OPCW में भारत ने किया ब्रिटेन का विरोध, NSG में चीन से सपोर्ट की जगी आस
नई दिल्ली। पिछले सप्ताह रासायनिक हथियारों के प्रतिबंध को लेकर ब्रिटेन द्वारा बुलाई गई OPCW (Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons) मीटिंग में भारत ने रूस का समर्थन कर ना सिर्फ पश्चिम को बल्कि चीन को भी स्पष्ट संदेश दिया। ब्रिटेन ने रासायनिक हथियारों के निषेध को लेकर 28 जून को एक मीटिंग प्रयोजित की थी, जिसके बाद भारत ने ब्रिटेन के खिलाफ वोट डाला था। ब्रिटेन द्वारा बुलाई गई OPCW मीटिंग में भारत ने तर्क दिया था कि यह प्रस्ताव अधूरा है क्योंकि इससे केमिकल वेपंस कन्वेंशन डायरेक्टर को अनियंत्रित शक्तियां प्रदान करेगा। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत ने OPCW मीटिंग में कूटनीतिक दांव खेला है।
भारत के साथ-साथ चीन ने भी रूस के समर्थन में वोट किया और यह कोई ज्यादा हैरान करने वाली बात नहीं थी। लेकिन, भारत को अब आस है कि इस कदम के बाद न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) में एंट्री के लिए चीन का साथ मिल सकता है। NSG में भारत की एंट्री को रोकने के लिए चीन अब तक अड़ंगा बनता आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक राजनीति में चीन और रूस अपने एक समान हितों को देखते हुए आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन, अमेरिका समर्थित पश्चिमी ब्लॉक और रूस के साथ भारत एक संतुलित संबंध स्थापित करने में लगा है।
भारत OPCW की मीटिंग में ब्रिटेन के खिलाफ उन 23 देशों के साथ खड़ा था, जो रूस के समर्थन में खड़े थे। हालांकि, ब्रिटेन को इस प्रस्ताव के लिए अपने पक्ष में सिर्फ 71 देशों का साथ चाहिए था, लेकिन उन्हें 82 देशों का समर्थन मिला था। ब्रिटेन के खिलाफ वोट करते हुए भारत ने कहा, 'हमारा वोट अपने सिद्धांतिक स्थिति पर आधारित है और यह नया प्रस्ताव CWC के पूरे ढांचे का उल्लंघन करता है। इसी वजह से ब्रिटेन के इस प्रस्ताव से हम सहमत नहीं थे।'
नीदरलैंड में भारत के राजदूत और OPCW के स्थायी प्रतिनिधि वेणु राजमोनी ने कहा, 'हमने इस प्रस्ताव को ध्यान से पढ़ा है और इस प्रस्ताव को तैयार करने वाले और इसके को-स्पोंसर के साथ अच्छे से विचार-विमर्श किया है। हालांकि, हमें लगता है कि इस तरह के गंभीर महत्वपूर्ण मुद्दे को प्रस्ताव निर्माताओं ने अधूरा रखा है। इसलिए, भारत इस तरह के एक मैकेनिज्म के निर्माण के प्रयास में शामिल होने में अपनी कार्रवाई को उचित नहीं ठहरा सकता है, क्योंकि यह सम्मेलन के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए नहीं है। साथ यह प्रस्ताव हमारी चिंताओं को ध्यान में रखकर तैयार नहीं किया गया है, इसलिए हम इसका समर्थन नहीं करते हैं।