कांग्रेस के 23 नेताओं ने इन बदलाव को लेकर लिखा था सोनिया गांधी को पत्र, सामने आई 11 मुख्य मांगें
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर अनिश्चितता अभी भी बरकरार है। पार्टी के भीतर नेतृत्व को मजबूत करने और पूरी पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी के नाम पत्र लिखा था और उनसे मांग की थी कि पार्टी में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की जरूरत है। इन नेताओं ने सोनिया गांधी के नाम जो पत्र लिखा था उसमे कहा गया था कि नेतृत्व को लेकर अनिश्चितता की वजह से कांग्रेस पार्टी कमजोर हो गई है और पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल नीचे हुआ है। इस पत्र में 11सूत्रीय एजेंडा को सोनिया गांधी के सामने रखा गया था, ताकि पार्टी को एक बार फिर से मजबूत किया जा सके और 134 साल पुराने संगठन के भीतर सुधार लाया जा सके।
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11 एजेंडे रखे गए
पत्र के जरिए कांग्रेस पार्टी के भीतर मुख्य रूप से 11 एजेंडे को उठाया गया है
- पूर्णकालिक नेतृत्व, ना सिर्फ एआईसीसी बल्कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी में भी
- प्रदेश कांग्रेस कमेटी समावेशी होनी चाहिए
- जिला अध्यक्ष का चयन प्रदेश की राजधानी से पीसीसी की सहमति से होना चाहिए
- केंद्रीय संसदीय बोर्ड का तुरंत गठन हो
- राष्ट्रीय स्तर पर सदस्यता अभियान चलाया जाए
- ब्लॉक, पीसीसी, एआईसीसी के ददस्यों का पारदर्शी चुनाव हो
- कांग्रेस के संविधान के अनुसार ही कांग्रेस की वर्किंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव हो
- केंद्रीय चुनाव समिति का पुनर्गठन हो
- संसद और विधानसभा उम्मीदवारों के चयन के लिए अनुभवी नेताओं को स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल किया जाए
- स्वतंत्र चुनाव कमेटी का गठन हो
- पार्टी में सुधार इंस्टिट्यूशनल लीडरशिप के मैकेनजिज्म पर केंद्रित हो
लगातार हार के बाद भी नहीं हुआ आत्मचिंतन
पत्र में कहा गया है कि पार्टी को आत्ममंथन करने की जरूरत है कि आखिर क्यों पार्टी का लगातार पतन हो रहा है। साथ ही पार्टी से अपील की गई है कि वह एनडीए के भीतर सेक्युलर ताकतों को जोड़े ताकि केंद्र में भाजपा का सामना किया जा सके। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के 14 महीने बाद भी कांग्रेस पार्टी के भीतर किसी भी तरह का गंभीर आत्मचिंतन नहीं किया गया कि आखिर क्यों पार्टी का लगातार पतन हो रहा है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी पार्टी को सही से दिशा नहीं दिखा रही है और ना ही लोगों के बीच भाजपा के खिलाफ राय बनाने में सफल हो पा रही है। पार्टी के भीतर में योग्यता के आधार पर और सर्वसम्मति से चयन की प्रक्रिया बाधित हुई है।
23 नेताओं ने लिखा था पत्र
इस पत्र में केंद्रीय नेतृत्व की आलोचना की गई है, जिसके चलते यह पत्र पिछले दिनों काफी विवादों में रहा और पार्टी के भीतर शीर्ष नेताओं के बीच खुलकर टकराव देखने को मिला। अहम बात यह है कि जिन 23 कांग्रेस के नेताओं ने सोनिया गांधी के नाम पत्र लिखा है उसमे से सिर्फ 4 सदस्य ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं, जिनमे गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक और जितेंद्र प्रसाद है। कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में कुल 50 सदस्य हैं। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की तकरीबन 7 घंटे तक बैठक चली थी, जिसमे पार्टी ने सोनिया गांधी को अगले 6 महीने तक अंतरिम अध्यक्ष बने रहने को कहा, संगठन में जरूरी बदलाव पर सहमति बनी और नेताओं में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के प्रति विश्वास के प्रति लोगों ने अपनी सहमति जाहिर की।
मनोबल नीचे गिरा
पत्र में कहा गया है कि हमने पिछले आम चुनाव और राज्य के चुनाव में पार्टी का तेजी से पतन देखा है। इसकी कई वजह हो सकती हैं लिहाजा इसकी तत्काल पहचान करने की सख्त जरूरत है। अन्यथा कांग्रेस पार्टी ना सिर्फ राज्यों में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी पीछे रह जाएगी। पार्टी केक भीतर नेतृत्व की अनिश्चितता और विवाद की वजह से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और पार्टी का मनोबल नीचे गिरा है। साथ ही इस पत्र में नेहरू-गांधी परिवार के योगदान को भी याद किया गया है। पत्र में कहा गया है कि हम मजबूत संघर्ष, दूरदर्शी नेतृत्व और पंडित जवाहरलाल नेहरू के उल्लेखनीय योगदान को स्वीकार करते हैं। उनकी स्थायी विरासत हमेशा कांग्रेस पार्टी के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। नेहरू-गांधी परिवार हमेशा कांग्रेस पार्टी के सामूहिक नेतृत्व का एक अभिन्न हिस्सा रहेगा।
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