Hindi Diwas Speech: हिंदी दिवस पर ऐसे तैयार कीजिए स्पीच/भाषण
बेंगलुरु।अंग्रेजी भाषा की वजह से हिंदी भाषा के गिरती लोकप्रियता को रोकने के लिए हर साल 14 सितंबर को देश भर में 'हिंदी दिवस' मनाया जाता है। हिंदी को जानने, समझने और बोलने वाले लोग देश के कोने-कोने में फैले हुए हैं। हिंदी दिवस मनाने के पीछे सरकार का प्राथमिक उद्देश्य हिंदी भाषा की संस्कृति को बढ़ावा देना और फैलाना है।
इस अवसर पर स्कूलों और कार्यालयों में हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिसमें हिंदी दिवस पर भाषण प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। अगर आप भी ऐसी प्रतियोगिता में सहभागिता कर रहे हैं तो आप स्पीच/भाषण इस तरह से तैयार कर सकते हैं। आइए हम आपको ऐसे अवसर के लिए तैयार करते हैं। निश्चित रूप से यह आपको अपने भाषण को प्रभावी बनाने में सहायता करेगा। लेकिन आपको एक बात याद रखनी होगी भाषण चूंकि हिंदी दिवस पर हैं इसलिए आपको हिंदी शब्दों का ही प्रयोग करना होगा सही और स्पष्ठ उच्चारण के साथ।
छोटी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों के लिए भाषण
आदरणीय
प्रधानाचार्य
महोदय,
उप-प्रधानाचार्य
महोदय,
माननीय
शिक्षक
गण
एवं
मेरे
प्रिय
साथियों।
आज
हिंदी
दिवस
के
मौके
पर
मैं
आप
सबके
सामने
इस
विषय
पर
कुछ
जानकारियां
लेकर
उपस्थित
हूं
और
आशा
करती
हूं
की
यह
आप
सबको
अवश्य
रोचक
लगेंगे।
हर
वर्ष
14
सितंबर
को
हिंदी
दिवस
के
रूप
में
मनाया
जाता
है
और
इस
सप्ताह
को
हिंदी
पखवाड़ा
कहा
जाता
है।
पूरे
विश्व
में
सबसे
जादा
बोली
जाने
वाली
भाषाओं
में
से
हिंदी
चौथी
नंबर
की
भाषा
है।
आज़ादी
मिलने
के
बाद,
देश
मे
अंग्रेजी
के
बढ़ते
उपयोग
और
हिंदी
के
बहिष्कार
को
देखते
हुए
हिंदी
दिवस
मनाने
का
निर्णय
लिया
गया।
14
सितंबर
को
1949
को
हिंदी
को
राजभाषा
बनाया
गया
परंतु
गैर
हिंदी
राज्यों
ने
इसका
बहुत
विरोध
किया,
जिसके
कारणवश
अंग्रेजी
को
यह
स्थान
मिल
गया
और
तब
से
लेकर
आज
तक
हिंदी
के
सर्वत्र
विकास
के
लिये
हिंदी
दिवस
मनाया
जाता
है
और
हर
कार्यालय
में
हिंदी
विभाग
बनाया
गया।
ताकि
हिंदी
को
जन-जन
तक
पहुंचाया
जाए
और
हिंदी
को
भारत
में
राष्ट्रभाषा
का
सम्मान
मिल
पाए।
धन्यवाद!
