CAA के विरोध में शामिल थी बांग्लादेश की छात्रा अप्सरा, अब गृह मंत्रालय ने दिया भारत से चले जाने का आदेश
नई दिल्ली। गृह मंत्रालय की तरफ से बांग्लादेश की एक छात्रा को देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बांग्लादेशी छात्रा ने आठ जनवरी को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पश्चिम बंगाल में आयोजित प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। यह प्रदर्शन बीरभूमि जिले में हुआ था और लेफ्ट विंग के छात्रों की तरफ से आयोजित किया गया था। छात्रा का नाम अप्सरा अनिका मिम है।
यह
भी
पढ़ें-Delhi
Violence
को
पूर्व
कमिश्नर
ने
कहा
लीडरशिप
की
नाकामी
ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हैं अप्सरा
अप्सरा, शांतिनिकेतन स्थित विश्व भारती यूनिवर्सिटी शिपा सदन की छात्रा हैं और ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही है। वह फर्स्ट ईयर की छात्रा हैं। अप्सरा पर आरोप है कि यूनिवर्सिटी के सेंट्रल ऑफिस के सामने हुए विरोध प्रदर्शन में वह शामिल थीं। इसके तुरंत बाद गृह मंत्रालय की तरफ से विदेश मंत्रालय को एक चिट्ठी भेजी गई थी। इस चिट्ठी में कहा गया था कि एक छात्रा जिसका नाम अप्सरा है उसे 15 दिनों के अंदर देश छोड़ने का निर्देश दिया जाए। गृह मंत्रालय की तरफ से भेजे गए नोटिस के मुताबिक अप्सरा एस-4 (स्टूडेंट) वीजा पर भारत में रह रही हैं। वह 'सरकार विरोधी' गतिविधियों में शामिल हैं और यह वीजा की मंजूरी के नियमों का उल्लंघन है। इसके तुरंत बाद एक चिट्ठी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी हुई थी। यह चिट्ठी कोलकाता के फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस को भेजी गई थी। ऑफिस की तरफ से निर्देश दिया गया है कि अप्सरा जिनके पास बांग्लादेश का पासपोर्ट है, वह भारत छोड़कर चली जाएं।
सोशल मीडिया पर वायरल अप्सरा की तस्वीरें
अप्सरा, बांग्लादेश के कुशहेतिया की रहने वाली हैं। वह पश्चिम बंगाल की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से डिजाइन कोर्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हैं। सोशल मीडिया पर सीएए के विरोध प्रदर्शन में शामिल अप्सरा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थीं। हालांकि कुछ छात्र उनके बचाव में सामने अए हैं। लेफ्ट विंग संगठन के छात्र सोमनाथ साहू के मुताबिक अप्सरा प्रदर्शन में शामिल नहीं थीं। लेकिन सोशल मीडिया पर आईं तस्वीरें कुछ और ही कहानी कह रही थीं। वहीं विपक्ष ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया है। सीपीआई के नेता मोहम्मद सलीम ने कहा, 'यह बहुत ही गलत है कि किसी छात्र को देश छोड़ने के लिए कह दिया जाए।' उन्होंने आगे कहा कि यह कहीं भी नहीं लिखा है कि विदेशी छात्र किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते हैं।