#HerChoice: 'जितनी अकेली हूं, उतनी ही आत्मनिर्भर भी'
मेरी ज़िंदगी का पहला रिश्ता और सगाई सिर्फ़ इसलिए टूट गई क्योंकि लड़के की मम्मी को मैं मर्दों जैसी लगी.
ये अलग बात है कि उन्हें मेरे वज़न के हिसाब से ज़ेवर भी चाहिए थे.
ये मेरे लिए सदमे जैसा था क्योंकि मैं तब तक अपने मंगेतर से एक भावनात्मक रिश्ता बना चुकी थी.
इससे निकलने में मुझे बहुत वक़्त लगा.
मेरी ज़िंदगी का पहला रिश्ता और सगाई सिर्फ़ इसलिए टूट गई क्योंकि लड़के की मम्मी को मैं मर्दों जैसी लगी.
ये अलग बात है कि उन्हें मेरे वज़न के हिसाब से ज़ेवर भी चाहिए थे.
ये मेरे लिए सदमे जैसा था क्योंकि मैं तब तक अपने मंगेतर से एक भावनात्मक रिश्ता बना चुकी थी.
इससे निकलने में मुझे बहुत वक़्त लगा.
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#HerChoice 12 भारतीय महिलाओं के वास्तविक जीवन की कहानियों पर आधारित बीबीसी की विशेष सिरीज़ है. ये कहानियां 'आधुनिक भारतीय महिला' के विचार और उनके सामने मौजूद विकल्प, उनकी आकांक्षाओं, उनकी प्राथमिकताओं और उनकी इच्छाओं को पेश करती हैं.
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कुछ साल बाद मेरी दोस्ती एक नए व्यक्ति से हुई.
जिसके कहने पर मैं नौकरी करने अपने शहर से दिल्ली आ गई.
मेरे नए दोस्त ने मुझे हर तरह से यक़ीन दिलाया कि वो मुझे पसंद करता है.
और मैं जैसी हूँ, वैसी ही उसे पसंद हूँ.
उसकी इस बात ने मेरा दिल जीत लिया.
वो मुझसे शादी करना चाहता था.
यही कहकर उसने मुझे पहली बार संबंध बनाने के लिए तैयार किया कि वो जल्द ही शादी कर लेगा.
मैं उसके इशारों पर चलती रही.
प्यार में तर्क कहां चलते हैं.
लेकिन धीरे-धीरे मुझे उसके बर्ताव में अंतर महसूस होने लगा.
शादी की बात टलती रही और उसका व्यवहार तल्ख़ होता गया.
वो मुझे धोखा दे रहा था - ये अहसास होने तक मैं उसके कहने पर दो बार गर्भपात करा चुकी थी.
उसके मेरे अलावा भी कई लड़कियों से संबंध थे.
मेरे लिए ये सदमा पहले से भी ज़्यादा बड़ा था.
मैं डिप्रेशन में में आ गई लेकिन फिर किसी तरह हिम्मत जुटाई और उसके ख़िलाफ़ एफ़आईआर कराई.
ये सब बहुत मुश्किल था लेकिन मुझे आगे जीना था.
मुझे ख़ुशी है कि मैंने हौसला नहीं खोया और हालात से लड़ी.
मैं जितनी अकेली हूँ उतनी ही ज़्यादा मज़बूत और आत्मनिर्भर हूं.
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