स्कूल, कालेज एवं कार्यालय के लिए ऐसे लिखे भाषण
भाषण
-
1
यहां
उपस्थित
सभी
बड़ों
को
मेरा
स्नेह
भरा
नमस्कार।
आज
मैं
आपके
सामने
हिंदी
दिवस
के
महत्व
के
बारे
मे
कुछ
शब्द
कहने
के
लिये
उपस्थित
हुई
हूं
और
आशा
करती
हूं
की
यह
आप
सबको
जरूर
ज्ञानवर्धक
लगेगी।
गांधी जी ने 1918 में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने कि बात कही थी। जिस पर आगे चल कर 14 सितंबर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद, हिन्दी को राजभाषा के रूप में संविधान में जोड़ा गया। परंतु गैर हिंदी राज्यों ने इसका जम के विरोध किया जिसकी वजह से, एक गैर भारतीय भाषा अंग्रेजी को भी यह दर्जा देना पड़ा। जिसकी देन है कि आज हमें हिंदी के उत्थान के लिए हिंदी दिवस मनाना पड़ रहा है।
हिंदी के बहिष्कार के बाद से 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। और साथ ही साथ हिंदी सप्ताह का भी आयोजन किया जाने लगा। जिसके तहत निबंध प्रतियोगिता, भाषण, काव्य गोष्ठी, वाद-विवाद जैसी प्रतियोगिताएं कराई जाने लगीं, ताकि लोगों में इस भाषा के प्रति रुचि जागे और वे इन प्रतियोगिताओं में भाग लें और वे इस भाषा के ज्ञान को बढ़ाएं। साथ ही साथ सभी सरकारी कार्यालयों मे हिंदी विभाग का गठन किया गया जिसका कार्य कार्यालय में सबको हिंदी सिखाना और हिंदी भाषा के महत्व को बढ़ाना है।
इस प्रकार हम 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाते आए हैं और हिंदी के उत्थान मे अपना योगदान देते रहे हैं और सदा देते रहेंगे। धन्यवाद।
भाषण - 2
आदरणीय मुख्य अतिथि एवं सभी आगंतुकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार
इस समारोह में शामिल होने और हम सभी के लिए इसे और अधिक विशेष बनाने के लिए धन्यवाद। हमारे पब्लिकेशन हाउस पर हम 5वां वार्षिक हिंदी दिवस मनाने के लिए यहां इकट्ठे हुए हैं। यह हर साल 14 सितंबर को एक वार्षिक समारोह के साथ मनाया जाता है। यह दिन भारत के हिंदी भाषी राज्यों में उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यद्यपि हिंदी दिवस का जश्न भारत सरकार के सभी केंद्रों, कार्यालयों, स्कूलों और सभी संस्थानों में सरकारी वित्त पोषित कार्यक्रम है लेकिन हमारा कार्यालय इस अवसर को उत्साह के साथ मनाता है। इसे मूल रूप से पूरी दुनिया में हिंदी भाषा की संस्कृति को बढ़ावा देने और प्रसार करने के लिए मनाया जाता है। इसका महत्व इस दिन आयोजित कार्यक्रमों, समारोहों, प्रतियोगिताओं और विभिन्न प्रकार के उत्सवों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। हिंदी दिवस को उनकी एकता और आम व्यक्ति की हिंदी भाषा आबादी के लिए एक वफादार अनुस्मारक के रूप में भी मनाया जाता है।
