आखिर क्यों राज्यसभा के मार्शलों की नई यूनिफॉर्म से दुखी है भारतीय सेना और रिटायर्ड अधिकरी
नई दिल्ली। सोमवार से राज्यसभा का नया सत्र शुरू हुआ और यह इसका एतिहासिक 250वां सत्र था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के साथ शुरू इस सत्र के साथ एक नया विवाद भी इसी एतिहासिक दिन पर जुड़ गया। यह सारा विवाद दरअसल राज्यसभा मार्शलों की नई यूनिफॉर्म को लेकर शुरू हुआ। राज्यसभा के मार्शलों की नई यूनिफार्म ने न सिर्फ सांसदों को परेशान कर दिया गया है बल्कि इस नई यूनिफॉर्म से सेना भी निराश है। मार्शलों की नई यूनिफार्म दरअसल आर्मी ऑफिसर्स की यूनिफॉर्म से काफी मिलती है। पूर्व सेना प्रमुख जनरल (रिटायर्ड) वीपी मलिक और वीके सिंह ने इस नई यूनिफॉर्म की खासी आलोचना की है।
सैनिकों की यूनिफॉर्म की नकल गैर-कानूनी
जनरल मलिक ने नई यूनिफॉर्म को लेकर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, 'सैनिक की यूनिफॉर्म की नकल करना और उसे पहनना न सिर्फ गैर-कानूनी है बल्कि सुरक्षा के लिए खतरा भी है।' इसके साथ ही उन्होंने अपनी ट्वीट में सचिवालय, राज्यसभा और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को टैग किया है। इसके साथ ही उन्होंने यह उम्मीद भी जताई है कि इस पर जल्द से जल्द कोई कार्रवाई की जाएगी। वहीं पूर्व सेना प्रमुख और अब केंद्रीय मंत्री जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह ने भी कहा है कि जो भी हुआ है वह पूरी तरह से गैरकानूनी है।
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आर्मी यूनिफॉर्म से मार्शल यूनिफॉर्म की कितनी समानता
मार्शल की नई यूनिफॉर्म गहरे नीले रंग की है जिस पर कंधे पर दो पट्टियां लगी हैं। इसके अलावा सुनहरे बटन और सुनहरे रंग का आइग्यूलेट भी देखा जा सकता है। आईग्यूलेट एक प्रकार की सजावटी चेन की तरह दिखती है और इसे मिलिट्री ऑफिसर्स यूनिफॉर्म पर पहनते हैं। इसके अलावा जो कैप मार्शल ने पहनी हुई है वह आर्मी चीफ के साथ ही ब्रिगेडियर की ऊपर की रैंक के ऑफिसर्स पहनते हैं। इस बात को लेकर ही सेना के रिटायर्ड और सर्विंग ऑफिसर्स अपनी नाराजगी जता रहे हैं। हालांकि विवाद बढ़ता देख अब मार्शल की नई यूनिफॉर्म पर रिव्यू की बात कही गई है।
क्या होती है राज्यसभा के मार्शलों की जिम्मेदारी
उप-राष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने कहा है कि नई यूनिफॉर्म सभी लोगों से चर्चा करके तैयार की गई है। कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने इस नई यूनिफॉर्म पर खासी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंन सदन में उप-राष्ट्रपति से सवाल कर डाला कि क्या राज्यसभा में मार्शल लॉ लगाया जा चुका है। लोकसभा की तरह राज्यसभा में मार्शलों का काम अलग होता है। जहां लोकसभा जो संसद का निचला सदन है वहां पर मार्शलों को अधिकार होता है कि शोर मचाते सांसदों को बाहर कर दें, राज्यसभा में मार्शल सिर्फ नाममात्र के लिए होते हैं।
विपक्ष जवाब से असंतुष्ट
राज्यसभा में मार्शल को सदन शुरू होने से पहले सभापति के आने और कार्यवाही के शुरू होने की घोषणा करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा वह यहां पर मौजूद डॉक्यूमेंट्स को ठीक से अरेंज करने, बेकार डॉक्यूमेंट्स को हटाने और ऑफिसर्स को उनके काम में मदद करने के लिए भी मौजूद रहते हैं। जयराम रमेश ने जब सभापति से नायडू से सवाल किया तो उन्हें जो जवाब मिला वह विरोधियों को असंतुष्ट करने वाला था। नायडू ने उनसे कहा, 'इतने महत्वपूर्ण घंटे में इस गैर-वाजिब सवाल को न उठाएं।'