मुंबई में भारी बारिश फिर भी जनता प्यासी, जरूरी है जल संचयन
नई दिल्ली। भारी बारिश होती है, मुंबई जैसे महानगर में जल प्रलय के हालात बन जाते हैं। कुछ दिनों तक जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। फिर बारिश का पानी बह कर समुद्र में समा जाता है। जनता प्यासी की प्यासी रह जाती है। फिर साल भर पेय जल के लिए त्राहिमाम- त्राहिमाम। कैसी विडंबना है। हालात तो ऐसे हैं कि पानी के कारण हमारे अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। रहीम यानी अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना ने सैकड़ों साल पहले जब यह लाइन- 'रहिमन पानी रखिये बिन पानी सब सून' लिखी थी तब न तो जल संकट था न ही जल प्रदूषित था। उस समय रहीम ने पानी को मनुष्य के अस्तित्व से जोड़ कर चेताया था। जल संकट की गम्भीरता का अहसास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी है। पानी संकट के मद्देनजर इसबार केंद्र सरकार ने नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया है। इसे जल संसाधन और पेयजल मंत्रालय को मिलाकर बनाया गया है। 'जल शक्ति' मंत्रालय का मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को बनाया गया है। रतन लाल कटारिया को नवगठित मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है। मंत्रालय का दायरा बढ़ाते हुए इसमें अंतरराष्ट्रीय से लेकर अंतरराज्यीय जल विवाद, पेयजल उपलब्ध कराने, बेहद जटिल नमामी गंगे परियोजना, गंगा नदी और उसकी सहायक एवं उप सहायक नदियों को स्वच्छ करने की महत्वाकांक्षी पहल को शामिल किया जाएगा। मोदी सरकार ने पहली बार गंगा को स्वच्छ बनाने की परियोजना शुरू की थी जिसका जिम्मा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से जल संसाधन मंत्रालय को सौंपा गया था और भारी भरकम आवंटन के साथ नमामि गंगे परियोजना शुरू की गई थी। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता से अनुरोध किया कि पानी के संचयन और संरक्षण के लिए पारंपरिक तौर-तरीके पर बल दिया जाए। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की तरह जल संरक्षण के लिए आन्दोलन शुरू करने की अपील जनता से की है।
मुम्बई में भारी बारिश फिर भी जनता प्यासी
पूरी दुनिया में पानी का संकट दिनोदिन गंभीर होता जा रहा है। अभी पानी के लिए पडोसी झगड़ रहे हैं, राज्यों में नदी जल बंटवारे को लेकर विवाद है। कहा तो यह भी जा रहा है कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी को लेकर होगा। दक्षिण अफ्रीका में पीने के पानी का भारी संकट है। यही हाल आस्ट्रेलिया का है। इधर चेन्नई में तो एक तरह से पानी का आपातकाल लागू है। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र का बड़ा हिस्सा पानी के भीषण संकट से जूझ रहा है। उत्तर प्रदेश बुंदेलखंड का इलाका हमेशा से पानी संकट से जूझता रहा है। मुम्बई भारी बारिश से सराबोर है लेकिन इससे भ्रमित होने की जरूरत नहीं। इस बारिश से जल संकट दूर होने वाला नहीं। जमीनी हकीकत यह है कि महाराष्ट्र के चार बड़े जलाशयों में लगभग 2 फीसदी पानी ही बचा है। अलनीनो का असर मानसून की दिशा और दशा पर पड़ रहा है। कर्नाटक के 4 बड़े जलाशयों में 1 से 2 फीसदी पानी बचा है। जल संकट पर नीति आयोग की रिपोर्ट ने देश के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। दुनिया की 400 करोड़ की आबादी जीवन में पानी के संकट से जूझ रही है। इन 400 करोड़ लोगों में से 100 करोड़ भारतीय हैं। भारत की जनता को भी यह खतरे की घंटी सुनाई दे तभी बात बनेगी।
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लोग जल संचयन के प्रति जागरूक नहीं
