहर हैं. कोरोना वायरस ने उनके बीच तकनीक की ग़ैर-बराबरी को उजागर कर दिया है.

पाकिस्तान सरकार की वरिष्ठ शिक्षा सलाहकार उम्बरीन आरिफ़ का मानना है कि स्कूल और यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले 5 करोड़ से अधिक छात्रों के पीछे छूट जाने का जोखिम है.

पिछले महीने यूनिवर्सिटी में ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सैकड़ों छात्रों ने प्रदर्शन किए थे. ख़राब इंटरनेट सेवा बड़ी समस्या है, ख़ासकर बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और गिलगित-बाल्तिस्तान जैसे दूर-दराज के प्रांतों में.

पाकिस्तान के बड़े शहरों से बाहर होम ब्रॉडबैंड महंगा है. स्मार्टफोन की पहुंच 51 फीसदी है. पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण के मुताबिक स्कूल जाने की उम्र के सिर्फ़ 10 लाख बच्चों की ही डिजिटल उपकरणों और बैंडविड्थ तक पहुंच है.

टेलीविजन पर पढ़ाई

पाकिस्तान के करीब 4 करोड़ बच्चे टेलीविजन देखते हैं. इसीलिए सरकार ने दूरस्थ शिक्षा रणनीति में टीवी को शामिल किया है और टेलीस्कूल नाम से अलग चैनल बनाया है.

स्कूल बंद होने के दो हफ़्ते बाद ही 13 अप्रैल को इसकी शुरुआत हुई थी. इसे सरकारी पीटीवी होम पर चलाया जाता है जिसे 5.4 करोड़ लोग देखते हैं. टेलीस्कूल पर पहली से लेकर 12वीं कक्षा तक के पाठ दिखाए जाते हैं जिसे पाकिस्तान की चार एडटेक कंपनियों ने तैयार किया है.

मई के अंत में इसमें ढाई लाख दर्शकों के साथ टेक्स्ट मैसेजिंग सिस्टम भी जोड़ा गया ताकि अभिभावक और छात्र शिक्षकों से जुड़ सकें. पाकिस्तान के शिक्षा मंत्री शफ़क़त महमूद ने बीबीसी को बताया कि सरकार एक रेडियो स्कूल भी खोलने पर काम कर रही है ताकि दूरदराज के इलाकों तक पहुंच बने.

डिजिटल सामग्री के साथ ई-लर्निंग पोर्टल और वंचित इलाकों के लिए लोकल एरिया नेटवर्क सिस्टम पर काम चल रहा है. प्रधानमंत्री को "छात्र राहत पैकेज" शुरू करने का प्रस्ताव दिया गया है जिसमें सस्ते इंटरनेट पैकेज देने और स्मार्टफोन से शुल्क घटाने के उपाय शामिल हैं.

महामारी में कैसे पढ़ाई कर रहे हैं पाकिस्तान के बच्चे?

आरिफ़ का कहना है कि टेलीस्कूल की शुरुआत वर्ल्ड बैंक से मिली 50 लाख डॉलर की मदद से की गई. विकासशील देशों में बहुस्तरीय शैक्षणिक प्लेटफॉर्म के लिए समर्पित ग्लोबल पार्टनरशिप फ़ॉर एजुकेशन से दो करोड़ डॉलर की मदद ली गई है.

पिछड़े जिलों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वर्ल्ड बैंक से 20 करोड़ डॉलर की दीर्घ-कालिक मदद हासिल करने पर चर्चा चल रही है. मगर फिलहाल तो पाकिस्तान के बच्चों को जूझना पड़ रहा है.

दस बच्चे, एक स्मार्टफोन

पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी जिले के एक सरकारी स्कूल में 7वीं में पढ़ने वाली छात्रा को अप्रैल महीने तक उसका होमवर्क पिता के स्मार्टफोन पर मिलता था. दफ़्तर खुलने के बाद उसके पिता को नौकरी पर बुलाया गया तो घर में इंटरनेट वाला एकमात्र उपकरण 400 किलोमीटर दूर चला गया. अब वह छात्रा अपना ज़्यादातर समय लिखावट दुरुस्त करने पर गुजारती है.

स्मार्टफोन वाले घरों में भी परेशानियां हैं. लाहौर के स्कूल में टीचर रह चुकीं एक महिला का कहना है कि उनके पास एक स्मार्टफोन है मगर उनके साझा परिवार में 10 बच्चे हैं.

महामारी में कैसे पढ़ाई कर रहे हैं पाकिस्तान के बच्चे?

"सभी बच्चे अलग-अलग कक्षाओं में पढ़ते हैं और उनको अलग चीजें पढ़ानी होती हैं. कभी-कभी हम दादा-दादी के फोन ले सकते हैं लेकिन ज़्यादातर समय वे मेरे फोन का ही इस्तेमाल करते हैं."

