कांग्रेस ने गृह मंत्रालय के आदेश को बताया तुगलकी फरमान, कहा- बस से लोगों को लाने में लगेगा 3 साल का वक्त
नई दिल्ली: लॉकडाउन की वजह से बड़ी संख्या में लोग दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं। मौजूदा हालात को देखते हुए गृह मंत्रालय ने फंसे लोगों को घर वापस लाने की इजाजत राज्य सरकारों को दे दी है। अभी तक सिर्फ बसों के जरिए ही लोगों को वापस लाने का प्लान बनाया गया है। वहीं सरकार के इस फैसले को कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तुगलकी फरमान बताया है। सिंघवी के मुताबिक मजूदर दिवस के मौके पर भी मोदी सरकार को मजदूरों की कोई फिक्र नहीं है। बसों से लोगों को लाने में तीन साल का वक्त लग जाएगा।
Recommended Video
मीडिया से बात करते हुए सिंघवी ने कहा कि बिहार के 25 लाख से ज्यादा लोग महाराष्ट्र और तमिलनाडु में फंसे हैं। वहीं राजस्थान के 2.5 लाख, केरल के 4 लाख, पंजाब के 4 लाख, ओडिशा के 7 लाख, असम के 1.5 लाख मजूदर देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हैं। बसों से लोगों को निकालने में तीन साल का वक्त लग जाएगा। उन्होंने केंद्र सरकार के इस आदेश को मनमाना और तुगलकी फरमान कहा है। ट्रेन ही लोगों को वापस लाने का बेहतर विकल्प है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लॉकडाउन पर आदेश देने से पहले होमवर्क नहीं करती है। वहीं उन्होंने केंद्र सरकार पर राज्यों को फंड नहीं जारी करने का आरोप लगाया है। लॉकडाउन को लेकर भी सिंघवी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया....40 दिन के लॉकडाउन के बाद भी देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।
कोरोना वायरस की गिरफ्त में CRPF के 64 जवान, 12 नए COVID-19 संक्रमितों की पुष्टि
क्या
है
गृह
मंत्रालय
का
आदेश?
लॉकडाउन
में
दूसरे
राज्यों
में
फंसे
मजदूरों
को
बाहर
निकालना
सरकार
के
लिए
सबसे
बड़ी
समस्या
है।
गुरुवार
को
गृह
मंत्रालय
की
ओर
से
इस
मामले
में
विस्तृत
गाइडलाइन
जारी
की
गई।
जिसके
तहत
राज्य
सरकार
दूसरे
राज्यों
में
फंसे
अपने
नागरिकों
को
निकाल
सकती
हैं।
इसके
लिए
कोई
स्पेशल
ट्रेन
नहीं
चलाई
जाएगी।
सिर्फ
बसों
के
जरिए
उन्हें
लाया
जाएगा।
इस
दौरान
बसों
में
सोशल
डिस्टेंसिंग
का
पूरा
पालन
किया
जाएगा।
साथ
ही
गंतव्य
तक
पहुंचने
के
बाद
उनको
होम
क्वारंटाइन
किया
जाएगा।