#HisChoice: 'हां, मैं स्पर्म बेचता हूं पर यह कोई गुनाह नहीं'
वैसे भी स्पर्म ख़रीदने वाले अविवाहित लड़कों को प्राथमिकता देते हैं और 25 तक की उम्र को ही ये इस लायक मानते हैं.
एक स्पर्म डोनर होने के नाते इसके बारे में मुझे कई चीज़ें पता हैं. मतलब स्पर्म की क़ीमत केवल स्पर्म की गुणवत्ता से ही तय नहीं होती है. आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि कैसी है, माता-पिता क्या करते हैं, आपने कितनी पढ़ाई-लिखाई की है. ये सारी बातें मायने रखती हैं.
"विक्की डोनर'' में तो अडल्ट तस्वीरें लगी दिखाई थीं लेकिन यहां तो एक वॉशरूम है जहां दीवार, कमोड, नल और वॉशबेसिन हैं.
पहली बार मैं काफ़ी असहज महसूस कर रहा था. अपने कमरे में हस्तमैथुन करना और बेचने के लिए करना, दोनों में बहुत फ़र्क़ है.
वॉशरूम में एक प्लास्टिक के कंटेनर पर मेरा नाम लिखा था. मैंने हस्तमैथुन करने के बाद उसे वॉशरूम में छोड़ दिया. मुझे इसके एवज में 400 रुपए दिए गए.
मेरी उम्र 22 साल की है और मैं एक इंजीनियरिंग का छात्र हूं.
मेरी उम्र में गर्लफ्रेंड की चाह होना और किसी के प्रति यौन आकर्षण होना आम बात है.
लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप किसी के साथ भी शारीरिक संबंध बना लेंगे.
शादी से पहले संबंध
मैं जिस छोटे शहर से आता हूं वहां शादी से पहले संबंध बनाना इतना आसान नहीं होता.
मुझे लगता है कमोबेश यही स्थिति लड़कियों की भी होती है.
ऐसे में लड़कों के लिए हस्तमैथुन एक विकल्प बनता है. लेकिन मुझे क्या पता था कि जिसे कल तक बर्बाद करता था उसे आज बेचने जाने लगूंगा.
स्पर्म डोनेशन के बारे में मैंने अख़बार में एक रिपोर्ट पढ़ थी.
इससे पहले मैंने रक्तदान तो सुना था, लेकिन स्पर्म डोनेशन शब्द शायद पहली बार पढ़ा था.
मेरी जिज्ञासा और बढ़ी और मैंने उस रिपोर्ट को पूरा पढ़ा. रिपोर्ट पढ़ी तो पता चला कि हमारे देश में ऐसे लाखों दंपती हैं जो स्पर्म की गुणवत्ता में कमी के कारण बच्चे पैदा नहीं कर पा रहे हैं और इसी वजह से स्पर्म डोनेशन का दायरा तेज़ी से बढ़ रहा है.
मुझे ये पता चला कि दिल्ली के जिस इलाक़े में मैं रहता हूं, वहीं मेरे घर के पास स्पर्म डोनेशन सेंटर है. मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों न जाकर देखा जाए.
मसला मेरे लुक का नहीं
मैं गोरा हूं, मेरी क़द-काठी भी ठीक है और बास्केटबॉल खेलता हूँ.
मैंने जब स्पर्म कलेक्शन सेंटर जाकर स्पर्म देने का प्रस्ताव रखा तो वहाँ बैठे डॉक्टर मुझे देखकर मुस्कुराए. वो मेरी पर्सनैलिटी से ख़ुश दिखाई दिए और डॉक्टर की ये प्रतिक्रिया देखकर मैं थोड़ा असहज हो गया.
लेकिन यहां मसला केवल मेरे लुक का नहीं था.
मैं अपने स्पर्म बेच रहा था और इसके लिए मुझे ये साबित करना था कि बाहर से जितना मज़बूत हूं अंदर से भी उतना ही तंदुरुस्त होना चाहिए.
डॉक्टर ने मुझसे कहा कि तुम्हें कुछ जांचों से गुज़रना होगा.
मेरा ब्लड सैंपल लिया गया. इसके ज़रिए एचआईवी, डायबिटीज़ और कई तरह की बीमारियों की जांच की गई.
मैं सब पर खरा उतरा तो जांच के तीसरे दिन मुझे सुबह नौ बजे बुलाया गया.
मेरे स्पर्म से कोई मां बन सकती
मुझसे एक फॉर्म भरवाया गया, जिसमें गोपनीयता की शर्तें दी गई थीं. इसके बाद मुझे प्लास्टिक का एक छोटा सा कंटेनर दिया गया और वॉशरूम का रास्ता दिखा दिया गया.
अब ये सिलसिला चल पड़ा था. मैं अपना नाम लिखा प्लास्टिक का कंटेनर वॉशरूम में छोड़ता और पैसे लेकर निकल जाता.
मुझे ये ख्याल तसल्ली देता कि मेरे स्पर्म डोनेट करने से कोई मां बन सकती है.
मुझे ये भी बताया गया कि स्पर्म डोनेट करने में तीन दिन का समय होना चाहिए यानी पहले दिन डोनेट करने के बाद अगली बार कम से कम 72 घंटे बाद ही स्पर्म डोनेट किया जा सकता है.
लेकिन अगर ज़्यादा समय बीत जाता है तो स्पर्म डेड हो जाते हैं.
'खुद को ठगा सा महसूस कर रहा था'
कुछ महीने बाद मेरे मन में ये ख्याल आने लगे कि कि क्या मुझे इस काम के पैसे काफ़ी मिल रहे हैं.
