पाकिस्तान में लगातार घटे हैं हिंदू, हिंदू आबादी और मंदिर,1947 में थे 428, अब हैं सिर्फ 20 मंदिर
नई दिल्ली। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी के सदस्यों के नेतृत्व में भीड़ द्वारा एक हिंदू मंदिर में की गई तोड़फोड़ की घटना ने एक बार फिर पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं की दशा-दिशा को फिर दुनिया के सामने ला दिया है। खैबर पख्तूनख्वा में करक जिले के टेरी गांव में स्थित हिंदू मंदिर को गत बुधवार को कुछ लोगों ने तोड़फोड़ करने के बाद आग के हवाले कर दिया। उपद्रवियों ने मंदिर के विस्तार कार्य के विरोध में यह तोड़फोड़ की थी।
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बंटवारे के बाद पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों की धार्मिक छिन गई
गौरतलब है वर्ष 1947 में बंटवारे के बाद इस्लामी राष्ट्र के रूप में दुनिया में प्रकट हुए पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों की धार्मिक छिन गई। जिस समय भारत का बंटवारा हुआ, उस समय पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर हिंदू मंदिर थे, लेकिन उनमें से ज्यादातर अब काफी खराब स्थिति में हैं। हालात ये हैं कि पाकिस्तान में बचे-खुचे मंदिरों में ही पूजा होती है। अभी हाल में इस्लामाबाद में पहला हिंदू मंदिर बनने की तैयारी हो रही थी, लेकिन पाकिस्तान की एक संस्था ने इसके निर्माण का विरोध शुरू कर दिया। हालांकि पाकिस्तान के निर्माण के बाद इस्कॉन द्वारा बनाए गए दो मंदिर वजूद में हैं।
बंटवारे के बाद पाकिस्तान कट्टर इस्लामी राष्ट्र के रूप मे उभरा
हिंदू और मुस्लिम आधार पर हुए बंटवारे के बाद भारत और पाकिस्तान के रूप में वजूद में आया भारत, जहां एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना, वहीं पाकिस्तान कट्टर इस्लामी राष्ट्र के रूप मे उभरा, जहां बंटवारे के कुछ साल बाद तक मजहबी घृणा चरम पर थी। इसलिए वहां रह गए हिंदू अल्पसंख्यक मंदिर बनाने के बारे में सोच भी नहीं सकता था। यही नहीं, जब 6 दिसंबर 1992 को जब अयोध्या में बाबरी ढांचे का विध्वंस हुआ, तो वहां करीब 100 मंदिरों को निशाना बनाया गया था।
बंटवारे के दौरान पाकिस्तान की धरती पर 428 मंदिर मौजूद थे
ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट्स मूवमेंट ने एक सर्वे कर बताया है कि जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो बड़ी संख्या में हिंदू और सिख पाकिस्तान से हिन्दुस्तान गए थे, उस दौरान पाकिस्तान की धरती पर 428 मंदिर मौजूद थे, लेकिन 1990 आते-आते इन सभी मंदिरों को धीरे-धीरे कब्जे में लेकर यहां अब दुकानें, रेस्टोरेंट, होटल्स, दफ्तर, सरकारी स्कूल या फिर मदरसे खोल दिए गए हैं। सर्वे में आरोप लगाया गया कि पाकिस्तान सरकार ने इवैक्यूई प्रॉपर्टी ट्रस्ट बोर्ड को अल्पसंख्यकों की पूजा वाले स्थलों की 1.35 लाख एकड़ जमीन लीज पर दे दी थी। इस ट्रस्ट ने ही इन सारे मंदिरों कि ज़मीन हड़प ली।
2000 के बाद इस्कॉन ने पाकिस्तान मंदिर बनाने की कोशिश शुरू की
हालांकि वर्ष 2000 के बाद इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णाकांशसनेस यानी इस्कॉन ने इसके लिए वहां पाकिस्तान सरकार से बातचीत करके मंदिर बनाने की कोशिश शुरू की, लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था। इस काम में इस्कॉन के न्यूयॉर्क और ब्रिटेन के संपर्क भी काफी काम आए। वैसे, बीते अप्रैल में इमरान सरकार ने 400 मंदिरों को दोबारा खोलने का फैसला जरूर लिया था।
