सड़क हादसे में घायल को नजरअंदाज करने से पहले जरूर पढ़ें यह खबर
नई दिल्ली। सड़क हादसों में हर वर्ष कई लोगों की भारत में जान चली जाती है, इसमे से कई लोगों की जान सही समय पर इलाज नहीं मिल पाने की वजह से चली जाती है। कई बार सड़क हादसे के वक्त वहां से गुजर रहे लोगों की मदद से घायल की जान को समय रहते बचा लिया जाता है, लेकिन जब लोग सड़क हादसे में घायल की अनदेखी करते हैं तो घायल को जान से हाथ धोना पड़ जाता है। लेकिन इस राह में सबसे बड़ा रोड़ा यह साबित होता था कि जो व्यक्ति घायल को इलाज के लिए अस्पताल भेजवाता था उसे पुलिस, अस्पताल और कोर्ट तक के चक्कर काटने पड़ते थे। लेकिन मुंबई के निवासी आलोक मेहता ने इस सोच को दरकिनार करते हुए एक ऐसी मुहिम शुरू की है जो हर किसी के लिए प्रेरणादायक साबित हो सकती है।
मदद के लिए आगे आए
आलोक मेहता ने एक बार जब एल्फिंस्टन स्टेशन पर एक व्यक्ति को घायल देखा तो उन्होंने तत्काल उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया। उन्होंने इस घटना के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि वह घायल के लिए कुर्सी लेकर आए, उसका मुंह पानी से धुलाया और तत्काल एंबुलेंस को मौके पर बुलाया। इसके बाद एक और व्यक्ति ने आलोक मेहता की मदद के लिए हाथ बढ़ाया और उनके पास पहुंचे और दोनों साथ मिलकर घायल को अस्पताल लेकर पहुंचे।
खून से लथपथ था घायल व्यक्ति
लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि यह कहानी अलग क्यों है और आखिर क्यों इस पहल की तारीफ होनी चाहिए। खुद आलोक मेहता ने इस बारे में एक पोस्ट के जरिए लोगों को यह समझाने की कोशिश की है कि दुर्घटना में घायल व्यक्ति की तत्काल मदद क्यों बहुत जरूरी है। उन्होंने लिखा है कि आज सुबह 9.45 बजे मैं अपने ऑफिस जा रहा था जोकि एल्फिंस्टन रोड पर स्थित है, तभी मैंने देखा की एक व्यक्ति खून से लथपथ सड़क पर बेहोश पड़ा है और उसके चेहरे से खून बह रहा है। हालांकि यह व्यक्ति कैसे घायल हुआ इसकी जानकारी मुझे नहीं थी, लेकिन व्यक्ति की हालत काफी गंभीर थी। वहां पहले से ही काफी लोग मौजूद थे लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की, मैंने भी उसे नजरअंदाज करने की कोशिश की, लेकिन मैं यह कर नहीं सका।
अस्पताल साथ लेकर गया
मैंने कुछ हिम्मत जुटाकर लोगों की मदद से घायल का मुंह धुलाया और मंदिर से एक कुर्सी लेकर आया और उसे उसपर बैठाया, जिसके बाद वह व्यक्ति कुछ होश में आया, लेकिन उस व्यक्ति का खून लगातार बह रहा था। मैंने तुरंत 108 नंबर पर एंबुलेंस के लिए फोन किया, उसने मुझसे मेरे सही ठिकाने का पता पूछा, मेरा नाम और पता भी पूछा और फोन नंबर लिख लिया। 5-7 मिनट में वहां एंबुलेंस पहुंच गई, एंबुलेंस में बैठे डॉक्टर ने मुझे साथ चलने को कहा क्योंकि किसी को उसकी जिम्मेदारी लेनी जरूरी थी। उस वक्त रविराज नाम के व्यक्ति ने मेरे साथ चलने के लिए कहा।
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घायलों की मदद के लिए जरूर आगे आएं
अस्पताल पहुंचकर हमने घायल को वहां भर्ती कराया और एफआईआर दर्ज कराई और तमाम औपचारिकताएं पूरी की, इन तमाम प्रक्रियाओं में एक घंटे से अधिक का समय नहीं लगा। पुलिस ने हमे भरोसा दिलाया कि वह हमे परेशान नहीं करेगी और ना ही कोई सवाल जवाब करेगी। इसके बाद मैं 11.15 बजे अपने ऑफिस आ गया और अपने काम में लग गया। इस पोस्ट के जरिए आलोक ने यह बताने की कोशिश की है कि घायल की मदद करने में आपको बहुत समय नहीं लगता है, अस्पताल की प्रक्रिया काफी आसान है, कोर्ट और पुलिस का कोई झंझट नहीं है। लिहाजा मैं आप लोगों से अपील करता हूं कि आप घायलों की मदद के लिए जरूर आगे आए, यह किसी व्यक्ति के जीवन के लिए काफी अहम साबित हो सकता है। उन्होंने केईएम अस्पताल का शुक्रिया अदा किया और घायल की मदद के लिए उनका धन्यवाद कहा। उन्होंने कहा कि इन तमाम चीजों में मेरा एक रुपए भी खर्च नहीं हुआ, लिहाजा आप लोग भी इस तरह के काम में आगे आए और घायलों की मदद के लिए जरूर हाथ बढ़ाए।
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