8 महीने में ही बदला सिंधिया का मूड, कभी भाजपा को बताया था लोकतंत्र की हत्या करने वाली पार्टी
नई दिल्ली। पिछले 18 सालों से कांग्रेस पार्टी का दामन थामने वाले मध्य प्रदेश राजघराने के राजकुमार ज्योतिरादित्य सिंधिया अब पार्टी के साथ नहीं हैं। मंगलवार 10 मार्च को उन्होंने पार्टी छोड़ दी और अब वह किसी भी समय भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम रहे हैं। पिछले कुछ समय से कांग्रेस आलाकमान से नाराज सिंधिया आज भले ही बीजेपी से जुड़ने जा रहे हो मगर आठ माह पहले उन्होंने ही बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए थे।
बैकडोर की पॉलिटिक्स करने वाली पार्टी
आठ माह पहले जब कर्नाटक में कांग्रेस-जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) की सरकार को लेकर उठापटक जारी थी तो उसी समय सिंधिया ने बीजेपी पर पिछले दरवाजे की राजनीति कर सत्ता हासिल करने का आरोप लगाया था। सिंधिया ने पार्टी पर लोकतंत्र की हत्या करने तक का आरोप लगा डाला था। सिंधिया ने तब कहा था, 'बीजेपी की मंशा लोकतंत्र की हत्या करने की है और जब पार्टी को चुनावों में सीधे जीत हासिल नहीं हो पाती तो वह बैक डोर से सत्ता हासिल करने की कोशिशें करने लगती है।' मंगलवार को सिंधिया ने गृह मंत्री अमित शाह के साथ जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आधिकारिक घर पर जाकर मुलाकात की थी।
कांग्रेस के नेताओं ने सिंधिया को बताया गद्दार
कर्नाटक में राजनीतिक उठा-पटक के बीच उन्होंने कहा था, 'बीजेपी की बस एक ही इच्छा है कि कैसे लोकतत्र की हत्या की जाए। अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और गोवा में वे ऐसा ही कर चुके हैं और अब कर्नाटक में ऐसा करना चाहते है।' सिंधिया को अब कांग्रेस के कुछ नेता 'गद्दार' तक कह रहे हैं और उन पर कांग्रेस की सरकार तक गिराने के आरोप लगाए जा रहे हैं। सिंधिया ने मंगलवार को अपना इस्तीफा पार्टी की अतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपा था। उनके साथ ही 22 और विधायकों ने भी अपने इस्तीफे सौंप दिए हैं। इस वजह से ही मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट पैदा हो गया है। सिंधिया ने कुछ दिनों पहले जब दिल्ली मे दंगे हो रहे थे तो उस समय भी बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए थे।
दिल्ली दंगों पर बोला पार्टी पर हमला
सिंधिया ने दिल्ली दंगों को लेकर बीजेपी पर बड़ा हमला बोला था। उन्होंने ट्विटर पर बीजेपी पर नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाया था। सिंधिया ने लिखा था, दिल्ली की मौजूदा स्थिति से साफ है कि केंद्र और राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में असफल रही हैं। इतनी देरी से एक्शन क्यों लिया गया है।' सिंधिया ने इसके बाद आगे लिखा था, 'बीजेपी नेताओं को नफरत की राजनीति करना बंद कर देना चाहिए।' साल 2019 के लोकसभा चुनावों में सिंधिया अपनी गुना सीट हार गए थे।
पुलवामा हमले पर पार्टी को खड़ा किया कठघरे में
सिंधिया के तेवर हमेशा से ही बीजेपी के खिलाफ आक्रामक रहे है। वह अक्सर अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते आए है। इस वर्ष 14 फरवरी को जब पुलवामा आतंकी हमले की पहली बरसी थी तो उस समय भी सिंधिया ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर मोदी सरकार की कड़ी आलोचना की थी। सिंधिया ने कहा था, 'एक साल गुजरने के बाद भी क्या हमले की गंभीरता के साथ जांच हुई है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? सरकार को इसका जवाब देना पड़ेगा। हम अपने शहीदों का बलिदान ऐसे व्यर्थ नहीं जाने दे सकते है।'