गुजरांवाला में 15 साल के एक लड़के का कहना है कि शैक्षणिक वीडियो देखने के लिए वह अपने भाई का फोन इस्तेमाल करता है.

"लेकिन मेरा भाई हमेशा टिक-टॉक पर रहता है और जब मैं उससे फोन मांगता हूं तो वह चिढ़ जाता है."

कब खुलेंगे स्कूल?

कोरोना वायरस के कारण स्कूल बंद होने से अभिभावकों और शिक्षकों की चिंता बढ़ी है. स्कूल पहले 15 जुलाई को खुलने वाले थे लेकिन अब सरकारी अधिकारी कोरोना मरीजों की तादाद की शर्त पर 15 सितंबर से स्कूल खुलने की संभावना जताते हैं. इस बीच, ऑनलाइन सामग्री ख़त्म हो रही है.

नए लर्निंग ऐप लॉन्च करना और ऑनलाइन सामग्री का नियमित प्रवाह सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती है. शैक्षणिक तकनीक (एडटेक) के उद्यमी महामारी को लंबे समय से उपेक्षित सेक्टर में विस्तार और निवेश के मौके के रूप में देख रहे हैं.

तालीमाबाद ऐप के संस्थापक हारून यासिन कहते हैं, "मिस्टर रोजर्स और बच्चों की मीडिया की दिग्गज कंपनियों ने जब अमरीका जैसे देश में शिक्षा का परिदृश्य बदला तो उन्हें सरकार से भरपूर समर्थन मिला."

तालीमाबाद ऐप में प्राइमरी स्कूल के बच्चों को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम पढ़ाने के लिए कार्टून और गेम्स का इस्तेमाल होता है. यासिन कहते हैं, "पाकिस्तान में शायद ही कोई शैक्षणिक मीडिया पहल हो जिसे आर्थिक मदद मिलती हो."

तकनीक प्राथमिकता में नहीं

सरकारी अधिकारी मानते हैं कि उपकरणों और इंटरनेट कनेक्शन की तादाद कम होने की वजह से एडटेक उनकी प्राथमिकता में नहीं रहे हैं. म्यूज सबक़ प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए लर्निंग ऐप है. इसके सीईओ हसन बिन रिज़वान का कहना है कि स्मार्टफोन की पहुंच कोई आदर्श नहीं है, फिर भी यह तेज़ी से बढ़ रही है.

"इस साल हर महीने 10 लाख नए कनेक्शन जुड़े. स्मार्टफोन किसी भी दूसरे डिवाइस से ज़्यादा तेज़ी से बढ़ रहे हैं."

यासिन कहते हैं, "तकनीक कभी रुकी नहीं रहती. 90 के दशक में यदि कोई कहता कि हम इलेक्ट्रॉनिक बुक की ओर जा रहे हैं जिसमें पढ़ाई, काम और मनोरंजन सब कुछ होगा तो कोई भरोसा नहीं करता. यदि स्मार्टफोन की पहुंच 90 फीसदी तक हो जाने के बाद ही हम इंडस्ट्री को विकसित करना शुरू करें तो बहुत देर हो जाएगी. हम छात्रों की एक पूरी पीढ़ी को नहीं पढ़ा पाएंगे."

फिलहाल, महामारी की वजह से एडटेक की तादाद बढ़ रही है. जब से स्कूल बंद हुए हैं तालीमाबाद ऐप से जुड़ने वाले लोगों की तादाद 660 फीसदी बढ़ी है. म्यूज सबक़ ऐप 200 फीसदी बढ़ा है.

नॉलेज प्लेटफॉर्म पाकिस्तान के सीईओ तल्हा मुनीर का कहना है कि उन्होंने अपना एडटेक उत्पाद 400 नये स्कूलों को बेचा है. इस रफ़्तार को बनाए रखने के लिए एडटेक विशेषज्ञ सरकार को प्राइवेट सेक्टर की साझेदारियों में निवेश की सलाह देते हैं. उनका कहना है कि देश के करीब 2 लाख निजी स्कूलों में डिजिटल समाधानों के व्यापक परीक्षण की इजाज़त मिलनी चाहिए.

भविष्य की पढ़ाई

देश के सबसे बड़े दूरसंचार नेटवर्क जैज़ और एडटेक कंपनी नॉलेज प्लेटफॉर्म के साथ मिलकर पाकिस्तान सरकार इस्लामाबाद के 75 हाई स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट चला रही है, मगर इसका आकलन कभी नहीं किया गया. जैज़ के मुख्य कॉरपोरेट और उद्यम अधिकारी अली नसीर का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से मैट्रिक के छात्रों के अंकों में 30 फीसदी का सुधार आया है.

