Covid19: भारत के लिए बड़ी चुनौती बने हॉटस्पॉट मेट्रो सिटीज, अकेले मुंबई में 20% से अधिक हैं मामले
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में Covid-19 के अपने जिलेवार ब्रेक-अप में 284 ऑरेंज और 319 ग्रीन ज़ोन को मान्यता देते हुए कुल 130 हॉटस्पॉट या रेड ज़ोन की पहचान की गई है, क्योंकि यह 4 मई से 17 मई तक लागू होने वाले राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के पहचे चरण के दौरान प्रतिबंध को आसान करती है।
गौरतलब है यह बदलाव तब हुआ है जब देश में Covid -19 से प्रभावित जिलों की संख्या 406 से 475 हो गई है। हालांकि गत 18 अप्रैल को 1 मई के बीच केवल 13 दिनों में देश में हॉटस्पॉट की संख्या 40 से नीचे चली गई है। यानी अब देश में हॉटस्पॉट की संख्या 170 से घटकर 130 हो गई है।
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हालांकि, एक पखवाड़े में ग्रीन जोन की कुल संख्या भी 353 से घटकर 319 हो गई है। यानी जिन जिलों ने पिछले 21 दिनों (पहले 28 दिनों में रिकवरी दर में वृद्धि के कारण छूट) में किसी नए मामले की पुष्टि नहीं की है, उन्हें सभी को ग्रीन ज़ोन के रूप में चिह्नित किया गया है।
तीनों क्षेत्रों का पुनर्निधारण मुख्य रूप से दो कारकों के आधार पर किया गया है। पहला-एक जिले में संचयी मामलों की कुल संख्या और दूसरा मामलों की दोहरीकरण दर, लेकिन इनमें परीक्षण और निगरानी प्रतिक्रिया की सीमा जैसे अतिरिक्त कारकों को भी ध्यान में रखा गया है।
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 19 हॉटस्पॉट हैं, इसके बाद महाराष्ट्र हैं, जहां 14 हैं, फिर तमिलनाडु हैं, जहां 12 हैं। उसके बाद दिल्ली हैं, जहां 11 हॉटस्पॉट हैं और पश्चिम बंगाल में 10 हॉटस्पॉट हैं। तमिलनाडु ने हॉटस्पॉट की संख्या को कम करने के लिए असाधारण रूप से अच्छा किया है, जहां अब हॉटस्पॉट की संख्या घटकर 22 से 12 तक पहुंच गई है।
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हालांकि पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में मामला चिंता हैं, जहां कुछ हफ्तों में हॉटस्पॉट की संख्या 6 से बढ़ गई है।वहीं, 15 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में कोई हॉटस्पॉट जिले नहीं हैं। इस सूची में असम, गोवा और हिमाचल प्रदेश तीन प्रमुख राज्य हैं। छत्तीसगढ़ (रायपुर), झारखंड (रांची) और उत्तराखंड (हरिद्वार) में एक-एक हॉटस्पॉट है।
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ग्रीन जोन की सबसे अधिक संख्या वालों में असम पहले स्थान पर हैं
ग्रीन जोन की सबसे अधिक संख्या वालों में असम पहले स्थान पर हैं, जहां कुल 30 ग्रीन जोन हैं जबकि अरुणाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ 25 ग्रीन जोन हैंं। वहीं, मध्य प्रदेश में 24, ओडिशा में 21 और उत्तर प्रदेश 20 में ग्रीन जोन हैं।
टॉप 10 जिले, जहां 54 फीसदी मामले और 71 फीसदी मौत हुई हैं
देश के 10 सबसे खराब प्रभावित हॉटस्पॉट जिलों ने 30 अप्रैल को भारत में पुष्टि किए गए 33610 मामलों में से कुल 18,005 संक्रमित मरीजोें के लिए जिम्मेदार पाए गए हैं। इसका मूल रूप से मतलब है कि इन 10 जिलों में भारत में सामने आए कुल संख्या के आधे यानी 53.57 फीसदी मामले पाए गए हैं। समस्या और जटिल इसलिए बन गई है, क्योंकि इनमें से अधिकांश जिले बड़े शहरी संपन्न आर्थिक केंद्र हैं। जिनमें से पांच राज्य की राजधानियाँ हैं और दो अन्य अपने राज्य के सबसे बड़े शहर हैं।
राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन17 मई तक बढ़ा, रेड जोन पर सख्त प्रतिबंध लागू हैं
राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन अब 17 मई तक बढ़ा दिया गया है, जबकि रेड जोन पर सख्त प्रतिबंध लागू हैं। बसों और टैक्सियों सहित सार्वजनिक परिवहन की अनुमति नहीं है, चार पहिया वाहन में अधिकतम 2 लोगों को अनुमति दी गई है, निजी कार्यालय केवल 33 फीसदी कर्मचारी तक सीमित किए गए हैं, ई-कॉमर्स केवल आवश्यक वस्तुओं तक सीमित है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक और झटका होगा।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई देश का सबसे प्रभावित जिलों में शुमार है
मौजूदा समय में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई देश का सबसे प्रभावित जिलों में शुमार है, जहां भारत के किसी भी अन्य जिले की तुलना में दोगुने से अधिक मामलों की पुष्टि हुई है। महाराष्ट्र में कुल मामलों में अकेले मुंबई की हिस्सेदारी 71.13 फीसदी है, जो भारत में कुल मामलों का पांचवां हिस्सा है। एक बड़ी चिंता मुंबई में मामलों की वृद्धि की दर है, जहां गत 18 से 30 अप्रैल के बीच महज 12 दिनों में केस 3.39 गुना तेजी बढ़े हैं।
महाराष्ट्र के बाद गुजरात के अहमदाबाद शहर में भी स्थिति विकट है
महाराष्ट्र के बाद गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद में भी स्थिति विकट दिख रही है, जहां राज्य में कुल मामलों और मौतों की तीन-चौथाई मामले रिपोर्ट हुई है और पिछले 12 दिनों में अहमदाबाद में सबसे अधिक दर यानी यहां मामलों में 5.13 फीसदी की वृद्धि हुई है जबकि मृत्यु दर भी राष्ट्रीय औसत 3.2 से काफी ऊपर 4.92 फीसदी है।
अकेले इंदौर 68 से अधिक की मामलों की पुष्टि हुई है, जो राज्य का आधा है
इंदौर ने मध्य प्रदेश में मरने वालों की कुल संख्या के आधे यानी 68 से अधिक की मामलों की पुष्टि हुई है, लेकिन अन्य सबसे अधिक प्रभावित शहरों की तुलना में यहां मामलों में वृद्धि दर धीमा है। हालांकि पिछले 12 दिनों में चेन्नई और सूरत में मामलों में चार गुणा वृद्धि हुई है।
दिल्ली के सभी 11 जिले रेड जोन में हैं, नई दिल्ली में सबसे अधिक मामले
दिल्ली के सभी 11 जिले रेड जोन में हैं, लेकिन रेड जोन में शामिल नई दिल्ली जिले में सबसे अधिक मामले दर्ज हैं। सामूहिक रूप से दिल्ली प्रदेश में अब तक कुल 3,439 पुष्ट मामले सामने आ चुके हैं, जहां मौतों की संख्या को नियंत्रित करने में एक जबरदस्त कार्य किया गया है। अभी तक सिर्फ 56 मौतों के साथ दिल्ली की मृत्यु दर 1.63 देश के किसी भी प्रमुख जिले के लिए सबसे कम है। दिल्ली के उपनगरों में शामिल फरीदाबाद, गौतम बुद्ध नगर और मेरठ को भी रेड जोन के रूप में वर्गीकृत किया गया है जबकि गुड़गांव और गाजियाबाद को ऑरेंज ज़ोन के रूप में चिह्नित किया गया है।
कोलकाता, भोपाल व जोधपुर जैस बड़े शहरों में 500 से अधिक मामले दर्ज हैं
दो राज्य की राजधानी क्रमशः कोलकाता, भोपाल के जोधपुर जैसे अन्य प्रत्येक बड़े शहरों में 500 से अधिक मामले दर्ज हैं। सबसे खराब 10 जिलों में हुए (मामलों की संख्या के मामले में दिल्ली राज्य को उसके छोटे आकार के कारण एक जिले के रूप में गिना गया है) 761 मौत भारत में हुए हुए 1075 मौत का करीब 71 फीसदी हैं। अकेले मुंबई और अहमदाबाद में हुई मौत भारत में हुई कुल मौत का लगभग 41 फीसदी हैं।
जोधपुर के बाद दिल्ली की मृत्यु दर सबसे कम है, जो कि 1.63 हैं
दिल्ली की मृत्यु दर 1.63 फीसदी है, जो कि जोधपुर के बाद (1.31) सबसे कम है भारत के 20 प्रभावित जिलों मे वडोदरा (5.88) और पुणे (6.34) जिलों में भी मृत्यु दर सबसे खराब है। मृत्यु दर के मामले में शीर्ष 10 जिलों में से नौ बड़े शहरी केंद्र शामिल हैं, जहां कुल 769 मौतें हुई हैं, जो भारत में हुई कुल मौतों का 71.5 फीसदी हैं।
प्रमुख महानगरीय/औद्योगिक शहर अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बने
अब जब भारत में ग्रीन जोन और ऑरेंज जोन के रूप में मानदंडों को शिथिल किया है, लेकिन रेड जोन (हॉटस्पॉट) में शामिल प्रमुख महानगरीय / औद्योगिक शहर अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बने गए हैं।