हमारा संगठन इस दिन के जश्न को बहुत महत्व देता है हालांकि हमारा पब्लिकेशन हाउस अंग्रेजी भाषा में अखबारों और पत्रिकाओं को प्रकाशित करते हैं लेकिन हम हमारी मातृभाषा हिंदी को अत्यंत सम्मान देते हैं क्योंकि यह हमारी राष्ट्रीय भाषा है। अब कृपया मुझे हिंदी दिवस की पृष्ठभूमि साझा करने की अनुमति दें! 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान ने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था। यह निर्णय भारत के संविधान द्वारा स्वीकृत किया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। अनुच्छेद 343 के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखा गया भारतीय संविधान ने हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। अब दो भाषाएं हैं, हिंदी और अंग्रेजी, जो आधिकारिक तौर पर भारत सरकार के स्तर पर इस्तेमाल की जाती हैं।
आप सभी को हमारे कार्यालय में पिछले एक महीने से चल रही प्रतियोगिता के बारे में पता होना चाहिए। हर साल हम कुछ दिलचस्प और जानकारीपूर्ण काम करते हैं। चूंकि हमारा खुद का पब्लिकेशन हाउस हैं इसलिए उत्सव और समारोह ज्यादातर शिक्षा के आसपास ही घूमता है। इस साल हमारा विषय 'कबीर दास के दोहे' (संत कबीर दास की कविताएं) है। प्रतिभागियों को कबीर दास की कविताओं पर शोध करके और नाटक, गीत, विभिन्न भारतीय नृत्य रूपों आदि के माध्यम से एक रचनात्मक और अभिनव तरीके से मूल रूप से प्रस्तुत करना था। हमने पिछले हफ्ते आयोजित समारोह में कई सहयोगियों से सराहना प्राप्त की। हम आज प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा करेंगे।
मुझे यह जानने में बहुत खुशी हो रही है कि अभी भी बहुत से लोग हैं जो हमारी भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने में दिलचस्पी रखते हैं और हिंदी भाषा के महत्व को आगे बढ़ा रहे हैं। मैं यहां उपस्थित सभी लोगों से अपील करता हूं कि अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में यथासंभव हिंदी भाषा का इस्तेमाल करें और लोगों के बीच इसे और अधिक व्यापक बनाए।
दुर्भाग्य से 'हिंदी' भाषा का महत्व धीरे-धीरे नीचे गिर रहा है। जो लोग हिंदी बोलते हैं उन्हें तथाकथित हाई क्लास सोसाइटी द्वारा संदेह की दृष्टि के साथ देखा जाता है। लोग सार्वजनिक स्थानों में हिंदी बोलते वक़्त शर्म महसूस करते हैं। हालांकि मैंने यह भी देखा है कि बहुत से शिक्षित लोग हिंदी में बहुत आत्मविश्वास से बातचीत करते हैं। मेरे संपर्क में कई लोग हैं जिनसे मैं जुड़ा हुआ महसूस करता हूँ जब वे हिंदी बोलते हैं।
हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और हमें हमेशा भाषा का जितना संभव हो प्रयोग करते समय गर्व महसूस करना चाहिए।
धन्यवाद।
भाषण – 3
आदरणीय प्रधानाचार्य, प्रिय साथी शिक्षकगण, माता-पिता और मेरे प्रिय छात्रों!
हर साल की तरह आज हम हिंदी दिवस मनाने के लिए यहाँ इकट्ठे हुए हैं। मैं कार्यक्रम की मेजबानी करने की जिम्मेदारी पाकर बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। हमारा स्कूल बेहद जोश और उत्साह के साथ हिंदी दिवस मनाता है। हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और हमारी पहचान का एक हिस्सा भी है। इस प्रकार मुझे आपको आज का जश्न मनाने के लिए हिंदी दिवस पर स्वागत करते हुए बहुत खुशी मिलती है।
