बीजेपी का 'मिशन नक्सली', केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ ने कहा हद पार हुई तो होगा पलटवार
सिंह ने नक्सल प्रभावित राज्यों के आला अधिकारियों की चार घंटे तक बैठक लेने के बाद ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि नक्सल समस्या से निपटने के लिए संतुलित रुख अपनाया जाएगा। चार बातें सबसे अहम होंगी। सुरक्षा, विकास, समाज कल्याण की योजनाओं पर अमल और स्थानीय लोगों तक सरकारी योजनाओं की पहुंच को सुनिश्चित किया जाएगा।
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राजनाथ सिंह ने तय समय में काम करने की भी हिदायत दी। बैठक में 10 राज्यों के मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ-साथ अन्य आला अधिकारियों को बुलाया गया। इसका भी आकलन किया गया कि कौन सा राज्य कैसा काम कर रहा है। पता चला कि झारखंड और बिहार नक्सलियों से ठीक तरह से नहीं निपट पा रहे हैं। छत्तीसगढ़ औसत है। ओडिशा और महाराष्ट्र का काम सबसे अच्छा है। इन्हें मॉडल स्टेट माना गया। यानी इनके काम से दूसरे राज्य भी सीख ले सकते हैं।
बैठक के बाद गृह मंत्रालय से बयान जारी कर कहा कि नक्सली बातचीत में भरोसा नहीं रखते। इसलिए सरकार भी उनसे बातचीत नहीं करेगी। मीटिंग में राज्यों के मुख्य सचिव और डीजीपी ने अपने-अपने राज्य का ब्यौरा पेश किया। नक्सल हिंसा की स्थिति, उससे निपटने के उपायों और आदिवासी इलाकों में विकास योजनाओं की जानकारी पर भी जोर दिया गया।
मांगों पर भी अड़े हैं अफसर-
ग्रेहाउंड्स की तर्ज पर सभी राज्यों में खास कमांडो फोर्स बनाई जाएगी व इसी के साथ पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और ओडिशा में सबसे पहले खास कमांडो फोर्स का दस्ता बनाया जाएगा। सुरक्षाकर्मियों का जोखिम भत्ता बढ़ाने व उनकी प्रोन्नति की व्यवस्था पर पुनर्विचार कर निर्णय लिया जाएगा। उतना
- ओडिशा और झारखंड ने दो-दो हेलिकॉप्टर मांगे हैं। गृह मंत्रालय मांग पर मुहर लगा चुका है व अब रक्षा मंत्रालय तक फाइल भेजी जाएगी।
- गृह मंत्रालय सुरक्षा संबंधी बजट दोगुना करने की वित्त मंत्रालय से सिफारिश करेगा।
आत्मसमर्पण
करने
वाले
नक्सली
रहेंगे
फायदे
में-
सरेंडर करने वाले नक्सलियों को सुरक्षा, इनामी राशि और सुविधाएं बढ़ाई जा सकती हैं। लोगों के बीच धारणा बदलने के लिए भी विशेष कोशिश होगी। ताकि सरकार की छवि बेहतर बने। आदिवासी इलाकों में स्किल डेवलपमेंट पर जोर दिया जाएगा। ताकि वहां रोजगार की स्थिति मजबूत हो सके।