क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

ऑडिटर्स रिपोर्ट में सामने आया आम्रपाली ग्रुप का फर्जीवाड़ा, ड्राइवर-चपरासी के नाम 23 कंपनियां

Google Oneindia News

नई दिल्‍ली। रियल स्‍टेट कंपनी आम्रपाली के फर्जीवाड़े से जुड़ा बड़ा खुलासा सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर ये नियुक्‍त ऑडिटर्स की फॉरेंसिक जांच से पता चला है कि कंपनी ने होम बायर्स के पैसे को डायवर्ट कर उसका दुरुपयोग किया। जांच में कई ऐसे खुलासे हुए हैं, जिनके बारे में जानकर सभी हैरान हैं। ऑडिटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आम्रपाली ग्रुप की 23 कंपनियां ऑफिस बॉय, चपरासी और ड्राइवरों के नाम पर चल रही हैं। कंपनी ने इस प्रकार से फर्जीवाड़ा कर घर खरीदारों का पैसा डायवर्ट कर दिया।

How Amrapali builder Diverted Home Buyers Money Showing Peons, Drivers As Owners

ऑडिटर्स की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि कंपनी के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (सीएफओ) चंदर वाधवा ने 4.75 करोड़ रुपये कुछ लोगों के नाम ट्रांसफर किए, लेकिन ये लोग कौन हैं, इस बारे में कोई जानकारी उपलब्‍ध नहीं है। उन्होंने यह रकम पिछले साल 26 अक्टूबर को अदालत में पेशी से सिर्फ तीन दिन पहले ट्रांसफर की थी। फॉरेंसिक ऑडिटर पवन कुमार अग्रवाल ने बताया कि वाधवा के खाते में मार्च, 2018 तक 12 करोड़ रुपये थे। उन्होंने एक करोड़ रुपये पत्नी के खाते में भी ट्रांसफर किए।

बुधवार को सुनवाई के दौरान वाधवा मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने वाधवा को फटकारने के बाद कहा- आपको पता था कि कोर्ट सवाल पूछेगा, इसलिए रकम ट्रांसफर कर दी। 23 अक्टूबर, 2018 को धन खाते से ट्रांसफर करने की कोई जरूरत नहीं थी। हमें ट्रांसफर की गई रकम सात दिनों में वापस चाहिए। आपने न्याय प्रक्रिया को बाधित किया है और हम आप पर अदालत की अवमानना का मामला चला सकते हैं।

कोर्ट ने फॉरेंसिक ऑडिटर्स से कहा कि वह आम्रपाली समूह के सीएमडी अनिल कुमार शर्मा और डायरेक्‍टर शिवप्रिया से 1-1 करोड़ रुपए वसूल करें। 2013-14 में आयकर विभाग की छापेमारी में मिले 200 करोड़ रुपए के रॉ मैटीरियल के फर्जी बिल और वाउचर के आईटी ऑर्डर भी कोर्ट ने पेश करने को कहा है। फॉरेंसिक ऑडिटर्स ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जानकारी रखते हुए बताया कि उन्होंने 'बेनामी फ्लैट्स' के 655 लोगों को नोटिस जारी किया, पर बुकिंग में बताए गए ऐसे 122 स्थानों पर कोई नहीं मिला। उन्होंने अंतरिम रिपोर्ट जस्टिस अरुण मिश्र और यूयू ललित की खंडपीठ को सौंप दी है। जांच में यह भी सामने आया है कि बिल्डर ने पॉश फ्लैट्स को सिर्फ 1, 5 और 11 पांच रुपए प्रति वर्ग फीट की कीमत पर 500 से ज्‍यादा लोगों के नाम फ्लैट बुक किए।

फॉरेंसिक ऑडिटर रवि भाटिया ने कहा कि आम्रपाली ग्रुप ने आईटी ऑर्डर के खिलाफ अपील की है। फॉरेंसिक ऑडिटर्स ने जेपी मॉर्गन रियल एस्टेट फंड और आम्रपाली ग्रुप की ओर से की गई कानून की अनदेखी के बारे में अदालत को बताया। उन्‍होंने बताया कि आम्रपाली जोडियक के शेयर 85 करोड़ रुपए में खरीदने के बाद नीलकंठ और रुद्राक्ष नाम की मामूली कंपनियों को उन शेयरों को दोबारा बेच दिया गया। ये दोनों कंपनियां चंदन मित्तल और विवेक मित्तल के नाम पर थीं। ये दोनों आम्रपाली ग्रुप की सहायक कंपनियां हैं। इस पर खंडपीठ ने जेपी मॉर्गन के वकील से कहा कि वह और भारत के उनके प्रभारी एक हफ्ते में अंदर जवाब दाखिल करें। मॉर्गन को एक हफ्ते में बताना है कि ये पूरा लेन-देन आखिर किस प्रकार से हुआ।

Comments
English summary
How Amrapali builder Diverted Home Buyers' Money Showing Peons, Drivers As Owners
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X