तो इस वजह से एमजे अकबर के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी मोदी सरकार!
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर जिस तरह से तमाम महिला पत्रकारों ने यौन शोषण का आरोप लगाए हैं उसके बाद लगातार वह सवालों के घेरे में है। लगातार केंद्र सरकार और भाजपा पर दबाव बढ़ रहा है कि एमजे अकबर के खिलाफ कार्रवाई की जाए। लेकिन पार्टी को इस बात का डर है कि अगर ऐसा किया जाता है तो इस तरह के तमाम मामले सामने आ सकते हैं, जिसमे लोगों पर आरोप लगे और उनसे इस्तीफे की मांग की जा सकती है।
कार्रवाई नहीं करने की वजह
यही वजह कि मी टू अभियान के बाद जिस तरह से एमजे अकबर के खिलाफ आरोप लगे और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई, बावजूद इसके एमजे अकबर के विदेश दौरे को खत्म नहीं किया गया। सरकार के भीतरी सूत्रों का कहना है कि अगर एमजे अकबर को उनके पद से हटाया जाता है तो इस तरह के अन्य आरोप भी लोगों पर लग सकते हैं और उनसे इस्तीफे की मांग की जा सकती है। यही नहीं पार्टी को इस बात का भी भय है कि अगर एमजे अकबर के खिलाफ कार्रवाई की जाती है तो नेताओं की ब्लैकमेलिंग शुरू हो सकती है, विपक्षी तमाम नेताओं को ब्लैकमेल कर सकते हैं और उनकी छवि को धूमिल कर सकते हैं।
आधिकारिक शिकायत दर्ज नहीं
गौर करने वाली बात यह है कि एमजे अकबर के खिलाफ आधिकारिक तौर पर कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है और सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ चल रहे अभियान को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है। एक पूर्व पत्रकार ने कहा कि लोग शराब पीते वक्त एक दूसरे बात करते हैं और यौन शोषण के 20 साल पुराने मामले पर चर्चा करते हैं, इसमे कोई तर्क नजर नहीं आता है। सूत्रों का मानना है कि अगर आनन-फानन में कोई कार्रवाई की जाती है तो इससे पार्टी और सरकार की छवि को नुकसान पहुंचेगा।
नहीं होगी कार्रवाई
एमजे अकबर को लेकर पार्टी में भी दो गुट बंट गए हैं, एक गुट चाहता है कि एमजे अकबर के खिलाफ कार्रवाई हो जबकि दूसरा गुट का कहना है कि एमजे अकबर पर लगे आरोपों को साबित नहीं किया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने ने इस मामले की जांच की बात कही थी, जबकि स्मृति ईरानी का कहना है कि इस मामले में एमजे अकबर को जवाब देना चाहिए। सूत्र की मानें तो सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी क्योंकि बतौर मंत्री रहते उनके काम पर कोई सवाल खड़ा नहीं हुआ है। बतौर एडिटर रहते सरकार का एमजे अकबर से कोई लेना देना नहीं है।
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