आप में से अधिकांश को इस बात से अवगत होना चाहिए कि 1949 से 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारतीय संविधान ने अंग्रेजी को हिंदी के साथ-साथ अपने देश की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। स्वतंत्रता के दो साल बाद नवगठित प्रशासन राष्ट्र के कई सांस्कृतिक भाषाई और कई धार्मिक समूहों को एकजुट करने के लिए सामाजिक दबाव में था। यह भी महत्वपूर्ण था कि पूरे देश को एक साथ रखने में अद्वितीय राष्ट्रीय एकता को बनाए रखा गया। चूंकि भारत में ऐसी कोई भी भाषा नहीं थी जो इसे एक अनूठी राष्ट्रीय पहचान दे सकती थी इसलिए एकीकरण के समाधान के रूप में हिंदी को स्वीकार किया गया। इससे भी ज्यादा यह उत्तर भारत के प्रमुख हिस्सों में बोली जाती है। यह राष्ट्रीय भाषाई एकीकरण के लिए एक स्पष्ट संकल्प था। हालांकि भारत के एक विशाल क्षेत्र में बसे गैर-हिंदी भाषी इस विचार से असंतुष्ट थे। उन्होंने पूरी तरह से हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार नहीं किया क्योंकि वे सांस्कृतिक बेमेल के कारण इससे सामंजस्य नहीं बैठा पा रहे थे।
यह हिंदी दिवस के बारे में एक छोटी सी पृष्ठभूमि थी। हमारा स्कूल हर साल यह दिन मनाता है क्योंकि हम चाहते हैं कि हमारे छात्रों को इस भाषा के महत्व को पहचान लेना चाहिए। मेरी राय में हम एक दूसरे से और अधिक जुड़े हुए महसूस करते हैं जब हम हिंदी में बोलते हैं। इससे वार्तालाप व्यक्तिगत हो जाता है क्योंकि इससे हमारे अंदरूनी विचारों और भावनाओं को व्यक्त करना आसान हो जाता है। वास्तव में अब गैर हिंदी भाषी क्षेत्रों ने भी हिंदी भाषा को समझना शुरू कर दिया है।
अंग्रेजी और अन्य विषयों जैसे गणित और विज्ञान के ज्ञान को प्रदान करने के साथ-साथ हमें हिंदी भाषा पर भी जोर देना चाहिए क्योंकि हमारे हिसाब से हिंदी भारतीय एकता का प्रतिनिधित्व है और हमारी राष्ट्रीय भाषा भी है। इस समारोह के एक हिस्से के रूप में हमारे स्कूल में कई कार्यक्रम, प्रतियोगिताएँ और पुरस्कार समारोह आयोजित किए जाते हैं। इस वर्ष का विषय ‘हिंदी हमारी मातृभाषा है'। यह देखना बहुत उत्साहजनक है कि किस तरह बच्चों ने बहुत उत्साह के साथ भाग लिया है और इसके लिए उनके माता-पिता को भी श्रेय देना ज़रूरी है जो शिक्षकों के साथ-साथ अपने बच्चों में इस संस्कृति का जिक्र करते हैं।
केंद्र सरकार भी राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है और हिंदी दिवस समारोह इन प्रयासों का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह दिवस सभी केंद्रीय कार्यालयों, स्कूलों और संस्थानों में मनाया जाता है। यह देखना बहुत उत्साहजनक है कि हमारी हिंदी भाषा न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता प्राप्त कर रही है।
आज के युवाओं को आगे आकर हिंदी भाषा को बढ़ावा देने में हाथ मिलाना होगा और हिंदी भाषा की देखभाल करने में गर्व महसूस करना होगा। जब हम ऐसा कहते हैं तो हमारा मतलब यह नहीं है कि आप अन्य भाषाओं जैसे अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा से दूर रहें जिसके साथ आप सहज हैं। हम केवल आप सबसे अपील करते हैं कि भारत को एक भाषा, एक देश के माध्यम से एकजुट करे।
धन्यवाद।
भाषण – 4