हाल में इमरान सरकार ने 400 मंदिरों को दोबारा खोलने का फैसला किया
पाकिस्तान में जिन मंदिरों की हालत खराब थी, उन्हें सरकारी पैसे से मरम्मत के लिए से ही फंड भी दिया जाने का ऐलान किया गया था। साल 2019 में पाकिस्तान के सियालकोट में 1 हजार साल से भी ज्यादा पुराना शिवाला तेजा मंदिर दोबारा खोला गया था। शिवाला तेजा मंदिर आजादी के बाद से ही बंद पड़ा था और 1992 के बाद इसे भारी नुकसान भी पहुंचाया गया था। इस मंदिर के रेनोवेशन पर 50 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हुए थे।
प्रसिद्ध काली बाड़ी मंदिर को ताज महल होटल में तब्दील कर दिया गया
पाकिस्तान में स्थित कई मंदिरों की कहानी ऐसी है, जिन्हें अब होटल, दुकान या किसी मदरसे में तब्दील कर दिया गया है। सर्वे के मुताबिक काली बाड़ी नाम के एक प्रसिद्ध मंदिर को दारा इस्माइल खान ने खरीदकर ताज महल होटल में तब्दील कर दिया है। इसके आलावा खैबर पख्तूनख्वाह के बन्नू जिले में एक हिंदू मंदिर था जहां अब मिठाई की दुकान है। कोहाट में शिव मंदिर था जिसे सरकारी स्कूल में बदल दिया गया है।
रावलपिंडी में हिंदू मंदिर ढहाकर वहां कम्युनिटी सेंटर बना दिया गया
इसके आलावा रावलपिंडी में भी एक हिंदू मंदिर था, जिसे पहले ढहाया गया और बाद में वहां कम्युनिटी सेंटर बना दिया गया। चकवाल में भी 10 मंदिरों को तोड़कर कमर्शियल कॉम्प्लैक्स बना दिया गया। इसके अलावा एब्टाबाद में सिखों के गुरुद्वारा को तोड़कर वहां कपड़े की दुकान खोल दी गई। एक ताजा सरकारी सर्वे के मुताबिक साल 2019 में सिंध में 11, पंजाब में 4, बलूचिस्तान में 3 और खैबर पख्तूनख्वाह में 2 मंदिर चालू स्थिति में हैं।
पाकिस्तान में प्रत्येक वर्ष जबरन धर्मपरिवर्तन हजारों मामले सामने आते हैं
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं की दशा-दिशा को समझने के लिए हर साल वहां हो रहे जबरन धर्मपरिवर्तन के आंकड़ों पर गौर करना चाहिए, जहां प्रत्येक वर्ष हजारों ऐसे मामले सामने आते हैं। पाकिस्तान में गैर-मुस्लिम लड़कियों के जबरन अपहरण, धर्म परिवर्तन और इसके बाद जबरन किसी मुसलमान से उनकी शादी आम बात है। यूनाइटेड स्टेट्स कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम के डेटा की मानें तो पाकिस्तान में हर साल 1 हजार से ज्यादा लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराया जाता है, जिनमें ज्यादातर हिंदू और क्रिश्चियन लड़कियां ही होती हैं।
बंटवारे के वक्त पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी 15 फीसदी थी
इतिहास गवाह है जब भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारा हुआ था तब पाकिस्तान (पश्चिमी पाकिस्तान) में हिंदुओं की आबादी 15 फीसदी थी, जो पाकिस्तान में हुई 1998 की जनगणना के मुताबिक अब महज 1.6 फीसदी रह गई है। ह्यूमन राइट सर्व रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी 1931 की जनगणना में 15 फीसदी थी। 1941 में यह आकंड़ा 14 फीसदी रह गया और बंटवारे के बाद यह आंकड़ा बुरी तरह से गिरकर केवल 1.3 फीसदी पहुंच गया था। यह आंकड़ा 1961 में यह 1.4 प्रतिशत का था जो 1981 और फिर 1998 में क्रमशः 1.6 और 1.8 फीसदी रह गया है।