क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Video: मिलिए 15 वर्ष के एरॉन फोगट से जो न्‍यू जर्सी में बैठेकर जयपुर के अनाथ बच्‍चों को कर रहे हैं शिक्षित

Google Oneindia News

जयपुर। यूनाइटेड नेशंस के दिवंगत पूर्व महासचिव कोफी अन्‍नान ने अपने एक भाषण में कहा था, 'शिक्षा एक ताकत है और जानकारी आजादी दिलाने की प्रक्रिया है। शिक्षा हर समाज और हर परिवार में प्रगति का आधार है।' जिस समय अन्नान ने यह बातें कहीं थीं, उस समय राजस्‍थान के सीकर में एक परिवार में अन्‍नान की इन बातों को आगे बढ़ाने के लिए एरॉन फोगट जैसे किशोर के जन्‍म की तैयारियां चल रही थीं। 15 वर्ष का एरॉन ने शायद अन्‍नान की इन्‍हीं बातों को अपने जीवन में उतार लिया है। एक ऐसी उम्र जब टीनएजर्स स्‍मार्ट फोन, महंगी गाड़ी, डिजायनर कपड़े और जूतों के अलावा महंगे गैजेट्स पर चर्चा करते हैं, एरॉन उन बच्‍चों की किस्‍मत बदलने में लगा हुआ है जिनके सिर पर मां-बाप का साया नहीं है। एरॉन आज उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा स्‍त्रोत बन सकता है जो कहते हैं कि अकेले हम कैसे स्थितियों को बदल पाएंगे और अक्‍सर संसाधनों की कमी का रोना-रोते रहते हैं।

पढ़ेगा तभी तो बढ़ेगा इंडिया

पढ़ेगा तभी तो बढ़ेगा इंडिया

एरॉन फोगट के माता-पिता राजस्‍थान के सीकर के रहने वाले हैं और यह जगह जयपुर से 120 किलोमीटर दूर है। पिता अच्‍छे करियर की उम्‍मीद में अमेरिका के न्‍यू जर्सी में जाकर बस गए और अपने सपनों को पूरा करने में लग गए। सीकर को खासतौर पर मंदिरों और हवेलियों के लिए जाना जाता है और अब इस जगह को एरॉन एक नई पहचान देने में लग गए हैं। एरॉन न्‍यू जर्सी के प्रिंसटन डे स्‍कूल में पढ़ते हैं लेकिन वह कहते हैं कि उन्‍हें अभी भी अपने देश से खासा लगाव है। भारत शिक्षा के क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ है और एरॉन का ध्‍यान इस पर गया। एरॉन अक्‍सर गर्मी की छुट्टियों में सीकर आते हैं और आसपास के इलाकों में काफी समय बिताते हैं।

नाना से मिली कुछ करने की प्रेरणा

नाना से मिली कुछ करने की प्रेरणा

एरॉन के नाना पी आर धायल इनकम टैक्‍स विभाग में चीफ कमिश्‍नर रह चुके हैं। दो वर्ष पहले जब एरॉन भारत आया तो उसके नाना ने उसे जो कुछ भी बताया उसे सुनकर एरॉन ने उन लोगों की जिंदगी बदलने की ठान ली जिनके पास न संसाधन नहीं थी। नाना ने एरॉन को बताया कि कैसे अपने शुरुआती जीवन उन्होंने ग़रीबी और कई विपरीत परिस्थितों का सामना किया लेकिन इसके बाद भी बाधाओं को पार करते हुए अपना लक्ष्‍य हासिल किया और चीफ़ कमिश्नर के ओहदे पर पहुंचे थे। एरॉन ने नाना की सुनी बातों से जीवन में शिक्षा के महत्‍व को समझा। सीकर में रहते हुए एरॉन ने देखा कि कैसे पैसे की कमी की वजह से गरीब वर्ग के लोगों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है। नाना की प्रेरणा से एरॉन ने समाज के एक तबके को अपने दम पर शिक्षा देने की ठानी।

अपने पैसों से बच्‍चों के लिए खरीदा सामान

अपने पैसों से बच्‍चों के लिए खरीदा सामान

इसके बाद एरॉन ने जयपुर के गरीब और अनाथ बच्चों के दो समूह को अपने बलबूते शिक्षा देने की शुरुआत की। एरॉन ने शुरुआत में बच्‍चों को इंग्लिश पढ़ाना शुरू किया। बच्चों को उसकी क्लास में रुचि जग गई। उसने दो साल में अपने बचत के पैसों से किताबें और खेल का सारा सामान भी बच्‍चों को मुहैया कराया। छुट्टियां खत्‍म होने के बाद एरॉन को न्यू जर्सी लौटना पड़ा। लेकिन यहां भी एरॉन को कोई रोक नहीं सका। बच्‍चे एरॉन के जाने से मायूस थे और एरॉन को याद कर रहे थे। बस फिर क्‍या था एरॉन ने वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग से इसका इलाज ढूढ़ लिया।

?rel=0&wmode=transparent" frameborder="0">

वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग से पढ़ा रहे बच्‍चों को

माता पिता और नाना के सहयोग से एरॉन ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग का उपकरण सेट कर के अमेरिका के अपने घर से ही बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने लगा। एरॉन के छात्र एक बार फिर अपने टीचर को देखकर खुश थे और दोगुने उत्साह से अपना पाठ समझने लगे। अब एरॉन 'हेल्पिंग वन बाई वन' नाम से एक संस्था भी खोल ली है और इसके जरिए वह अगले वर्ष से सीकर के 'कस्तूरबा सेवा संस्थान' और जयपुर के 'ममता' अनाथालय के बच्चों को भी अपनी इस मुहिम से जोड़ना चाहता है। एरॉन ने बताया है कि वह इन गरीब और बेसहरा बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा देखना चाहता है।

Comments
English summary
15 years old Aaron Phogat from Rajasthan changing fate of these orphan kids in Sikar.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X