नमस्कार मेरे प्रिय मित्रों । आप सभी को यहाँ हिंदी दिवस की विशेष बैठक में इकट्ठा देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।
यह वह दिन है जब हम सभी अपनी राष्ट्रभाषा - हिंदी का प्रचार और प्रसार करते हैं। हिंदी दुनिया भर में अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाने वाली मूल भाषा है। यह भाषा भारत की मातृभाषा के रूप में घोषित की गई है। इस दिन कई सत्र, सेमिनार, समारोह आदि का आयोजन किया जाता है। इन समारोहों के दौरान विभिन्न हिंदी कविताओं, निबंधों आदि का आयोजन किया जाता है। इस दिन के पीछे का मुख्य एजेंडा है लोगों को हिंदी भाषा की आवश्यकता को पहचानना और लोगों को भी यह समझना चाहिए कि जो कोई सही तरीके से हिंदी भाषा बोलता है वह पिछड़ा हुआ नहीं है बल्कि यह वह है जो संजीदगी से हिंदी भाषा को आगे ले जा रहा है।
यह दिन हमारी मातृभाषा को सम्मान देने के लिए सालाना तौर पर मनाया जाता है। पूरे देश में हिंदी दिवस का उत्सव मनाया जाता है जो कि सबसे अधिक प्रचलित हिंदी भाषा के महत्व को दर्शाता है। इस दिन को देवनागरी लिपि में आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकृत हिंदी भाषा के प्राचीन समय को पहचानने के लिए कानूनी समर्पित दिन के रूप में घोषित किया गया है।
आजकल लोग अंग्रेजी सीखने के लिए उत्सुक हैं और महसूस करते हैं कि यदि वे हिंदी में बोलते रहे तो यह उनके कैरियर को प्रतिबंध या उनकी प्रगति में बाधाएं उत्पन्न कर सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है लोगों के लिए आगे बढ़ना और अन्य भाषाओं को सीखना महत्वपूर्ण है लेकिन हमारी मातृभाषा के महत्व को भूलना या कम करना, यह सही रास्ता नहीं है जिस पर हम आगे बढ़ते हैं। मेरे स्कूल के दिनों के दौरान हमारे शिक्षक विशेष रूप से विभिन्न प्राचीन हिंदी विषयों पर अंतर-कक्षाओं के बीच निबंध लेखन और कविता का पाठ सत्र का आयोजन करते रहते थे। वह समय वाकई मज़ेदार, मनोरंजक और शिक्षा के लिए इस्तेमाल होता था लेकिन आजकल स्कूलों का ध्यान ऑक्सफ़ोर्ड अध्ययन की दिशा में अधिक स्थानांतरित हो गया है और इसलिए वे सभी आयु समूहों में अंग्रेजी भाषा को बढ़ावा देते हैं। यह भी आवश्यक है लेकिन हमारे भीतर हिंदी भाषा का उत्तराधिकारी होने की जड़ होना बहुत महत्वपूर्ण है।
हमें भारत के नागरिकों के रूप में अपनी मातृभाषा - हिंदी को अन्य भाषाओं और दुनिया के अन्य देशों में मान्यता के महत्व को प्राप्त करने पर ध्यान देना चाहिए। इस प्रामाणिक भाषा के अस्तित्व का आकलन करने के कारण हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवसों के रूप में मनाया जाता है। मेरे विचार के अनुसार प्रत्येक विद्यालय, महाविद्यालय और संगठन को इस दिन हमारी हिंदी भाषा को समर्पित विशेष प्रतियोगिताओं के द्वारा मनाना चाहिए। कविता लेखन और कविता सुनाना, कथालेखन और कथा सुनाना, निबंध लेखन और हिंदी शब्दावली की प्रश्न उत्तर आदि के विभिन्न सत्रों को व्यवस्थित किया जा सकता है ताकि अन्य लोगों के साथ युवा पीढ़ी हिंदी भाषा से ज्यादा जुड़ी हो।
इस
सत्र
का
एक
हिस्सा
बनने
के
लिए
आप
सभी
को
धन्यवाद।
जय
हिंद!
जय
भारत!
