क्या दिल्ली में धरती की बेचैनी को समझ गए हैं केजरीवाल?, जानिए कभी EVM, कभी EC के मायने?
बेंगुलुरू। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के परिणाम 11 फरवरी यानी कल आने वाले हैं, लेकिन 8 फरवरी को हुए मतदान के बाद दिल्ली के निवर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरावाल चुनाव परिणाों के लेकर अभी आश्वस्त नहीं नज़र आ रहे हैं। उनकी यह बैचेनी तब है जब आधा दर्जन से अधिक एग्जिट पोलों में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने का दावा कर दिया गया है।
क्या केजरीवाल को दिल्ली में हार का डर सता रहा है, यह सवाल इसलिए भी गंभीर हो जाते हैं, क्योंकि बहुत कम बार देखा और सुना गया है कि एग्जिट पोल में आगे दिखाई जा रही पार्टी मातम और विलाप कर रही हो। दिल्ली में हार की आंशका के बादल सिर्फ केजरीवाल के मस्तिष्क में ही नहीं उमड़ रहे हैं, कमोबेश यह बादल पूरी आम आदमी पार्टी पर भी घुमड़ रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि केजरीवाल को हार का डर सता रहा हैं और केजरीवाल एंड पार्टी ने ईवीएम और दिल्ली चुनाव आयोग को कठघरे में भी खड़ा कर दिया, तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व यूपी के सीएम अखिलेश यादव केजरीवाल की हौसलाआफजाई करने के लिए नतीजों की भी परवाह नहीं की है।
हैरानी की बात यह है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बाकायदा ट्वीट करके अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में जीत के लिए बधाई दी है। यही नहीं, केजरीवाल की जीत की पटकथा लिखने में लगी कांग्रेस ने अपने पत्ते खोलते हुए कह दिया कि दिल्ली में केजरीवाल की जीत विकास की जीत है।
लेकिन केजरीवाल की बौखलाहट खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। केजरीवाल की बौखलाहट का कारण है दिल्ली विधानसभा चुनाव में आखिर में पड़े 31.5% वोट, क्योंकि ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इसी 31.5 फीसदी वोट केजरीवाल के डर का मुख्य कारण है। केजरीवाल को आखिर में पड़े ताबड़तोड़ वोटों में अपनी हार दिख रही है।
यह केजरीवाल का डर भी हो सकता है, लेकिन कही न कहीं यह डर पूरी आम आदमी पार्टी के नेताओं में भी साफ-साफ देखी जा सकती है। आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी संकेतों के जरिए कह रहे हैं कि आखिरी के वोटों ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार की पटकथा लिख दी है?
गौरतलब है सारे एग्जिट पोल फेवर में आने के बावजूद अरविंद केजरीवाल को हार का डर सताना आश्चर्य करता है। केजरीवाल को हार का डर सता रहा है, यही कारण है कि केजरीवाल एंड पार्टी ही नहीं, उनके सहयोगियों ने बिना समय गंवाए चुनाव आयोग और भाजपा पर ईवीम हैकिंग का ताबड़तोड़ आरोप लगाने से नहीं चूके।
चुनावी इतिहास में यह पहली बार कि जिसके फेवर में एग्जिट पोल है, वह डरा हुआ है, और EVM हैकिंग का मंत्र जप रहा है। इस दौरान आम आदमी पार्टी द्वारा चुनाव आयोग द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव में पड़े वोट फीसदी में धांधली का भी आरोप लगा दिया, जिसके बाद चुनाव आयोग का सामने आना पड़ा और केजरीवाल एंड पार्टी को आश्वस्त करना पड़ा।
Absolutely shocking. What is EC doing? Why are they not releasing poll turnout figures, several hours after polling? https://t.co/ko1m5YqlSx
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 9, 2020
एग्जिट पोल के लिए जुटाए गए आंकड़े दोपहर 2 बजे से 3 बजे के हैं?
माना जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में एग्जिट पोल के लिए जुटाए गए आंकड़े दोपहर 2 बजे से 3 बजे के हैं, लेकिन दिल्ली में सुबह 7 बजे से 3 बजे तक सुस्त रफ्तार में वोटिंग हुई थी और उस वक्त तक महज 31 फीसदी वोटिंग हुई थी। चूंकि 3 से 6 बजे के बीजे दिल्ली में सबसे ज्यादा वोटिंग हुई है इसलिए केजरीवाल की जान वहां अटकी हुई है। इसलिए सभी एग्जिट पोलों द्वारा आम आदमी पार्टी की विजयगाधा लिख दिए जाने के बावजूद केजरीवाल बेचैन हैं। कही न कहीं केजरीवाल को लगता है कि 3 से 6 के बीज हुई वोटिंग आम आदमी पार्टी के पक्ष में नहीं गई है, जिसके नमूने एग्जिट पोल में नहीं लिए गए हैं।
दिल्ली में दोपहर 3 से रात 8 बजे के बीच हुई वोटिंग ताबड़तोड़ हुई
