Rafale Row: तो इस वजह से रिलायंस को मिली थी राफेल की डील!
नई दिल्ली। राफेल डील को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार पर लगातार हमलावर है और आरोप लगा रही है कि इस डील में करोड़ों का घोटाला हुआ है। कांग्रेस का आरोप है कि आखिरी समय पर इस डील को रिलायंस डिफेंस को सौंपा गया और एचएएल को इस पूरी प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। लेकिन राफेल बनाने वाली फ्रांस की कंपनी ने खुद इस बात की जानकारी दी है कि आखिर क्यों उसने रिलायंस को इस डील के लिए चुना था। एनडीटीवी के अनुसार कंपनी के शीर्ष सूत्र ने इस बात से पर्दा उठाया है।
इसलिए मिली रिलायंस को यह डील
डोसाल्ट कंपनी के शीर्ष सूत्र का कहना है कि रिलायंस को राफेल डील के लिए चुनने के पीछे की वजह काफी अहम है। सबसे अहम वजह यह है कि रिलायंस कॉर्पोरेट अफेयर मंत्रालय के साथ रजिस्टर्ड है और दूसरी सबसे बड़ी वजह यह है कि कंपनी के पास नागपुर में जमीन है, जहां रनवे की सुविधा उपलब्ध है। ऐसे में जिस तरह से डोसाल्ट की ओर से रिलायंस को इस डील को देने की वजह बताई गई है, माना जा रहा है उसके बाद केंद्र सरकार पर विपक्ष का हमला कुछ हद तक कम होगा।
अधिक कीमत चुकाने का आरोप
विपक्ष का आरोप है कि 8.6 बिलियन डॉलर की इस डील को व्यक्तिगत तौर पर किया गया था और इसके बाद पीएम मोदी ने पेरिस के दौरे पर इसका ऐलान कर दिया था। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने राफेल जेट की खरीद के लिए कंपनी को काफी अधिक कीमत चुकाई है। वहीं सरकार लगातार इन आरोपो को सिरे से खारिज कर रही है और कह रही है कि इस डील को कांग्रेस की प्रस्तावित डील से कम कीमत में किया गया है और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को तथ्यों की जानकारी नहीं है। डोसाल्ट की ओर से भी यह साफ किया गया है कि रिलायंस को चुनने के पीछे किसी अनिल अंबानी का कोई प्रभाव नहीं था।
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मनमोहन सरकार का था प्रस्ताव
गौरतलब है कि राफेल को खरीदने का प्रस्ताव सबसे पहले मनमोहन सरकार लेकर आई थी और वह चाहती थी कि इस डील को एचएएल के साथ किया जाए। जबकि मुकेश अंबानी की कंपनी इसमे सहयोगी की भूमिका निभाने की बात कही गई थी, लेकिन यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं किया गया था कि इसमे रिलायंस की क्या भूमिका होगी। डोसाल्ट की ओर से भी यह कहा गया है कि उसने रिलायंस से 2012 में बात करना शुरू किया था।
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