हिंदी
भाषा
हमारी
रगों
में
दौड़ती
है।
हम
सभी
हर
वर्ष
एक
साथ
हिंदी
दिवसों
पर
विशेष
पहल
करने
की
प्रतिज्ञा
करते
हैं
जिससे
कि
हिंदी
भाषा
और
हिंदी
दिवस
का
अविश्वसनीय
मूल्य
प्रमुखता
पर
बना
रहे।
धन्यवाद।
भाषण
सुप्रभात प्रधानाचार्य , शिक्षकगण और मेरे प्रिय मित्रों । हमारे स्कूल द्वारा आयोजित इस विशेष सेमिनार सत्र का हिस्सा बनने के लिए आप सभी को धन्यवाद।
आज 14 सितंबर है। क्या आप में से किसी को इस तिथि के संबंध में कुछ याद है? आप में से अधिकांश लोग इसका जवाब नहीं दे पाएंगे केवल साहित्य अनुभाग से ही कुछ लोगों को इसका जवाब पता है। 14 सितंबर वह दिन है जो हिंदी दिवस के रूप में समर्पित है। एक दिन जिसे हमारी मातृभाषा - हिंदी भाषा को सम्मान देने और समर्पित करने के लिए आवंटित किया गया है।
इस दिन हमारे स्कूल की तरह कई स्कूल, कॉलेज और कार्यालयों में विशेष कार्यक्रम, सत्र और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है जिसमें हिंदी कविताएं, निबंध, कहानियां, प्रश्नोत्तरी आदि का आयोजन किया जाता है। यह हमारी दोहरी पूर्ति करता है एक हिंदी में उनकी शब्दावली का परीक्षण करने के लिए और दूसरा हिंदी भाषा के साथ जुड़ा हुआ महसूस करने के लिए। इसी के साथ इस दिन विशेष गायन प्रतियोगिताओं और अंताक्षरी खेलों का भी आयोजन किया जाता है। यह सब हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के प्रयास हैं जो एक राष्ट्र को एकजुट करता है।
विदेशी देशों में वहां के नागरिकों को पैसे लेकर उन्हें हिंदी सीखने के लिए स्वैच्छिक कक्षाएं लगाई जाती हैं। विभिन्न देशों में हिंदी सीखना नागरिकों के लिए बहुत उत्साही बात है। ईमानदारी से कहूँ तो दोस्तों हम भारत में फ्रांसीसी, स्पैनिश, आदि सीखते हैं। इसमें अपना करियर बनाना हमारा मकसद है परन्तु विदेश में लोग कैरियर बनाने के मकसद से नहीं बल्कि हिंदी में उनकी रूचि है इसलिए वे हिंदी सीखते हैं। हम भारतीयों के रूप में इस भाषा के अस्तित्व का समर्थन करते हैं और हर साल हिंदी दिवस के विशेष अवसर पर हमें खुद को छोटे रूप से संगठित करना चाहिए जिसमें हमें लोगों को विशेष प्रामाणिक विषयों पर कुछ हिंदी निबंध लिखने के लिए तैयार करना चाहिए। इससे लोग मातृभाषा से अधिक जुड़ेंगे और इस भाषा के अस्तित्व के प्रति और अधिक संतुष्ट महसूस कर सकेंगे।
हम देश के सतर्क नागरिकों के रूप में समाज में आगे बढ़ने और हमारी हिंदी भाषा की स्थिर पहचान के लिए हमारे समर्थन को आगे बढ़ाने की जरूरत है। हमें यह समझना चाहिए कि यह भाषा कितनी महत्वपूर्ण है यह स्पष्ट रूप से तब नोटिस में आता है जब हमें यह जानकारी मिलती है कि हमारी हिंदी भाषा ने इस दिन अपने जश्न के लिए कितनी प्रसिद्धी पाई है। वह गर्व का दिन था जब हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में मान्यता मिली। इस भाषा ने विश्व स्तर पर अपनी उपस्थिती दर्ज कराने के लिए एक लंबा रास्ता तय किया है।