दिल्ली में 3 बजे के बाद शुरू हुई वोटिंग ताबड़तोड़ हुई थी और रात करीब 8 बजे तक लोगों ने लाइन में खड़े होकर वोटिंग की है, जिसके बाद वोटिंग का प्रतिशत बढ़कर 62 फीसदी से अधिक पहुंच गया। 3 से 8 बजे के बीच हुई लगभग 5 घंटे की वोटिंग में ही दिल्ली में 32 फीसदी वोटिंग हुई जबकि सुबह 7 बजे से 3 बजे के बीच लगभग 8 घंटे की वोटिंग में 31 फीसदी वोटिंग हुई।
एग्जिट पोल में दोपहर 3 से रात 8 बजे के बीच के नमूने को इग्नोर किया गया
निः संदेह 3 बजे से 8 बजे के बीच हुई किसी भी दल के पक्ष में की गई एकतरफा वोटिंग चुनाव जिताने के लिए काफी हैं। चूंकि एग्जिट पोल में शाम 3 से रात 8 बजे के बीच के नमूने को इग्नोर किया है इसलिए केजरीवाल बेचैन हैं और 11 फरवरी को आने वाले अंतिम नतीजे अगर आम आदमी पार्टी के पक्ष में नहीं गए तो एक नया तमाशा दिल्ली में देखने को मिल सकता है।
सुबह 7 बजे से 3 बजे तक हुई वोटिंग में केजरीवाल की मीटर
सुबह 7 बजे से 3 बजे तक हुए सुस्त वोटिंग में केजरीवाल की मीटर ऊपर था, यह दिल्ली विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल के नतीजे मेल भी खाते हैं। केजरीवाल के पक्ष में सबसे अधिक वोट मुस्लिम इलाकों में पड़ा है, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि दिल्ली के महज 12-15 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटों को वर्चस्व है जबकि गैर-मुस्लिम वर्चस्व वाले शेष विधानसभाओं में बीजेपी को भी वोट मिले हैं।
20 फीसदी भी बीजेपी के पक्ष पड़ गया तो बिगड़ जाएगा AAP का खेल
अगर सुबह 7 बजे से 3 बजे के बीच पड़े करीब 31 फीसदी वोट के नमूने के आधार पर सभी एग्जिट पोल बीजेपी को 2-23 सीट दे रहें हैं तो आखिरी के करीब 32 फीसदी में अगर 20 फीसदी भी बीजेपी के पक्ष पड़ गया होगा तो केजरीवाल का खेल बिगड़ सकता है। शायद इसका आभास केजरीवाल को भी है।
इस चुनाव वर्ष 2013 और 2015 चुनाव की तुलना में कमजोर दिखी AAP
वर्ष 2013 और 2015 चुनाव की तुलना में संगठनात्मक दृष्टि से इस बार आम आदमी पार्टी कमजोर दिखी है। बूथ लेबल पर आम आदमी पार्टी ने काम बिल्कुल नहीं किया, क्योंकि केजरीवाल को अपनी जीत पर पूरा भरोसा हो गया था। यही कारण था कि मतदान के दिन मतदान केंद्रों के बाहर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश नदारद दिखा और उनके टेबलों पर मक्खियां भिनभिनाती हुईं दिखीं जबकि बीजेपी के कार्यकर्ता घरों से लोगों को निकाल-निकाल कर वोट करवा रहे थे। यही नहीं, इस बार आम आदमी पार्टी को कार्यकर्ता भी कम मिले, जिसके चलते उन्हें बाहर से मैनफोर्स हायर करने पड़ गए। इसके कईयों उदाहरण चुनाव कैंपेन में मिल चुके हैं।
11 फरवरी को दोपहर बाद ही स्पष्ट होंगे दिल्ली चुनाव के अंतिम नतीजे
चुनाव नतीजे 11 फरवरी सुबह 6 बजे से आने शुरू हो जाएंगे, लेकिन दिल्ली की सुस्त रफ्तार वाली वोटिंग ट्रेंड के चलते सुबह -सुबह आए ट्रेंड पर नतीजे की कल्पना बेमानी साबित हो सकती है, क्योंकि शाम 3 बजे से रात 8 बजे तक पड़े वोट ही नतीजों की पटकथा लिखेंगे। बाजी बीजेपी के हाथ आएगी या केजरीवाल एक बार हैट्रिक लगाएंगे, इसका पता मतगणना वाले दिन दोपहर बाद ही स्पष्ट हो सकेंगे। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत बड़े-बड़े नेताओं के बयानों के आधार पर कहा जा सकता है कि दिल्ली के चुनावी नजीते चौंकाऊं आएंगे।
नतीजे एग्जिट पोल से इतर आए तो 11 फरवरी को कोहराम मचना तय है
यही वजह है कि AAP नेता संजय सिंह, मनीष सिसोदिया और प्रशांत किशोर ने अभी से ही EVM हैकिंग का राग छेड़ना शुरू कर दिया है और अगर ऐसा होता है तो दो राय नहीं कि केजरीवाल एंड पार्टी अपनी हार के लिएर ईवीएम पर ठीकरा फोड़ने से नहीं कतराएंगे। इसीलिए माना जा रहा है कि अगर नतीजे एग्जिट पोल से इतर और चौंकाऊ आ गए तो 11 फरवरी को कोहराम मचना तय है। केजरीवाल ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाकर 8 तारीख को ही अपनी मंशा जाहिर कर दी है। इसी क्रम में संजय सिह ने उस ईवीएम का वीडियो वायरल करके हंगामा मचाया, जिसे चुनाव आयोग रिजर्व करार दिया है।
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने 46 सीट जीतने का दावा किया है
चुनाव आयोग पर ईवीएम घोटाला करने का आरोप लगाने वाली केजरीवाल एंड पार्टी चुनाव आयोग के बयान के बाद भले ही शांत हो गई है, लेकिन 11 फरवरी को अंतिम नतीजे अगर आम आदमी पार्टी के पक्ष में नहीं आए तो दिल्ली को एक और धरने और प्रदर्शन के लिए तैयार रहना होगा, जो पहले से ही शाहीन बाग जैसे धरने से हलकान है, क्योंकि बीजेपी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने बीजेपी के 46 सीट जीतने का दावा किया है।