पाकिस्तान-अफगानिस्तान में हजारा समुदाय संकट में, UNHRC की बैठक के दौरान उठा मुद्दा
नई दिल्ली- स्विटजरलैंड के जेनेवा में इन दिनों संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का 43 सत्र आयोजित हो रहा है। इसी दौरान हजारा समुदाय से जुड़ी एक मानवाधिकार कार्यकर्ता ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे उत्पीड़न को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तुरंत दखल देने की गुहार लगाई है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक के दौरान हजारा समुदाय से जुड़ी एक मानवाधिकार कार्यकर्ता कुर्बान अली ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हजारा अल्पसंख्यकों पर तालिबान, आईएसआईआएस के आतंकी हमलों और दूसरे सुन्नी आतंकी संगठनों की ओर से होने वाले हमलों को लेकर चिंता जताई है। कुर्बान इली मूल रूप से मध्य अफगानिस्तान के पहाड़ी क्षेत्र हजाराजाट इलाके की रहने वाली हैं। उन्होंने पिछले 6 मार्च को काबुल में हजारा को निशाना बनाकर किए गए हमले की निंदा की है, जिसमें 32 लोग मारे गए थे और दर्जनों लोग जख्मी हो गए।
कुर्बान अली ने कहा है कि हजारा समुदाय का धार्मिक आधार पर इसलिए उत्पीड़न किया जा रहा है या उनके साथ भेदभाव और उनका नरसंहार हो रहा है, क्योंकि वे शिया हैं। पाकिस्तान में तो हजारा लोगों को क्वेटा के खुले जेल में रखा जा रहा है, जहां उनकी कोई सुरक्षा का इंतजाम तक नहीं है।
Derakhshan Qurban Ali, a human rights activist in Geneva: There is also Taliban in Pakistan, but in Pakistan there are Sunni extremist groups that target Hazaras because they are Shia. Hazaras are essentially living in open jail in Quetta, Pakistan & don’t have security. (2/2) https://t.co/OvZR78UdGE
— ANI (@ANI) March 8, 2020
कुर्बान अली अभी कनाडा के टोरंटो में रहती हैं। उन्होंने पाकिस्तान में हजारा लोगों को निशाना बनाए जाने को लेकर कहा है कि वहां का कारण अफगानिस्तान से थोड़ा अलग है लेकिन मिलता-जुलता है। उनके मुताबिक, 'बेशक पाकिस्तान में भी एक तालिबान है, लेकिन कई सारे सुन्नी उग्रवादी संगठन हैं, जो हजारा को इसलिए टारगेट करते हैं क्योंकि वे शिया हैं।' उन्होंने कहा कि , 'हालात बिल्कुल नहीं सुधर रहे हैं। हजारा लोगों को पाकिस्तान के क्वेटा में एक खुले जेल में जानबूझकर रखा जाता है, और उनकी सुरक्षा भी नहीं है। '
कुर्बान अली शिया नेता अब्दुल अली मजारी की याद में आयोजित कार्यक्रम में बोल रही थीं, जिनका हत्या 1995 में तालिबान ने कर दी थी। इस कार्यक्रम में अफगानिस्तान के कई बड़े नेता भी शामिल हुए। अली ने कहा कि वह पिछले साल भी ये मुद्दा उठा चुकी हैं।
उन्होंने पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हजारा समुदाय के साथ होने वाले अन्याय की जांच के लिए स्वतंत्रत जांच बिठाने की मांग की। उन्होनें कहा है, 'मुख्य बात ये है कि हजारा लोगों को न्याय नहीं मिलता। हजारा लोगों को निशाना बनाने के आरोपियों में से एक को भी कभी सजा नहीं मिली। नरसंहार या मानवाधिकार के उल्लंघन के लिए कभी भी किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया।'