'विक्की डोनर' फिल्म में तो हीरो इस काम के ज़रिए अमीर होता जाता है और मुझे एक बार डोनेट करने के महज़ 400 रुपए मिल रहे थे.
मतलब हफ़्ते में दो बार स्पर्म डोनेट किए तो 800 रुपए मिलते और महीने में 3200 रुपए. मैं ख़ुद को ठगा सा महसूस कर रहा था.
मैंने स्पर्म सेंटर जाकर फ़िल्म का हवाला दिया और पैसे कम देने पर नाराज़गी जाहिर की.
लेकिन मेरा क़द-काठी और गोरे रंग का गुमान उस समय चकनाचूर हो गया जब सेंटर में मुझे कंप्यूटर पर वो सारे मेल दिखाए गए, जहां लोग अपना स्पर्म बेचने के लिए लाइन में लगे हुए हैं.
ख़ैर, मैंने भी ख़ुद को ये कहकर बहलाया कि मैं कोई आयुष्मान खुराना तो हूं नहीं. शायद इतने कम पैसे के कारण ही हम जैसे लोगों को डोनर कहा जाता है न कि सेलर.
भले पैसे कम हों, लेकिन मेरे जीवन पर इसका एक सकारात्मक असर पड़ा है. अब लगता है कि स्पर्म्स को यूं ही बर्बाद नहीं करना चाहिए.
दूसरा यह कि घर पर पहले की तरह हर दिन हस्तमैथुन करने की आदत छूट गई है.
मुझे ये भी पता है कि मैं कोई ग़लत काम नहीं कर रहा, लेकिन मैं इस बारे में सबको नहीं बता सकता. इसका मतलब ये क़तई नहीं है कि मैं किसी से डरता हूं. लेकिन मुझे नहीं लगता कि समाज इतना परिपक्व है कि वो इसे संवेदनशीलता से समझे.
मेरे मन में कोई अपराध बोध नहीं है पर लोगों के बीच इसे बताना भी ख़तरे से ख़ाली नहीं है.
गर्लफ्रेंड को बताने में दिक़्क़त नहीं
मैं इस बारे में अपने घर में भी किसी को नहीं बता सकता, क्योंकि मेरे माता-पिता को इस बात से झटका लगेगा. हालांकि दोस्तों के बीच ये विषय टैबू नहीं है और मेरे दोस्तों के बीच अब ये आम बात है. दिक़्क़त परिवार और रिश्तेदारों के बीच है.
मुझे अपनी गर्लफ्रेंड को भी बताने में कोई दिक़्क़त नहीं है.
वैसे अभी मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है. पहले थी, लेकिन मेरी जो भी गर्लफ्रेंड होगी वो पढ़ी-लिखी होगी और मुझे लगता है कि वो इसे सही ढंग से ही लेगी.
मुझे लगता है कि पत्नियां ज़्यादा पज़ेसिव होती हैं और वो नहीं चाहेंगी कि उनका पति शौक से जाकर किसी को स्पर्म दे. मैं अपनी पत्नी को ये बात नहीं बताना चाहूंगा.
वैसे भी स्पर्म ख़रीदने वाले अविवाहित लड़कों को प्राथमिकता देते हैं और 25 तक की उम्र को ही ये इस लायक मानते हैं.
एक स्पर्म डोनर होने के नाते इसके बारे में मुझे कई चीज़ें पता हैं. मतलब स्पर्म की क़ीमत केवल स्पर्म की गुणवत्ता से ही तय नहीं होती है. आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि कैसी है, माता-पिता क्या करते हैं, आपने कितनी पढ़ाई-लिखाई की है. ये सारी बातें मायने रखती हैं.
अगर आपको अंग्रेज़ी आती है तो स्पर्म की क़ीमत भी बढ़ जाती है. हालांकि अंग्रेज़ी आने वाले व्यक्ति के स्पर्म से जन्मी संतान पर क्या असर पड़ता होगा मुझे नहीं पता है, लेकिन कई लोग ऐसे स्पर्म की मांग करते हैं. इनके पास जैसे ग्राहक आते हैं, वैसी ही हमलोग से मांग भी करते हैं.
मुझे पता है कि स्पर्म डोनर की मेरी पहचान उम्र भर साथ नहीं रहेगी क्योंकि उम्र भर स्पर्म भी नहीं रहेगा. मुझे पता है कि यह पहचान मेरी मां के लिए शर्मिंदगी की वजह होगी और कोई लड़की शादी करने से इनकार कर सकती है. लेकिन क्या मेरी मां या मेरी होने वाली बीवी को ये पता नहीं होगा कि इस उम्र के लड़के हस्तमैथुन भी करते हैं. अगर स्पर्म डोनेशन को शर्मनाक मानते हैं तो हस्तमैथुन भी शर्मनाक है. लेकिन मैं मानता हूं कि दोनों में से कोई शर्मनाक नहीं है.
(ये कहानी एक पुरुष की ज़िंदगी पर आधारित है जिनसे बात की बीबीसी संवाददाता रजनीश कुमार ने. उनकी पहचान गुप्त रखी गई है. इस सिरीज़ की प्रोड्यूसर सुशीला सिंह हैं. इलस्ट्रेशन बनाया है पुनीत बरनाला ने.)
ये कहानी #HisChoice सिरीज़ का हिस्सा है. #HisChoice की कहानियों के ज़रिए हमारी कोशिश उन पुरुषों के दिल-दिमाग में झांकने की है जिन्होंने समाज के बनाए एक ख़ास खाँचे में फ़िट होने से इनकार कर दिया.
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