अगर हम सभी हिंदी भाषा का समर्थन करें और हिंदी भाषा को सम्मान दें तो अंत में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हम हमारे देश के लिए सम्मान और समर्थन देते हैं। वर्तमान में बहुत सारे लेखक ऐसे हैं जो अत्यंत प्रामाणिक हिंदी लेखन के लिए समर्पित हैं और दूसरी कोई आग्रह नहीं करते हैं। हम सभी को साल भर में एक बार हिंदी दिवस समारोह का हिस्सा बनना चाहिए और हमें इसके अलावा कई गतिविधियों में संलग्न होना चाहिए जो हमारी मातृभाषा से संबंधित हैं।
इस सत्र का हिस्सा बनने के लिए आप सभी को धन्यवाद और हम सभी युवाओं को हमारी हिंदी भाषा की प्रगति के लिए समर्पित रहना चाहिए और हिंदी दिवस के अस्तित्व को प्रभावी ढंग से संबोधित करना चाहिए।
धन्यवाद।
भाषण
-
6
आदरणीय
प्रधानाचार्य
महोदय,
शिक्षकगण
और
यहां
उपस्थित
मेरे
सहपाठी
छात्रों
आप
सभी
का
इस
कार्यक्रम
में
हार्दिक
स्वागत
है।
आज
हिंदी
दिवस
के
अवसर
पर
हमारे
महाविद्यालय
में
इस
विशेष
कार्यक्रम
का
आयोजन
किया
गया
है।
जैसा
कि
आप
सब
जानते
है
कि
हिंदी
हमारे
देश
की
राजभाषा
है
और
इसके
सम्मान
के
उपलक्ष्य
में
हर
वर्ष
14
सिंतबर
को
हिंदी
दिवस
मनाया
जाता
है
क्योंकि
हिंदी
सिर्फ
हमारी
राष्ट्र
भाषा
ही
नही
बल्कि
हमारे
विचारों
का
सरलता
से
आदान-प्रदान
का
एक
जरिया
भी
है।
वैसे
तो
हर
वर्ष
साधरणतः
इस
दिन
हमारे
महाविद्यालय
में
कोई
विशेष
कार्यक्रम
का
आयोजन
नही
किया
जाता
था,
परन्तु
इस
वर्ष
से
इस
प्रथा
को
बदला
जा
रहा
है
और
अब
हमारे
आदरणीय
प्रधानाचार्य
महोदय
ने
यह
निर्णय
लिया
है
कि
अब
प्रत्येक
वर्ष
इस
दिन
को
बड़े
ही
धूम-धाम
से
मनाया
जायेगा।
मुझे इस बात की काफी खुशी है कि आज के इस विशेष दिन इस कार्यक्रम में मुझे आप सब की मेजबानी करने का अवसर मिला है। आज के अवसर पर मैं आप सबके सामने हिंदी के महत्व और वर्तमान काल में इसके उपर मंडरा रहे संकट तथा इसके निवारण के विषय में चर्चा करना चाहूँगा।
जैसा कि हम सब जानते है कि हिंदी भारत की सबसे ज्यादे बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है, वैसे देखा जाये तो हिंदी का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराना है, परन्तु आधुनिक काल (1850 ईस्वी के पश्चात) में इसमें सबसे अधिक विकास हुआ। यह वह समय था, जब हिंदी भाषा में भारतेंदु और प्रेमचंद जैसे महान सूर्यों का उदय हुआ। इसके साथ भारत के आजादी में भी हिंदी भाषा का काफी महत्व रहा है, चाहे वह आजादी के लिए तैयार किए गये हिंदी नारे हो या फिर देशभक्ति कविताएं सभी ने देश की जनता के ह्रदयों में क्रांति की ज्वाला को भरने का कार्य किया। यही कारण था कि हिंदी को जन-जन की भाषा माना गया और आजादी के पश्चात इसे राजभाषा का दर्जा मिला।
हिंदी के उपर मंडराता संकट
वर्तमान समय में हम इस बात से इंकार नही कर सकते कि हिंदी के उपर दिन-प्रतिदिन संकट गहराता जा रहा है। तथ्यों और किताबी बातो के लिए यह ठीक है कि हिंदी हमारी राज भाषा है पर इस बात से हम सब वाकिफ है, हममें से ज्यादेतर लोग सामूहिक मंचो और जगहों पर हिंदी बोलने से कतराते है। लोग चाहते कि उनके बच्चे अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पढ़े और फर्राटेदार अंग्रेजी बोले। जो इस बात को पूर्णतः प्रमाणित करती है कि हिंदी हमारे अपने ही देश में दोयम