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पीएम मोदी और भाजपा की साख बचाने के लिए योगी पार्टी को ले जाएंगे विकास से हिंदुत्व की ओर

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश की सत्ता संभाले तीन साल से अधिक का समय हो चुका है, सत्ता में आने से पहले बेरोजगारीर, कालाधन, भ्रष्टाचार, विकास सहित तमाम मुद्दों पर नरेंद्र मोदी ने दर्जनों चुनावी रैलियों में बड़े-बड़े दावे किए थे। लेकिन केंद्र सरकार अपने कार्यकाल के चौथे साल में तमाम मोर्चे पर सवालों में घिरती नजर आ रही है। जिस तरह से रोजगार में कमी आई, जीडीपी के आंकड़े रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचे, प्राइवेट सेक्टर का निवेश कम हुआ और बैंकों पर लगातार एनपीए का बोझ बढ़ता रहा और उसे कम करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, उसके बाद मोदी सरकार कटघरे में खड़ी नजर आ रही है। ना सिर्फ विपक्षी दल बल्कि भाजपा के शीर्ष नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, शत्रुघन सिन्हा, आरएसएस और शिवसेना भी मोदी सरकार पर सवाल खड़े कर रही है।

तुरुप का इक्का योगी

तुरुप का इक्का योगी


ऐसे माहौल में जब तमाम मोर्चे पर मोदी सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है और खुद मोदी की समर्थक भी उनसे निराश हैं, उस वक्त मोदी के घर गुजरात में उनकी सबसे बड़ी परीक्षा है, जहां किसी भी तरह का नकारात्मक चुनावी नतीजा ना सिर्फ भाजपा बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत साख पर बट्टा लगाने का काम करेगा। इस तरह के विकट राजनीतिक हालात में पीएम मोदी को एक अदद ऐसे नेता की जरूरत है जो ना सिर्फ पार्टी को उनके गढ़ में साख बचाने में उनकी मदद करे बल्कि उनकी व्यक्गित प्रतिष्ठा को राष्ट्रीय स्तर पर गिरने से बचाए। लिहाजा जब ऐसे चेहरे की तलाश भाजपा कर रही थी तो उसके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबसे बड़े तुरुप के इक्के के रूप में सामने आए हैं।

 हिंदुत्व सबसे मजबूत हथियार

हिंदुत्व सबसे मजबूत हथियार

लेकिन यहां समझने वाली बात यह भी है कि यूपी की सत्ता संभालने के बाद अक्सर अपनी कट्टर हिंदुत्व छवि के लिए जाने जाते थे और वह अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते थे। यही नहीं यूपी की कमान संभालने के बाद जिस तरह से उनके गढ़ गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 70 से अधिक बच्चों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई उसने उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया था। गोरखपुर में यह हादसा तब हुआ जब खुद योगी आदित्यनाथ यहां से 20 साल से सांसद थे। बावजूद इतने बड़े हादसे के भाजपा ने उन्हें यूपी के बाहर पार्टी क मजबूत करने के लिए फायरब्रांड नेता के तौर पर इस्तेमाल किया, पहले जहां वह केरल में लेफ्ट के खिलाफ आरएसएस कार्यकर्ताओं की हत्या के विरोध में सड़क पर उतरे तो अब वह गुजरात में भी पीएम मोदी की नैया पार कराने के लिए पहुंच गए हैं।

विकास से हिंदुत्व की ओर

विकास से हिंदुत्व की ओर

तमाम राज्यों के भाजपा नेतृत्व का भी मानना है कि योगी आदित्यनाथ लोगों के बीच अपनी छाप छोड़ रहे हैं, जोकि पार्टी के लिए फायदेमंद है। इसी के चलते ना सिर्फ आरएसएस बल्कि खुद अमित शाह उन्हें पार्टी के फायरब्रांड हिंदुत्व नेता के तौर पर उन्हें आगे बढ़ा रहे हैं। केरल के बाद योगी ना सिर्फ गुजरात बल्कि हिमाचल प्रदेश में भी पार्टी के लिए प्रचार करेंगे। पार्टी योगी की दशहरा के दौरान गोरखपुर के पीठ में बतौर महंत के रूप में उनकी तस्वीर का तमाम पोस्टर में इस्तेमाल कर रही है। योगी आदित्यनाथ अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच भी अपनी धार्मिक गतिविधियों को करने के लिए समय निकालते हैं, यूपी के अयोध्य में वह 100 फीट से उंची भगवान राम की मूर्ती भी लगवाने की योजना बना रहे हैं। यही नहीं दीवाली के मौके पर वह अयोध्या में रहेंगे और पार्टी को फिर से राम मंदिर के मुद्दे पर वापस लाने की कोशिश करेंगे। यहां समझना जरूरी है कि आखिर क्यों लगातार योगी आदित्यनाथ को पार्टी अपने लोकप्रिय फायरब्रांड नेता के तौर पर पेश कर रही है। इसकी बड़ी वजह है कि केंद्र सरकार का विकास की ढीली पड़ती रफ्तार जिसको लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। 2014 में पीएम मोदी ने विकास, अच्छे दिन, अर्थव्यवस्था, रोजगार सहित तमाम मुद्दों के दम पर सत्ता में आई थी, ऐसे में पार्टी के लिए इन मुद्दों पर जवाब देना आगामी चुनाव में मुश्किल का सबब बन सकता है।

