अयोध्या के लिए गृह मंत्रालय ने अलग डेस्क बनाई, एडिश्नल सेक्रेटरी ज्ञानेश कुमार करेंगे अगुवाई
नई दिल्ली- अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले के करीब दो महीने पूरे होने वाले हैं। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार को अयोध्या से संबंधित कुछ बड़े काम करने के लिए तीन महीने का वक्त दिया था। लगता है कि अब केंद्र सरकार उन जिम्मेदारियों को तेजी से पूरा करने की ओर आगे बढ़ रही है। अगले एक महीने में सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन मुहैया करानी है और साथ ही अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और संचालन के लिए एक ट्रस्ट का भी गठन करना है। अब अयोध्या से जुड़े हर मामले की सुनवाई गृह मंत्रालय की यही नई डेस्क करेगी।
अयोध्या के लिए गृह मंत्रालय में नई डेस्क बनाई गई
अयोध्या से संबंधित मामलों के देखने के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय में अलग से एक डेस्क बनाई गई है। इस डेस्क की अगुवाई एडिश्नल सेक्रेटरी ज्ञानेश कुमार करेंगे। इस काम में उनके साथ दो और अधिकारी शामिल रहेंगे। गौरतलब है कि 9 नवंबर को अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने और मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मियाद पूरी होने में महज एक महीने बाकी हैं। आगे से अयोध्या से जुड़े सभी मसलों को गृह मंत्रालय की नई डेस्क ही देखेगी।
आर्किटल-370 हटाने में भी निभा चुके हैं अहम रोल
बता दें कि गृह मंत्रालय में एडिश्नल सेक्रेटरी ज्ञानेश कुमार केरल कैडर के 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और गृह मंत्रालय की जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से जुड़े विभागों के भी प्रमुख रहे हैं। आर्टिकल-370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेषाधिकार को खत्म किए जाने और प्रदेश को 2 केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में बंटवारे के ऐतिहासिक फैसले में भी वे बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनके इन्हीं अनुभवों को देखते हुए शायद केंद्र सरकार ने उन्हें अयोध्या डेस्क की जिम्मेदारी सौंपी है।
गृह मंत्रालय में पहले भी अयोध्या सेल कर चुका है काम
ऐसी सूचनाएं हैं कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे एक प्रस्ताव में अयोध्या में उपलब्ध तीन जमीनों की जानकारी दी है। माना जा रहा है कि उनमें से एक जमीन यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने की पेशकश की जा सकती है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक 'इस तरह के सभी मसलों को अब मंत्रालय की नई डेस्क ही देखेगी।' गौरतलब है कि गृहमंत्रालय में 1990 के दशक से लेकर 2000 के शुरुआती वर्षों तक एक अयोध्या सेल भी काम करता था। हालांकि, लिब्राहन कमीशन की रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद से वह सेल बंद कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को सुनाया था ऐतिहासिक फैसला
गौरतलब है कि 9 नवंबर, 2019 को सुनाए ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि की 2.77 एकड़ की विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला को देकर वहां राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया था। इस फैसले से अयोध्या में राम जन्मभूमि को लेकर सदियों से चले आ रहे विवाद का भी निपटारा हो गया था। अपने फैसले में अदालत ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही किसी अहम स्थान पर 5 एकड़ जमीन देने का सरकार को आदेश दिया था। साथ ही केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण और उसके संचालन के लिए एक ट्रस्ट बनाने का आदेश भी दिया था। सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय इस संविधान पीठ की अगुवाई पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने की थी।
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