Jammu Kashmir: राजभवन की 'फैक्स मशीन' राजनीति को इतिहास नहीं भूलेगा
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नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के इतिहास में शायद ही कभी ऐसा हुआ होगा जब सोशल मीडिया के इस दौर में महज 15 मिनट के भीतर राज्यपाल ने प्रदेश विधानसभा को भंग कर दिया हो। इस बात पर यकीन करना काफी मुश्किल हो जाता है कि जिस वक्त पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राजभवन को फैक्स द्वारा सरकार बनाने का प्रस्ताव भेजा और कहा कि उनके पास नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस का समर्थन है, उन्होंने फैक्स के जरिए सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
फैक्स
मशीन
के
खेल
में
बिगड़ा
सियासी
तिकड़म
लेकिन
जिस
तरह
से
राजभवन
द्वारा
यह
फैक्स
रिसीव
नहीं
हुआ
उसने
प्रदेश
की
पूरी
सियासत
को
पलटकर
रख
दिया।
दरअसल
महबूबा
मुफ्ती
ने
फैक्स
के
बाद
राजभवन
को
फोन
करने
की
कोशिश
की
लेकिन
यह
फोन
किसी
ने
नहीं
उठाया।
जिसके
महज
15
मिनट
के
भीतर
राजभवन
की
ओर
से
एक
फैक्स
के
जरिए
नोटिस
जारी
किया
गया
कि
प्रदेश
विधानसभा
को
भंग
कर
दिया
गया
है।
खुद
महबूबा
मुफ्ती
ने
इसपर
गंभीर
सवाल
खड़ा
करते
हुए
कहा
कि
जो
फैक्स
मशीन
कुछ
देर
पहले
कोई
फैक्स
रिसीव
नहीं
कर
रही
थी
उसी
मशीन
ने
एक
फैक्स
के
जरिए
विधानसभा
को
भंग
करने
का
नोटिस
जारी
कर
दिया।
एक
साथ
दो
लोगों
का
सरकार
बनाने
का
दावा
दऱअसल
जिस
तरह
से
महबूबा
मुफ्ती
ने
कांग्रेस
और
एनसी
के
समर्थन
का
दावा
करते
हुए
राजभवन
को
सरकार
बनाने
का
प्रस्ताव
भेजा
उसके
बाद
पीपल्स
कॉफ्रेंस
के
अध्यक्ष
सज्जाद
लोन
ने
भी
भी
ट्वीट
करके
कहा
कि
उनके
पास
भाजपा
के
26
विधायकों
के
अलावा
18
बागी
विधायकों
का
समर्थन
है,
लिहाजा
वह
सरकार
बनाने
का
दावा
पेश
कर
रहे
हैं
और
उन्होंने
राजभवन
को
एक
पत्र
भी
फैक्स
कर
दिया
है।
गौर
करने
वाली
बात
है
कि
सज्जाद
लोन
के
पास
खुद
को
मिलाकर
सिर्फ
2
विधायक
हैं।
सियासी
घमासान
अभी
जारी
है
महबूबा
मुफ्ती
ने
दावा
करके
कहा
था
कि
उनके
पास
विधानसभा
में
कुल
56
विधायकों
का
समर्थन
है,
जिसमे
उनकी
पार्टी
के
26
विधायक,
नेशनल
कॉफ्रेंस
के
15
विधायक
और
कांग्रेस
के
12
विधायकों
का
समर्थन
है,
ऐसे
में
बहुमत
के
आंकड़े
44
से
कहीं
ज्यादा
विधायकों
का
उनके
पास
समर्थन
है।
लेकिन
जिस
तरह
से
महज
15
मिनट
के
सियासी
ड्रामे
के
भीतर
राज्यपाल
ने
प्रदेश
की
विधानसभा
को
भंग
कर
दिया
उसने
प्रदेश
की
सियासी
संग्राम
को
बढ़ा
दिया
है,
जोकि
आने
वाले
दिनों
में
और
बढ़ने
वाला
है।