सुदर्शन न्यूज़ के शो के खिलाफ सुनवाई में SC ने कहा, 'हम कहां जा रहे हैं ?'
नई दिल्ली। यूपीएससी के ऊपर बने सुदर्शन न्यूज़ (Sudarshan News) के शो को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। इस दौरान सुदर्शन न्यूज़ ने सुप्रीम कोर्ट में सप्ताह के अंत तक शपथ पत्र दायर करने को कहा है। सुदर्शन न्यूज ने ऐसा मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस चंद्रचूड़ के उस सवाल के जवाब में कहा जिसमें जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा था कि चैनल अपने भड़काऊ शो को लेकर बन रही आशंकाओं को दूर करने के लिए क्या कर रहा है।
सुदर्शन न्यूज़ के शो पर सुप्रीम कोर्ट को आपत्ति
सुदर्शन चैनल पर बिंदास बोल नाम से कार्यक्रम चलता है जिसे चैनल के एडिटर-इन-चीफ सुरेश चव्हाणके होस्ट करते हैं। इसी शो में यूपीएससी जिहाद नाम से एक सीरीज चलाई गई थी। इस सीरीज में ये दावा किया गया था कि यूपीएससी में मुसलमानों की घुसपैठ का खुलासा किया जाएगा। हालांकि इस शो का प्रोमो आने के बाद से ही इसे लेकर यूपीएससी से चयनित कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने इस पर रोक लगाने की मांग की थी। मामला कोर्ट में गया जहां इसे रोकने को कहा गया लेकिन बाद में मंत्रालय की अनुमति के बाद शो को दिखाया जाने लगा जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है। फिलहाल शो पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है।
'मीडिया को साफ संदेश पहुंचना चाहिए'
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुदर्शन न्यूज़ के वकील से कहा कि हम पत्रकारिता के रास्ते में नहीं आना चाहते हैं। कोर्ट के रूप में हमें पता कि आपातकाल में क्या हुआ था। इसलिए हम अभिव्यक्ति और विचार की स्वतंत्रता के पक्ष में रहेंगे। हम सेंसरशिप नहीं करना चाहते हैं। हम सेंसरबोर्ड नहीं हैं। हम बस चाहते हैं कि आपके क्लाइंट आएं और हमारी आशंकाओं को दूर करें।
जबकि हम मीडिया की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं तो ये संदेश मीडिया को भी साफ तौर पहुंचे कि कोई भी समुदाय टारगेट नहीं होना चाहिए। आखिरकार हम सभी एक राष्ट्र के तौर पर यहां उपस्थित हैं जो सामंजस्यपूर्ण होना चाहिए और किसी के खिलाफ नहीं होना चाहिए।
आप एक समुदाय को बदनाम कर रहे हैं- कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक अलग शपथ पत्र में सुदर्शन न्यूज़ ने कहा कि कार्यक्रम किसी भी समुदाय या व्यक्ति के खिलाफ नहीं है। बल्कि यह राष्ट्रीय महत्व के विषय को लेकर है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चैनल के कंटेंट की आलोचना करते हुए अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा। जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि 'आपका प्रोग्राम इस समुदाय के प्रति गंभीर अविश्वास दर्शाता है। सभी सत्ता के केंद्र तक पहुंचना चाहते हैं। आप इन्हें हाशिए पर धकेल रहे हैं जबकि इन्हें मुख्यधारा में लाया जाना चाहिए। ऐसा करके आप उन्हें गलत हाथों में ले जा रहे हैं। आखिर हम कहां जा रहे हैं?'
जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा 'सिर्फ मुस्लिम ही नहीं जैन भी हैं। मेरे लॉ क्लर्क ने जैन संगठन द्वारा पोषित फंड से पढ़ाई की है। ईसाई संगठन अपने कैंडीडेट को सपोर्ट करते हैं। सभी समुदाय पॉवर सेंटर में अपना हिस्सा चाहते हैं। आपने अनेक कारकों का एक कॉकटेल तैयार कर दिया है लेकिन आप आखिर में एक समुदाय को बदनाम कर रहे हैं।'
न्यूज ब्रॉडकॉस्टर्स एसोसिएशन को बिना दांत का बताया
सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज ब्रॉडकॉस्टर्स एसोसिएशन (NBA) की भी निंदा की। कोर्ट ने एनबीए को बिना दांत की संस्था कहा क्योंकि ये देश में प्रसारित हो रहे न्यूज कार्यक्रमों पर कोई नियंत्रण नहीं रखती है। एनबीए की तरफ से पेश वकील ने कहा कि संगठन सिर्फ अपने मेंबर्स के कामकाज को देखता है। सुदर्शन टीवी एनबीए का सदस्य नहीं है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने एनबीए के वकील से पूछा कि क्या आप टीवी देखते हैं? इस पर वकील ने जवाब दिया- हां। जस्टिस ने पूछा कि क्या आप इस पर कंट्रोल कर सकते हैं ? इस पर वकील ने कहा कि इसमें काफी सुधार हुआ है लेकिन कई चैनल हमारे सदस्य नहीं हैं।' कोर्ट ने एनबीए से पूछा है कि वह कैसे इसमें सुधार करेगी ताकि इस पर ठीक से नियंत्रण कर सके। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होनी है।
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