बिप्लब देब की कुर्सी पर मंडरा रहा संकट फिलहाल टला, अक्सर बयानों से विवादों में रहे हैं त्रिपुरा CM
नई दिल्ली। त्रिपुरा प्रदेश बीजेपी के एक धड़े द्वारा शुरू किए गए 'बिप्लब हटाओ, बीजेपी बचाओ' नारे से दुखी मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने आगामी 13 दिसंबर को जनसभा बुलाने की कवायद को पार्टी हाईकमान द्वारा रद्द दिया गया है, जिसके जरिए त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने खुद के पद पर बने रहने का फैसले पर जनता का विचार जानना चाहते थे। माना जाता है कि मामले में हो रही फजीहत को देखते हुए हाईकमान ने भेजे संदेश में बिप्लब देव पर भरोसा जताते हुए कहा है कि उन्हें अपना काम करते रहना चाहिए। इससे फिलहाल त्रिपुरा में उठ रही राजनीतिक गहमागहमी खत्म हो गई है।
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पार्टी के कुछ विधायकों ने CM बिप्लब देब के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था
गौरतलब है त्रिपुरा बीजेपी के कुछ विधायकों ने बिप्लब देब हटाओ, बीजेपी बचाओ का नारा देकर मुख्यमंत्री बिप्लब देब के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इससे दुखी होकर बिप्लब देब ने कहा था कि आगामी 13 दिसंबर को एक जनसभा के जरिए वो खुद जनता से मिलकर उनका विचार जानेंगे कि उन्हें पद पर रहना चाहिए या नहीं। सीएम बिप्लब देब ने कहा था कि वो रविवार को प्रस्तावित कार्यक्रम अपने राज्यों के लोगों और आलोचकों से मिलेंगे।
भावुक त्रिपुरा सीएम ने कहा, मैं जाऊं या रहूं, ये आप पर निर्भर करता है
इससे पहले, अगरतला में बुलाए एक प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने भावुक होकर कहा, मैं जाऊं या रहूं, ये आप पर निर्भर करता है। अपना मैंडेट दीजिए, मैं रविवार को 2 बजे विवेकानंद मैदान पर रहूंगा, आप जो भी कहेंगे, वो हाईकमान तक पहुंचा दिया जाएगा। उन्होंने कहा, मुझे नारे से दुख हुआ है, मेरी गलती बस इतनी है कि मैं राज्य के विकास को लेकर प्रतिबद्ध हूं। मेरे पास बस पांच साल है, मैं कोई 30 साल तक करने वाला सरकारी अफसर नहीं हूं।
बिप्लब हटाओ, बीजेपी बचाओ का नारा त्रिपुरा गेस्ट हाउस पर लगाया गया
दरअसल, त्रिपुरा में बिप्लब हटाओ, बीजेपी बचाओ का नारा पिछले दिनों त्रिपुरा गेस्ट हाउस के चारो ओर मौजूद सैकड़ों लोग के बीच लगाए गए थे। दिलचस्प बात यह है कि त्रिपुरा गेस्ट हाउस में उस समय बीजेपी के नवनियुक्त पर्यवेक्षक विनोद सोनकर बैठे थे और प्रदेश के नेताओं से बैठक कर रहे थे। माना जा रहा है कि सीएम बिप्लब देब के खिलाफ यह नारेबाजी बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन को मैनेज करने में त्रिपुरा सीएम की विफलता से फैले असंतोष के चलते की गई है।
MLA सुदीप रॉय बर्मन और त्रिपुरा सीएम के बीच लड़ाई जरूर चल रही है
हालांकि नारेबाजी के बाद सामने आए पर्यवेक्षक विनोद सोनकर ने सफाई देते हुए जरूर कहा था कि पार्टी के अंदर कोई मतभेद नहीं है, लेकिन त्रिपुरा प्रशासन और बीजेपी के मजबूत विधायक सुदीप रॉय बर्मन के बीच लड़ाई जरूर चल रही है। बर्मन से पिछले साल जून में हेल्थ पोर्टफोलियो छीन लिया गया था। बर्मन अपनी हैसियत के अनुसार हेमंत बिस्व सरमा और दिल्ली हाईकमान के साथ भी मीटिंग कर चुके हैं, जिससे बिप्लब देब के लिए चीजें अच्छी नहीं दिख रहीं थीं, लेकिन हाईकमान के दखल के बाद अब त्रिपुरा में बिप्लब देब को लेकर उठी सारी गहमागहमी पर विराम लग गया है।
त्रिपुरा सीएम के जनसभा बुलाने की कवायद से पार्टी असहज हो गई थी
उल्लेखनीय है त्रिपुरा में सीएम बिप्लब देब के खिलाफ बगावत सुर के बीच मुख्यमंत्री द्वारा भावुक होकर जनसभा बुलाने की कवायद से पार्टी पूरी तरह असहज हो गई थी। मुख्यमंत्री के बयान के बाद सोनकर ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से बात की थी और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उसके बाद बिप्लब देव से बात करके उन्हें ऐसा कोई भी कार्यक्रम करने मना कर दिया था।
त्रिपुरा CM को कार्यक्रम रद्द करने के लिए सूचित कर दिया गया है: सोनकर
माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान को इसलिए उसे बीच-बचाव करना पड़ा, क्योंकि इससे प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी की फजीहत होने का डर था। त्रिपुरा के नवनियुक्त पर्यवेक्षक विनोद सोनकर के मुताबिक त्रिपुरा सीएम को कार्यक्रम रद्द करने के लिए सूचित कर दिया गया है कि उन्हें ऐसा कार्यक्रम करने की जरूरत नहीं हैं। त्रिपुरा की जनता ने बीजेपी को आशीर्वाद दिया है और मुख्यमंत्री को उनकी सेवा करते रहना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, पार्टी संगठन में यदि कोई मुद्दा है, तो उसका समाधान निकाल लिया जाएगा।
महाभारत काल में इंटरनेट और सेटलाइट के दावे पर घिरे बिप्लब देव
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री कई बार अपने अजीबोगरीब बयानों को लेकर सुर्खियों और विवादों में पड़ चुके हैं। इनमें से एक बयान में उन्होंने दावा किया कि महाभारत काल में इंटरनेट और सैटेलाइट थे। यह दावा उन्होंने गत 18 अप्रैल को राजधानी अगरतला में आयोजित कार्यक्रम में दिया था। उनके मुताबिक देश में महाभारत युग में भी तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध थीं, जिनमें इंटरनेट और सैटेलाइट भी शामिल थे। उन्होंने कहा था कि महाभारत के दौरान संजय ने हस्तिनापुर में बैठकर धृतराष्ट्र को बताया था कि कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध में क्या हो रहा है। संजय इतनी दूर रहकर आंख से कैसे देख सकते हैं। सो, इसका मतलब है कि उस समय भी तकनीक, इंटरनेट और सैटेलाइट था, जिसके बाद उन्हें इंटरनेट पर ही खूब ट्रोल होना पड़ा।
पूर्व मिस यूनिवर्स डायना हेडन इंडियन ब्यूटी नहीं कह कर फंसे बिप्लब देब
महाभारत युग में इंटरनेट के बयान के बाद त्रिपुरा के मुख्यमंत्री की योग्यता को लेकर सवाल उठाए जाने लगे थे। इस बीच एक और विवादास्पद बयान देकर मुख्यमंत्री बिप्लब देब को फिर लोगों की आलोचना झेलनी पड़ी, जब उन्होंने 27 अप्रैल को पूर्व मिस यूनिवर्स डायना हेडन को इंडियन ब्यूटी नहीं करार दिया। बकौल बिप्लब देब, डायना हेडन भारतीय महिलाओं की सुंदरता की नुमाइंदगी नहीं करतीं, जबकि ऐश्वर्या राय करती हैं। इस बयान पर इतना विवाद बढ़ा कि बिप्लब देव को अपने बयान पर खेद भी जताना पड़ गया।
बेरोजगारों को पान की दुकान खोलने की सलाह देकर घिर गए बिप्लब देव
एक के बाद एक विवादास्पद बयान देकर सुर्खियों में आए त्रिपुरा सीएम यही नहीं रूके। अपने अगले बयान में उन्होंने युवा बेरोजगार को अजीबोगरीब सलाह दे डाली, जिससे उन्हें फिर आलोचना का शिकार होना पड़ा। गत 29 अप्रैल को एक बयान में उन्होंने कहा युवा कई सालों तक राजनीतिक दलों के पीछे सरकारी नौकरी के लिए पड़े रहते है, जबकि ऐसे युवा पान की दुकान लगा ले तो उनके बैंक खाते में 5 लाख रुपए जमा हो चुके होते। उन्होंने आगे कहा, युवाओं को प्रधानमंत्री के मुद्रा योजना के तहत बैंक से लोन लेकर पशु संसाधन क्षेत्र के विभिन्न परियोजनाओं को शुरू करना चाहिए।
युवाओं को मैकेनिकल नहीं, सिविल इंजीनियरिंग चुनने की दी सलाह
प्रतियोगी युवाओं को सिविल सर्विसेज की परीक्षा को लेकर सलाह देते हुए त्रिपुरा सीएम ने एक बयान में कहा कि, मैकेनिकल इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि वाले लोगों को सिविल सेवाओं का चयन नहीं करना चाहिए। बकौल सीएम बिप्लब देब, समाज का निर्माण करना है, ऐसे में सिविल इंजीनियरों के पास यह ज्ञान है, क्योंकि जो लोग प्रशासन में हैं उनको समाज का निर्माण करना है।
जाट और सरदारों को कम दिमाग का कहकर बुरे फंसे, मांगनी पड़ी माफी
एक और विवादास्पद बयान में त्रिपुरा सीएम बिप्लब देब घिरे हुए नजर आए, जब उन्होंने अगरतला प्रेस क्लब के एक कार्यक्रम में कहा कि अगर हम पंजाब के लोगों के बारे में बात करते हैं, तो हम कहते हैं, वह एक पंजाबी, एक सरदार है. सरदार किसी से डरते नहीं हैं। वे बहुत मजबूत हैं, लेकिन उनके पास कम दिमाग है. कोई भी उन्हें ताकत से नहीं बल्कि प्यार और स्नेह से जीत सकता है। वहीं, बंगालियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि बुद्धिमत्ता के संबंध में एक बंगाली को चुनौती नहीं देनी चाहिए। बंगालियों को बहुत बुद्धिमान के रूप में जाना जाता है और यह भारत में उनकी पहचान है। इस बयान का जब विरोध बढ़ा तो सीएम बिप्लब देब को बाकायदा माफी मांगनी पड़ी।