खुलासा: हॉस्पिटल की गलती से हुई थी नील आर्मस्ट्रांग की मौत, अब हर्जाने के तौर पर दिए 41 करोड़ रुपये
नई दिल्ली। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि, ओहियो के एक अस्पताल ने नील आर्मस्ट्रांग के परिवार के सदस्यों को 6 मिलियन डॉलर (लगभग 41 करोड़ रुपये)के भुगतान करने पर सहमति जताई है। इस अस्पताल पर मून मैन के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया था कि, 2012 में हुई आपातकालीन हृदय सर्जरी के बाद अस्पताल की लापरवाही के चलते उनकी मौत हो गई थी। न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के ओह्यो के अस्पताल ने अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग के परिवार को गोपनीय समझौते के तौर पर साठ लाख डॉलर की रकम का भुगतान किया है।
आर्मस्ट्रांग का कार्डियक बाईपास सर्जरी के बाद निधन हो गया था
सिनसिनाटी में हैमिल्टन काउंटी प्रोबेट कोर्ट के दस्तावेज के अनुसार 2014 में हुए समझौते के पैसे आर्मस्ट्रांग के परिवार के दस सदस्यों को दिए गए। इनमें उनके दो बेटे, बहन, भाई और छह नाति-पोते शामिल हैं। यह दस्तावेज 23 जुलाई को सार्वजनिक किए गए हैं। 82 वर्ष की उम्र में आर्मस्ट्रांग का 25 अगस्त 2012 को सिनसिनाटी के मर्सी हेल्थ-फेयरफील्ड अस्पताल में कार्डियक बाईपास सर्जरी के बाद निधन हो गया था।
दो साल की कानूनी लड़ाई के बाद मिला हर्जाना
उनकी मृत्यु के समय परिवार ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि आर्मस्ट्रांग की मृत्यु हृदय प्रक्रियाओं से उत्पन्न जटिलताओं से हुई थी। आर्मस्ट्रांग के दो बेटों, मार्क और रिक आर्मस्ट्रॉन्ग ने ने आरोप लगाया था कि सर्जरी के बाद हॉस्पिटल में सही से देखभाल न होने के चलते उनकी मौत हो गई थी। हालांकि हॉस्पिटल ने इस बात का विरोध किया था। जिसके बाद आर्मस्ट्रांग परिवार और अस्पताल के बीच कानूनी लड़ाई शुरू हो गई थी।
मौत से पहले नील आर्मस्ट्रॉन्ग की हुई थी बाईपास सर्जरी
सामने आए कागजातों से पता चला है कि हॉस्पिटल ने इन आरोपों का विरोध किया था और अपना बचाव किया था लेकिन 6 मिलियन डॉलर यानी 41 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम परिवार को देकर निजी तौर पर इस मामले को निपटा लिया था। न्यूयॉर्क टाइम्स अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आर्मस्ट्रॉन्ग की मौत से जुड़े वाकयों को जानने के बाद कई सारे जानकारों ने दावा किया है कि इस मौत को पूरी तरह से रोका जा सकता था। अस्पताल की प्रवक्ता मौरीन रिचमॉन्ड ने इस मसले पर बात करने से साफ इनकार कर दिया। समाचार एजेंसी एसोसिएट प्रेस को लिखे एक मेल में उन्होंने कहा कि इस मामले का सार्वजनिक होना बहुत दुखद है। खासकर जब संबंधित मंत्रालय और मरीज के परिवार वालों ने इसे निजी रखने की मांग की थी।
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