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कुलदीप सिंह चांदपुरी: फिल्म बॉर्डर में सनी देओल ने निभाया था जिसका किरदार, नहीं रहा वो असली हीरो

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Brigadier Kuldip Singh Chandpuri, Real Hero of 1971 Longewala battle PASSES Away | FilmiBeat

चंडीगढ़। सन् 1971 में हुई भारत-पाकिस्‍तान की जंग को 16 दिसंबर को 47 वर्ष पूरे हो जाएंगे। इस जंग में बैटल ऑफ लौंगेवाला को आज तक कोई भी नहीं भूला पाया है। इस जंग के हीरो थे महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी। अफसोस की बात है कि शनिवार को लौंगेवाला की जंग का यह हीरो हमें अलविदा कह गया है। जिस समय भारत और पाक के बीच यह जंग लड़ी गई थी उस समय शायद आप और हममें से कोई भी नहीं रहा होगा। साल 1997 में रिलीज हुई फिल्‍म 'बॉर्डर' के जरिए इस जंग की एक झलक हम सबको देखने को मिली थी। इस फिल्‍म में सनी देओल ने बिग्रेडियर चांदपुरी का रोल अदा किया था। जो जंग ब्रिगेडियर चांदपुरी ने लड़ी थी वह काफी चुनौती भरी थी।

सिर्फ 120 सैनिकों के साथ लड़ी जंग

सिर्फ 120 सैनिकों के साथ लड़ी जंग

भारत-पाकिस्‍तान की जंग के समय ब्रिगेडियर चांदपुरी, मेजर रैंक पर थे। लौंगेवाला की लड़ाई के बारे में जो लोग जानते हैं , वह आज भी ब्रिगेडियर चांदपुरी को इस लड़ाई का हीरो मानते हैं। लौंगेवाला पोस्‍ट शायद हमारी सेना के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक थी और इस चुनौती को पूरा करने का जिम्‍मा दिया गया था मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी को। जंग के समय मेजर चांदपुरी को पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन को लीड करने की जिम्‍मेदारी दी गई। इससे पहले वह 65 की जंग में भी पाक सेना को धूल चंटा चुके थे। मेजर चांदपुरी के पास सिर्फ 120 लोगों का ट्रूप था तो सामने थे पाक की 51वीं इंफ्रेंटी ब्रिगेड के 2,000 से 3,000 सैनिक जिसके साथ 22वीं आर्म्‍ड रेजीमेंट की भी मदद मिल रही थी।

हर चुनौती से निबटे चांदपुरी

हर चुनौती से निबटे चांदपुरी

पांच दिसंबर 1971 को एकदम तड़के दुश्‍मन ने भारतीय सेना पर हमला बोल दिया। हालात मुश्किल थे और फिर भी मेजर चांदपुरी को इन हालातों का सामना करना था। पूरी रात उन्‍होंने 120 लोगों की कंपनी के साथ दुश्‍मनों का मुकाबला किया। चांदपुरी अपने सैनिकों में जोश भरते रहे ताकि वह दुश्‍मन का मुकाबला कर सकें। एक बंकर से दूसरे बंकर तक जाकर वह अपने सैनिकों को उत्‍साहित कर रहे थे। उस समय इंडियन एयरफोर्स के पास हंटर एयरक्राफ्ट थे। वह रात में लड़ाई नहीं कर सकते थे। सुबह तक मेजर चांदपुरी और उनकी कंपनी बहादुरों की तरह दुश्‍मन से लड़ती रही। सुबह जब एयरफोर्स पहुंची तो उसकी मदद सेना को मिली। इस जंग के बाद मेजर चांदपुरी को महावीर चक्र से पुरस्‍कृत किया गया। ब्रिगेडियर चांदपुरी हमेशा कहते थे कि इंडियन आर्मी और इसके सैनिकों का कोई भी मुकाबला नहीं हैं। वह किसी भी परिस्थिति में हर तरह से दुश्‍मनों का मुकाबला कर सकती है।

साल 2008 में हुआ विवाद भी

साल 2008 में हुआ विवाद भी

ब्रिगेडियर चांदपुरी जब तक जिंदा थे जंग में मिली जीत का सारा श्रेय उन सैनिकों को देते रहे उस समय लौंगेवाला में दुश्‍मनों का डटकर मुकाबला कर रहे थे।हालांकि साल 2008 में इस लड़ाई के साथ एक नया विवाद सामने आ गया। मेजर जनरल आत्‍मा सिंह जिन्‍हें इस लड़ाई के लिए वीर चक्र मिला था वह, एयर मार्शल मोहिंदर सिंह बावा और आठ और लोगों ने दावा किया कि लौंगेवाला में सेना ने न तो कोई लड़ाई लड़ी और न ही चांदपुरी ने किसी तरह की कोई बहादुरी दिखाई। यह सिर्फ एयरफोर्स थी जिसने दुश्‍मनों का सामना किया और पाक को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। इस बात पर ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने एयरफोर्स के आफिसर्स को आधिकारिक तौर पर चैंलेंज किया। ब्रिगेडियर चांदपुरी ने कहा कि उन्‍हें इस लड़ाई की वजह से लोकप्रियता हासिल हुई, उससे परेशान होकर इन अधिकारियों ने यह कदम उठाया है।

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English summary
Hero of the 1971 Battle of Longewala, Brigadier Kuldip Singh Chandpuri has passed away in Chandigarh.
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