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पूरी हो जाएं ये 5 बातें तो भारत में फर्राटा भरेंगी बुलेट ट्रेनें

By Mayank
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नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार के 30 दिन पूरे होने पर उनकी कामकाज का आंकलन यदि सकारात्मक पहलू के साथ किया जाए तो यह एक देशवासी के तौर पर हमारी बेहतर पहल होगी। यदि पिछली सरकार को इतना लंबा वक्त देकर हम नई सरकार का मूल्यांकन महीने भर में ही करें तो यह अन्याय से कम नहीं होगा। आइए चर्चा करें मोदी के 'बुलेट सपने' की। यूरोप में फ्रांस ने सबसे पहले 1981 में पेरिस से लिऑन के बीच हाईस्पीड रेल लाइन डाली।

फ्रांस के टीजीवी नेटवर्क ने लगातार विस्तार करते हुए 1840 किमी की हाई स्पीड रेल लाइन डाल दी है। इस नेटवर्क पर शुरू में ट्रेनें 270 प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती थीं पर आज तो बहुत से हिस्सों में 300-320 प्रति घंटे की रफ्तार हासिल हो गई है। जापान ने तो 1964 में ही टोक्यो से ओसाका के बीच तेज रफ्तार की ट्रेन दौड़ा दी थी।

आज शिनकानसेन नेटवर्क 7 कॉरिडोर में 2000 किमी के ट्रैक पर बुलेट ट्रेनें दौड़ा रहा है, जो दुनिया में सबसे लंबा है। विकास की पटरी पर तेजी से दौडऩे के इच्छुक चीन ने अगस्त 2008 में ओलिंपिक खेलों के दौरान बीजिंग रेल्वे स्टेशन और खेलों की जगह तिआनजिन के बीच बुलेट ट्रेन दौड़ाई थी और 70 मिनट का सफर 30 मिनट का रह गया था।

भारत में नरेंद्र मोदी के फेस्टो में यह योजना प्राथम‍िकता पर है और भाजपा के एजेंडे में भी देश की तरक्की के साथ हाईस्पीड रेलवे का यह बिन्दु जोड़ा गया है। घुमाएं स्लाइडर और सरल अंदाज में जाने कि इन 5 बातों पर ध्यान देने से बुलेट ट्रेन दौड़ाने का सपना सच हो सकता है-

बदलनी होगी ट्रैक की पूरी व्यवस्था

बदलनी होगी ट्रैक की पूरी व्यवस्था

देश में कुल 64 हजार किलोमीटर रेल ट्रैक मौजूद है। 7000 रेलवे स्टेशन इसमें से करीब 19 हजार किलोमीटर ट्रैक को वर्ष 2012 के रेल बजट में बदलने की बात तत्कालीन रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने की थी, पर योजना कागजों से शुरु होकर वहीं खत्म हो गई।

रेल हादसे

रेल हादसे

हादसों में जाने वाली जिंदगियां भी हाई स्पीड रेलवे के लिए बड़ा सवाल है कि आखिर यह हादसे कब और कैसे रुकेंगे। हर साल होने वाले इन हादसों से रेलवे को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ता है।

खर्चा है बहुत

खर्चा है बहुत

1980 में भी इस तरह की तेज रफ्तार ट्रेन पर बात हुई थी, पर मामला खर्च पर आकर अटक गया। इस बार योजना है कि 26.6 करोड़ यात्री 2021 तक हाईस्पीड ट्रेन में सवार होंगे व 2041 तक यह संख्या बढ़कर 104 करोड़ हो जाएगी। एक रेलवे अध‍िकारी का अनुमान है कि 70 करोड़ प्रति किलोमीटर खर्च आएगा।

रिसर्च होनी चाहिए बेहतर

रिसर्च होनी चाहिए बेहतर

आईआईटी वाराणसी के मालवीय सेंटर फॉर लो कास्ट लिनियर मेट्रो सिस्टम में इस दिशा में शोध चल रहा है। इसी तरह रेल्वे के रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) और आईआईटी, खडग़पुर के बीच भी शोध सहयोग का समझौता हुआ है। इसी तरह से बेहतर रिसर्च भी बेहद जरूरी है प्रोजेक्ट को नई दि‍शा में ले जाने के लिए।

बिना टिकट ना चलें यात्री

बिना टिकट ना चलें यात्री

बिना टिकट चलने वाली यात्र‍ियों की आदतों को सजा में बदलना होगा। रेलवे को होने वाले नुकसान में लगभग 30 फीसदी हिस्सा इसी वजह से पैदा हुआ है।

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English summary
High Speed Railways are possible in India only with these changes
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