तो इस वजह से चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान में कर रहा है देरी!
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान में हो रही देरी पर विपक्ष ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा था और आरोप लगाया था कि जानबूझकर चुनाव की तारीखों की घोषणा के ऐलान में देरी की जा रही है। इन आरोपों के बीच चुनाव आयोग के शीर्ष सूत्र का कहना है कि चुनाव की तारीखों के ऐलान के लिए आयोग के पास पर्याप्त समय है। चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि हम प्रधानमंत्री के शेड्यूल के हिसाब से काम नहीं करते हैं, हमारा अपना खुद का शेड्यूल है।
पिछली बार 5 मार्च को हुआ था ऐलान
बता दें कि 2014 में 5 मार्च को चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया था। पिछले लोकसभा चुनाव की तारीखों को देखते हुए विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा था। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि आयोग जानबूझकर तारीखों के ऐलान में देरी कर रहा है ताकि सरकार एक के बाद एक कई ऐलान कर सके क्योंकि चुनाव की तारीखों के ऐलान होने के बाद आचार संहिता लागू हो जाएगी, लिहाजा ऐसा करना संभव नहीं होगा। गुजरात के चुनाव से पहले भी इस तरह के आरोप लगाए गए थे।
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कांग्रेस ने लगाया था आरोप
चुनाव आयोग के अधिकारी का कहना है कि गुजरात चुनाव के दौरान भी कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले भाजपा लोगों को लुभाने के लिए कई ऐलान कर रही है। इस बार भी कांग्रेस ने कुछ इसी तरह का आरोप लगाया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने ट्वीट करके आरोप लगाया है कि क्या चुनाव आयोग प्रधानमंत्री के आधिकारिक दौरे के खत्म होने का इंतजार कर रहा है, ताकि वह चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सके। अहमद पटेल ने 4 मार्च को यह ट्वीट किया था।
इसलिए हो रही है देरी
चुनाव आयोग का कहना है कि इस बार चुनाव की तारीखों में इस बार थोड़ी सहूलियत होगी। 2014 में चुनाव के नतीजे जारी करने की अंतिम तारीख 31 मई थी और 5 मार्च को चुनाव की तारीख का ऐलान हो गया था। लेकिन इस बार चुनाव के नतीजे घोषित करने की अंतिम तारीख 3 जून है, लिहाजा हमारे पास तारीखों का ऐलान करने के लिए पर्याप्त समय है।
इस बार मुश्किल है चुनौती
चुनाव आयोग इस बात की पुष्टि करना चाहता है कि सभी राज्यों में चुनाव की तैयारी पूरी कर ली गई है, तमाम चुनाव अधिकारी पिछले एक महीने से अलग-अलग राज्यों का दौरा कर रहे हैं। लेकिन इस बार चुनाव आयोग के अधिकारियों की चुनौती बड़ी है क्योंकि कई जगह एक साथ चुनाव कराए जाने हैं। चुनाव आयोग के अधिकारी हाल ही में जम्मू कश्मीर गए थे, जहां राज्यपाल शासन है। मांग की जा रही है कि जम्मू कश्मीर के चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ कराया जाए। हालांकि इसपर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
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