समलैंगिक जोड़े ने पुलिस से लगाई सुरक्षा की गुहार, कहा- घरवाले करते हैं शारीरिक शोषण
नई दिल्ली। देश में अब समलैंगिकता अपराध नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष ही धारा-377 को खत्म करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि गे कपल को भी भारत में आम लड़की और लड़के की तरह साथ जीवन व्यतीत करने का पूरा अधिकार है। फैसला आने के बाद कानून बदल गया लेकिन लोगों कि मानसिकता अभी भी नहीं बदली है। इसी का उदाहरण पश्चिम बंगाल के बारासात जिले में सामने आया जहां एक गे कपल ने पुलिस से सुरक्षा की मांग की है। वह 21 सितंबर 2019 का दिन था जब सुभाष रॉय (बदला हुआ नाम) ने अपने परिवार वालों को बताया कि वह गे हैं।
परिवार पर लगाया ये आरोप
बारासात में रहने वाले 25 वर्षीय सुभाष रॉय एक निजी फर्म में कर्मचारी हैं। उन्होंने बताया कि, समलैंगिकता की बात सुनते ही परिवार में बवाल मच गया लेकिन फिर भी उन्होंने अपना फैसला नहीं बदला। रॉय ने आगे बताया कि, जब मेरे घरवालों को इस बात का पता चला तो उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया। मेरे पिता ने जबरन मेरी शादी एक लड़की से करानी चाही लेकिन मैं यह शादी नहीं करना चाहता था। मेरे ना मानने पर पिता ने धमकाने की कोशिश भी की और मनोचिकित्सक के पास ले गए।
असुरक्षित महसूस कर रहा बॉयफ्रेंड
सुभाष रॉय ने कहा कि जब उनके पिता मनोचिकित्सक के पास ले गए और उसने भी मेरे समलैंगिक होने की पुष्टी की तो परिवार इस बात को स्वीकार नहीं कर सका। बाद में घरवालों ने मेरे बॉयफ्रेंड को भी धमकाना शुरू कर दिया और अब वह हमारे रिश्ते को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहा है। मेरा परिवार मुझे इस तरह स्वीकार नहीं करना चाहता और मेरी भी जान को खतरा है। सुभाष ने बताया कि मात-पिता ने उनका मानसिक और शारीरिक शोषण किया।
जिला पुलिस से मांगी सुरक्षा
अपने साथ हुए एक हादसे का जिक्र करते हुए सुभांकर ने बताया कि, समलैंगिकता की बात सुनने के बाद उनके घर के हालात बिगड़ते चले गए। उन्होंने बताया कि, एक शाम वह घर से बाहर जाना चाहते थे लेकिन पिता ने पड़ोसियों को बुलाकर जबरदस्ती उन्हें घर में रोक लिया। झड़प में गलती से मैंने अपनी मां को धक्का दे दिया तो पिता ने बहुत मारा और उनको गंभीर चोटें भी आई थी। रॉय ने कहा कि, मुझे और मेरे बॉयफ्रेंड को परिवार से खतरा है, मैंने बारासात जिला पुलिस से सुरक्षा की मांग की है।
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