भारत में अभी तक मानसून की बारिश 33 प्रतिशत कम हुई। गंभीर जल संकट का एक बड़ा कारण लोगों में जागरूकता की कमी है। जहाँ पानी अपेक्षाकृत आसानी से उपलब्ध है वहां इसकी बर्बादी हो रही या फिर इसको इस कदर प्रदूषित किया जा रहा कि वह उपयोग लायक ही नहीं। यह प्रदूषण कितना खतरनाक है इसका अंदाज इसी से लगाया जा रहा कि भूगर्भ जल तक प्रदूषित हो रहा। लेकिन इसे रोकने का काम अकेले सरकार के बूते का नहीं है। प्रधानमंत्री ने जनता से अपील ऐसे समय में की है जब देश का लगभग दो तिहाई भू-भाग सूखे की चपेट में है। देश की घनी आबादी वाले क्षेत्र में लोगों को पानी की भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग के अनुसार जून में इस साल देशभर में कुल मिलाकर 33 फीसद बारिश में कमी दर्ज की गई है। पिछले 100 सालों में यह सबसे खराब मानसून है। ऐसे में परम्परगत जल संरक्षण के साथ ही वर्षा जल संचयन के उपाय करना भी बहुत जरूरी है। वर्ना मुंबई की तरह बारिश का पानी तबाही मचाते हुए समुद्र में समाता रहेगा।
देश के महानगरों में होगी पानी की भीषण किल्लत
एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक पानी खत्म होने की कगार पर आ जाएगा। इस किल्लत का सामना सबसे ज्यादा दिल्ली, बंगलूरू, चेन्नई और हैदराबाद के लोगों को करना पड़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार 2020 से ही जल संकट शुरू हो जाएगा। 2030 तक देश के लगभग 40 फीसदी लोगों तक पीने के पानी की पहुंच खत्म हो जाएगी। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत इतिहास के सबसे गंभीर जल संकट' से जूझ रहा है। देश के 75 फीसदी मकानों में पानी की सप्लाई नहीं है। देश में 2030 तक पानी की किल्लत और भी ज्यादा विकराल रूप धारण कर सकती है। सीएजी की रिपोर्ट ने इस तथ्य को इंगित किया है कि भारत में अब तक जल संचयन की जितनी भी योजना बनी हैं, उनके कार्यान्वयन में भारी कमी रही है। जल संरक्षण को लेकर अधिकांश राज्यों का काम संतोषजनक नहीं है।
क्या अटल का सपना होगा साकार
भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में सूखे व बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए भारत की महत्वपूर्ण नदियों को जोड़ने संबंधी परियोजना का खाका तैयार किया था। लेकिन उस पर अमल अभीतक नहीं हो सका है। हाल ही में तेलंगाना के जयशंकर भुपलपल्ली जिले के मेडीगड्डा में विश्व के सबसे बड़े मल्टी-स्टेज लिफ्ट सिंचाई स्कीम 'कालेश्वरम' का लोकार्पण किया गया। 80 हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट के उद्घाटन के बाद तेलंगाना सरकार ने दावा किया है कि कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई स्कीम द्वारा ग्रेटर हैदराबाद शहर में प्रतिदिन एक करोड़ की आबादी को पेयजल की आपूर्ति होगी। राज्य में औद्योगिक उपयोग के लिए 16 टीएमसी पानी की सप्लाई की जा सकेगी. साथ ही इसका उपयोग हाईडेल पावर जनरेशन के लिए भी किया जाएगा। सरकार ने दावा किया है कि इससे तेलंगाना के प्रत्येक परिवार को सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति के लिए 'मिशन भागीरथ' के जरिए 40 टीएमसी पानी की आपूर्ति होगी। तेलंगाना में विश्व के सबसे बड़ा लिफ्ट सिंचाई प्रोजेक्ट प्रतिदिन एक करोड़ की आबादी को पेयजल की आपूर्ति करेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि अटल बिहारी बाजपेयी के सपने को नई सरकार साकार करेगी और वर्षा जल संचयन की योजना को सरकार और जनता दोनों गंभीरता से लेंगे।
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