हिंदूवादी संगठन ने नए साल के मौके पर जारी किया 'दंगों का कैलेंडर'
नई दिल्ली। दक्षिणपंथी संगठन, हिंदू संहिता ने गुरुवार को नए साल के मौके पर 'दंगों का कैलेंडर' जारी किया है। इस कैलेंडर में बीते 70 सालों में देश में हुए 'जातीय-धार्मिक हिंसा' का सिलसिलेवार जिक्र है। हिंदू संहिता संगठन के संस्थापक और सलाहकार, तपन घोष ने बताया कि सिर्फ फरवरी 2001 से दिसंबर 2016 तक पश्चिम बंगाल में ही सांप्रदायिक हिंसा की 57 बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं।
'ममता सरकार में हुई बड़ी संख्या में हुई हिंसा'
तपन घोष ने दावा किया कि 2011 में राज्य में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद बड़ी संख्या में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। घोष ने कहा, 'पश्चिम बंगाल में 34 साल तक लेफ्ट की सरकार थी। इस दौरान राज्य में भारी संख्या में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई लेकिन इनमें में ज्यादातर घटनाओं को दर्ज नहीं किया गया।'
2010 में हुई थी धार्मिक हिंसा की बड़ी घटना
घोष ने बताया, 'ऐसी ही हिंसा की एक बड़ी घटना 2010 में नार्थ 24 परगना के देगंगा इलाके में हुई थी। तब राज्य में लेफ्ट की सरकार थी। हालांकि तृणमूल कांग्रेस की सरकरा आने के बाद भी राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है।' तपन घोष ने आगे कहा कि हम चाहते हैं कि राज्य सरकार दंगों में शामिल सभी दोषियों को बिना उनकी जाति, धर्म, लिंग आदि देखे उन्हें पकड़ें और उनपर कार्रवाई करे।
57 मामलों में हिंदू बने निशाना
हिंदू संहिता ने जो कैलेंडर जारी किया था उसमें से ज्यादातर उन धार्मिक हिंसा के मामलों को लिया गया है जिनमें हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया है। कैलेंडर में इस तरह की 57 घटनाएं हैं। बता दें कि पश्चिम बंगाल में भाजपा सरकार, अल्पसंख्य तुष्टीकरण के नाम पर काफी दिनों से ममता सरकार पर हमलावर है।