दर्जे की भाषा बनकर रह गयी है। इस बात को लेकर मुझे आचार्य चाणक्य का एक कथन याद आ रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि "कोई राष्ट्र तब तक पराजित नहीं होता, जब तक वह अपने संस्कृति और मूल्यों की रक्षा कर पाता है" उनका यह कथन वर्तमान भारत के परिदृश्य को बहुत ही अच्छे तरीके से परिभाषित करता है। जिसमें आज हम सभी में अग्रेंजी भाषा और अंग्रेजी तौर तरीके अपनाने की होड़ मची हुई है, जिसके लिए हम अपने मूल भाषा और रहन-सहन तक को छोड़ने के लिए तैयार हो गये हैं।
आज स्थिति ऐसी हो गयी है कि हमारे अपने ही देश में लोग हिंदी विद्यालयो में अपने बच्चों को दाखिला दिलाने में संकोच महसूस करते है। आज के समय में हमारे देश में अधिकतर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बेटा पहले अच्छे से अंग्रेजी लिखना और बोलना सिखे। हमारे इसी रवैये ने हमारे अपने ही देश में हिंदी को दोयम दर्जे की भाषा बनाकर रख दिया है। हलांकि अब लोग इस विषय को गंभीरता से ले रहे है और हिंदी का महत्व समझने लगे है, जोकि हमारे देश और समाज के लिए एक अच्छा संकेत है फिर भी हम चाहें तो इसके लिए और बेहतर प्रयास कर सकते है।
हिंदी के उन्नति के लिए किए जा सकने वाले प्रयास
ऐसे कई तरीके है जिनके द्वारा हम लोगो को हिंदी का महत्व समझा सकते है और अपने देश को उन्नति के मार्ग पर और भी सरलता से ले जा सकते हैं।
हमें
लोगो
को
यह
समझाने
का
प्रयास
करना
होगा
कि
आप
अपने
बच्चों
को
अंग्रेजी
अवश्य
सिखायें
पर
एक
दूसरी
भाषा
के
रुप
में
ना
कि
प्राथमिक
भाषा
के
रुप
में
यह
सारी
चीजे
बचपन
से
ही
करना
आवश्यक
ताकि
बाद
में
आगे
चलकर
उन्हें
सामूहिक
मंचो
से
हिंदी
बोलने
में
संकोच
ना
हो।
इसके
साथ
ही
लोगो
को
अपनी
इस
मानसिकता
को
बदलने
की
आवश्यकता
है
कि
अंग्रेजी
ही
आधुनिक
समाज
में
सबकुछ
है।
सामान्यतः
लोगो
में
यह
गलत
अवधारणा
आ
चुकी
है
कि
यदि
बच्चे
हिंदी
माध्यम
से
पढ़ेगे
तो
वह
कमजोर
हो
जायेंगे
और
जीवन
में
सफल
नही
हो
पायेंगे,
ऐसे
लोगो
को
हमें
यह
समझाना
होगा
ज्ञान,
ग्रहण
करने
वाले
की
क्षमता
और
एकाग्रता
पर
निर्भर
करता
है
नाकि
शिक्षा
की
भाषा
पर,
इसके
विपरीत
शोधों
में
यह
देखा
गया
है
कि
मातृ
भाषा
में
बच्चे
किसी
भी
विषय
को
और
अधिक
तेजी
से
सीख
पाते
है।
इसके
साथ
ही
सरकार
को
भी
इस
में
प्रयास
करते
हुए
अंग्रेजी
माध्यम
के
विद्यालयों
में
यह
सुनिश्चित
करना
चाहिए
की
अंग्रेजी
के
साथ
ही
वह
हिंदी
को
भी
बराबरी
का
स्थान
मिले।
अपने इस भाषण के द्वारा मैं आप सबसे बस यही कहना चाहता हूँ कि हमे इस अंग्रेजियत की पीछे कुछ ऐसा भी नही पागल होना चाहिए कि हम अपने संस्कृति, विचारों और भाषा को ही भूल जायें। यदि अंग्रेजी ही तरक्की का पर्याय होती तो जर्मनी, जापान और इटली जैसे देश इतने विकसित नही होते, जोकि अपने मातृभाषा को शिक्षा के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी इतना महत्व देते है।
अपने इस भाषण को समाप्त करते हुए मैं आप सबसे बस यहीं कहना चाहूँगा। जय हिंद, जय हिंदी, जय भारत!
मुझे अपना बहुमूल्य समय देने और इतने धैर्य से सुनने के लिए आप सबका धन्यवाद!