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Ramanand Sagar's Ramayan: जानिए 'चरस' बनाने वाले रामानंद सागर ने क्यों बनाई 'रामायण'?

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नई दिल्ली। आज टीवी के ऐतिहासिक शो 'रामायण' में राम का किरदार प्ले करने वाले अभिनेता अरुण गोविल भाजपा में शामिल हो गए हैं। माना जा रहा है कि अरुण गोविल बंगाल में भाजपा के स्टार प्रचारक होंगे और वो वहां करीब 100 से ज्यादा जनसभाएं करेंगे। मालूम हो कि 90 के दशक में 'रामायण' ने सफलता का नया इतिहास लिखा था, जिसकी वजह से लोग अरुण गोविल को ही असली राम समझने लगे थे।

ऐतिहासिक शो 'रामायण'

ऐतिहासिक शो 'रामायण'

कुछ वक्त पहले ऐतिहासिक 'रामायण' की स्टार कास्ट 'द कपिल शर्मा शो' पर आई थी, जिसमें शो के राम-लक्ष्मण और सीता पूरे 33 साल बाद किसी मंच पर साथ दिखाई दिए थे, इस दौरान उन्होंने इस ऐतिहासिक शो के बारे में बहुत सारी अनकही बातें बताई थीं।

बेटे प्रेम सागर ने बताई हैरान कर देने वाली बातें

तो वहीं इस शो में रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर भी पहुंचे थे, जिन्होंने इस शो के रचयिता और अपने पिता के बारे में जो बताया, उसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया था।

 'अन एपिक लाइक ऑफ रामानंद सागर फ्रॉम बरसात टू रामायण'

'अन एपिक लाइक ऑफ रामानंद सागर फ्रॉम बरसात टू रामायण'

इस शो के दौरान प्रेम सागर ने 'अन एपिक लाइक ऑफ रामानंद सागर फ्रॉम बरसात टू रामायण' किताब का जिक्र भी किया, जिसमें रामानंद सागर की पूरी लाइफ हिस्ट्री है, इस किताब को प्रेम सागर ने ही लिखा है, जिसमें उनकी मदद उनके बेटे शिव सागर ने भी की है।

पहली फिल्म 'बरसात' ने कमाए थे 1 करोड़ 10 लाख

पहली फिल्म 'बरसात' ने कमाए थे 1 करोड़ 10 लाख

शो में प्रेम सागर ने कहा कि ' पापाजी (रामानंद सागर) की सबसे पहली फिल्म 'बरसात' थी, तब यह किसी ने नहीं सोचा था कि एक आदमी जिसने चपरासी का काम किया, सड़क पर साबुन बेचे, जर्नलिस्ट बने, मुनीम का काम किया, वो आदमी एक दिन रामायण बना सकता है।'

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क्यों बनाई रामायण?

क्यों बनाई रामायण?

प्रेम सागर ने बताया कि साल 1976 की बात है, मैं चारों भाई (सुभाष, मोती, प्रेम और आनंद) और पापा स्विट्जरलैंड में थे, वहां 'चरस' फिल्म की शूटिंग चल रही थी, वहां बहुत ठंड थी , एक शाम काम निपटाकर हम सभी एक कैफे में जा बैठे और हमने खाने-पीने को कुछ चीजें आर्डर की, तब एक फ्रेंच सा दिखने वाला शख्स हमें फूड सर्व करने आया, उसने लकड़ी का एक रेक्टेंगल बॉक्स खिसकाकर हमारे सामने रख दिया, जिसमें सामने की तरफ लकड़ी के दो पल्ले लगे थे, उस आदमी ने दोनों पल्ले खिसकाए और स्विच ऑन किया और स्क्रीन पर कलर फिल्म चल पड़ी, हम सभी हैरान थे क्योंकि वो रंगीन टीवी था, इससे पहले हमने कभी रंगीन टीवी पर फिल्म नहीं देखी थी।

मैं सिनेमा छोड़ रहा हूं...

काफी देर तक टीवी को एकटक निहारने के बाद रामानंद सागर ने कहा कि मैं सिनेमा छोड़ रहा हूं... मैं टेलीविजन (इंडस्ट्री) में आ रहा हूं, मेरी जिंदगी का मिशन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, सोलह गुणों वाले श्री कृष्ण और आखिर में मां दुर्गा की कहानी लोगों के सामने लाना है, और तभी से उनके दिमाग में 'रामायण' बनाने की बात आ गई।

....सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था

....सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था

गौरतलब है कि 'रामायण' का प्रसारण जनवरी 1987 से जुलाई 1988 तक हुआ था। उस वक्त ये सीरियल सुपरहिट रहा था। सीरियल का प्रसारण रविवार की सुबह होता था। जब ये सीरियल प्रसारित होता था सभी सीरियल देखने में इतने व्यस्त हो जाते थे कि सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था, इस लोकप्रियता का तो ये आलम था कि लोग शो के किरदारों को ही रीयल भगवान मान बैठे थे।

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English summary
Ramayan is set to make a comeback to Dordarashan.here is How a cafe owner contributed to Ramanand Sagar’s blockbuster TV show ‘Ramayan’.
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