#KarnatakaPolitics: 12 साल पहले कुमारस्वामी ने जो किया था वो ही आज उनके साथ हुआ
बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा में मंगलवार को फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन अपनी सरकार नहीं बचा पाया और इसी के साथ ही दो हफ्तों से चल रहे कर्नाटक के सियासी नाटक का अंत हो गया, आपको बता दें कि फ्लोर टेस्ट में 14 महीने पुरानी कुमारस्वामी सरकार विधानसभा में विश्वासमत के दौरान जरूरी बहुमत नहीं साबित कर पाई। 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में से कुमारस्वामी सरकार के पक्ष में सिर्फ 99 वोट पड़े जबकि विपक्ष को 105 वोट मिले।
कुमारस्वामी ने जो बोया वही काटा
कहावत है कि 'जो बोओगे वो ही काटोगे', कुछ ऐसा ही हुआ है जेडीएस के साथ, एक बार फिर कर्नाटक में वो ही सियासी इतिहास दोहराया गया जो कि 2004 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद हुआ था, दरअसल 2004 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कुल 224 सीटों में से बीजेपी को 79, कांग्रेस को 65, जेडीएस को 58 और अन्य को 23 सीटें मिली थी, इस चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस और जेडीएस के बीच समझौता हुआ और कांग्रेस के धरमसिंह 28 मई 2004 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने लेकिन उनकी सत्ता को लंबी आयु नहीं मिली क्योंकि मतभेद के चलते कुमारस्वामी ने अपने विधायकों के साथ कांग्रेस से समर्थन वापस ले लिया और धरमसिंह की सरकार गिर गई।
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कुमारस्वामी ने बीजेपी से गठबंधन किया था लेकिन...
इसके बाद कुमारस्वामी ने बीजेपी से गठबंधन किया और साल 2006 में सीएम की कुर्सी पर बैठे , इस दौरान बीजेपी-जेडीएस के बीच करार हुआ था कि दोनों पार्टियों के नेता बारी-बारी से और बराबर-बराबर समय के लिए मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन कुमारस्वामी ने यहां बीजेपी को धोखा दिया और अपना कार्यकाल पूरा होते ही सीएम पद से इस्तीफा दे दिया, इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा लेकिन इसके दो दिन बाद नंबवर 2007 को बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी, जिसे कुमारस्वामी ने बाहर से समर्थन दिया.हालांकि, सात दिन के बाद ही कुमारस्वामी ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई।
नई सरकार के गठन के लिए बीजेपी सक्रिय
कुछ इस तरह का हाल इस बार भी हुआ है फर्क सिर्फ इतना है कि बागी विधायकों की वजह से कुमारस्वामी की सीएम की कुर्सी चली गई, फिलहाल राज्य में नई सरकार के गठन के लिए बीजेपी सक्रिय हो गई है, वहीं सरकार गिरने के बाद कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया बोले कि, मैं फिर से कहना चाहूंगा कि जो लोग 'ऑपरेशन कमल' में शामिल हुए हैं, उन्हें दोबारा हमारी पार्टी में कभी शामिल नहीं किया जाएगा। चाहे आसमान ही क्यों ना गिर पड़े।
केवल तीन मुख्यमंत्री ने ही पूरा किया अपना कार्यकाल
यहां आपको एक खास बात आपको बताते हैं कि कर्नाटक के इतिहास में केवल तीन मुख्यमंत्री ही ऐसे हैं जिन्होंने अब तक पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा कर पाए और उन तीन मुख्यमंत्रियों के नाम हैं, एस निजलिंगप्पा (1962-68), डी देवराजा उर्स (1972-77) और सिद्धारमैया (2013-2018), इन तीनों ही कांग्रेस के नेता रहे हैं, बीजेपी और जेडीएस दोनों ही के नेता पांच साल का कार्यकाल पूरा करने में अभी तक सफल नहीं हुए हैं।
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