नसीर भी कोविड-19 संकट में रोशनी की किरण देखते हैं. वायरस ने आख़िरकार एडटेक सेक्टर में सरकार की दिलचस्पी बढ़ दी है. नसीर कहते हैं, "यदि सरकार इसे आगे बढ़ाने की पहल करे तो मुझे लगता है कि दो से तीन साल में एडटेक हक़ीक़त बन जाएगा."

तकनीक हर मर्ज की दवा नहीं

कुछ विशेषज्ञों की सलाह है कि सरकार पहले शिक्षा क्षेत्र की मौजूदा समस्याओं को दुरुस्त करे. जैसे- शिक्षकों की गुणवत्ता, फ़ाइलों में चल रहे स्कूल और पढ़ाई का निम्न स्तर.

द सिटिजन्स फ़ाउंडेशन पाकिस्तान में सस्ते निजी स्कूलों के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक है. इसके कार्यकारी उपाध्यक्ष रियाज़ कमलानी का कहना है कि सरकार को दीर्घकालिक नज़रिये से काम करने की ज़रूरत है.

"जब हम कोरोना वायरस जैसे हालात के बारे में बात करते हैं तो हमें इसके फंदे में फंसने से बचना चाहिए. सभी समस्याओं का हल तकनीक में नहीं है." उनका कहना है कि पढ़ाई में शिक्षकों की गुणवत्ता और उनकी भूमिका सबसे अहम है जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए.

नॉलेज प्लेटफॉर्म पाकिस्तान के सीईओ तल्हा मुनीर पारंपरिक शिक्षा और तकनीक को साथ लेकर चलने की वकालत करते हैं. "हमें लगता है कि शिक्षकों की भागीदारी के बिना ज़्यादातर छात्र ख़ुद से नहीं सीख सकते. हमें शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारने और उन्हें तकनीक से लैस करने की ज़रूरत है."

टीच फ़ॉर पाकिस्तान की संस्थापक खदीजा शाहपर बख्तियार का कहना है कि खालिस डिजिटल समाधान पाकिस्तान की समस्याओं का हल नहीं है.

मस्जिद के लाउडस्पीकर से पढ़ाई

इस्लामाबाद के एक उपनगरीय निजी स्कूल में टीच फ़ॉर पाकिस्तान की प्रशिक्षिका रिदा रिज़वी उन छात्रों की मदद करती हैं जिनके परिवार में मोबाइल फोन नहीं है. वह स्थानीय मस्जिदों में जाकर लाउडस्पीकर पर ऐलान करती हैं ताकि ऐसे परिवार तय की हुई जगह से पाठ्य सामग्री ले लें.

बलूचिस्तान के अमीनाबाद में हाई स्कूल वाई-फ़ाई कनेक्शन के ज़रिये वॉट्सएप ग्रुप पर वीडियो पाठ साझा करते हैं. प्रांतीय सरकार और यूनिसेफ के समर्थन से चल रहे कार्यक्रम 'मेरा घर मेरा स्कूल' से 35 हजार छात्र जुड़े हुए हैं.

महामारी में कैसे पढ़ाई कर रहे हैं पाकिस्तान के बच्चे?

टीच फ़ॉर पाकिस्तान की बख्तियार कहती हैं, "कुछ बच्चों के पास वॉट्सऐप है तो कुछ के पास फोन भी नहीं है. उनके लिए अलग तरह की सामग्री और समाधान की ज़रूरत है."

"लेकिन सबसे अहम मसला है मौजूदा समस्याओं को सुलझाना- शिक्षकों पर निवेश कीजिए ताकि पढ़ाई बेहतर हो. कोरोना वायरस या तकनीक से अस्थायी विचलन ठीक नहीं है." डिजिटलीकरण पर प्रधानमंत्री की विशेष सलाहकार तानिया ऐद्रस का कहना है कि टेक्नोलॉजी पर सरकार का ध्यान अस्थायी समाधान नहीं है.

"हमें सोचना होगा कि शिक्षा कोरोना वायरस की समस्या नहीं है. मिसाल के लिए- लाखों बच्चे स्कूल नहीं आते."

"मुझे लगता है कि कोरोना वायरस ने हमें एक मौका दिया है. अब यह हम पर निर्भर है कि हम इसका दीर्घकालिक हल कैसे निकालते हैं." शिक्षा मंत्री महमूद कहते हैं, "खुदा ने चाहा तो कोरोना वायरस से हम ज़ल्दी बाहर आ जाएंगे. लेकिन हम रुकना नहीं चाहते. हमें लगता है कि तालीम में तकनीक का इस्तेमाल पाकिस्तान के लिए आगे बढ़ने का रास्ता है."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
How are children of Pakistan studying in the epidemic?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X