मोदी-शाह का मास्टर प्लान

मोदी-शाह का मास्टर प्लान


हाल ही में जिस तरह से अमित शाह के बेटे जय शाह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, उसने ना सिर्फ अमित शाह, पीएम मोदी बल्कि पूरी केंद्र सरकार को बैक फुट पर ला दिया, जिसके बाद खुद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को उनका बचाव करने के लिए आगे आना पड़ा। आलम यह है कि कांग्रेस ने इस मुद्दे को भुनाना शुरू किया और इस पूरे प्रकरण को कुछ उसी ढंग से आगे बढ़ाया जिस तरह से भाजपा ने रॉबर्ट वाड्रा के नाम पर कांग्रेस को घेरा था और दामाश्री नाम की सीडी तक जारी कर दी थी। वहीं दूसरी दूसरी तरफ मोदी सरकार के पास अब महज 18 महीने का वक्त बचा है जब वह एक बार फिर से 2019 के लोकसभा चुनाव में जनता के बीच जाएगी।

विकास के मुद्दे पर पार्टी की मुश्किल राह को आसान करेंगे योगी

विकास के मुद्दे पर पार्टी की मुश्किल राह को आसान करेंगे योगी


ऐसे में पार्टी विकास के मुद्दे पर एक बार फिर से जनता के बीच वह अपील नहीं कर सकती है जो उसने 2014 में लोगों से की थी और लोगों ने पार्टी को जबरदस्त समर्थन देते हुए जीत दिलाई थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में पार्टी के पास एक बार फिर से हिंदुत्तव के मुद्दे वापस जाने के अलावा दूसरा विकल्प फिलहाल नहीं दिखाई पड़ता जो उसकी नैया को पार लगाए। विकास के मुद्दे के बाद पार्टी के पास हिंदुत्व एक ऐसा मुद्दा है जिसके दम पर पार्टी ध्रुवीकरण की राजनीति के बलबूते एक बार फिर से सत्ता में पहुंचने की कोशिश करेगी। लिहाजा पार्टी के इस लक्ष्य की पूर्ती के लिए मौजूदा समय में योगी आदित्यनाथ से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं है। यही वजह है कि योगी आदित्यनाथ को तमाम जगहों पर बतौर पार्टी के चेहरे के रूप में इस्तेमाल किए जाने का भाजपा नेतृत्व ने फैसला लिया है।

मोदी सरकार से ध्यान हटाने में कारगर योगी

मोदी सरकार से ध्यान हटाने में कारगर योगी

गुजरात में भाजपा की लगातार चार बार सरकार रही और पीएम बनने से पहले चारो बार नरेंद्र मोदी यहां मुख्यमंत्री रहे, ऐसे में पीएम मोदी यहां से किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। गुजरात में कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमलावर है, खुद राहुल गांधी ने यहां पार्टी का मोर्चा संभाल रखा है, यही वजह है कि भाजपा किसी भी तरह का जोखिम यहां नहीं लेना चाहती और योगी आदित्यनाथ को गुजरात के अभियान में उतारा गया, जहां पहुंचते ही उन्होंने राहुल पर निशाना साधना शुरू कर दिया है तमाम मोर्चों पर घिरी मोदी सरकार को योगी आदित्यनाथ बड़ी राहत दे सकते हैं, वह भ्रष्टाचार, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी सहित अहम मुद्दों से लोगों को ध्यान भटकाने में मोदी सरकार के लिए बड़ा हथियार साबित होंगे, जिसका इस्तेमाल करना अमित शाह बखूबी जानते हैं।

इसे भी पढ़ें- 'मोदी जी 16 अक्टूबर को गुजरात जाने वाले हैं, इसी वजह से EC ने गुजरात चुनावों की तारीखों की घोषणा नहीं की': Congress

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English summary
Here is how Yogi Adityanath will save the home of Narendra Modi and BJP with the Hindutva face. He will change the course of action for the party.
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