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हाथरस मामला: केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को लेकर SC में चौंकाने वाला दावा, जानिए क्या हुआ ?

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नई दिल्ली: हाथरस मामले को कवर करने केरल से यूपी जा रहे गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को लेकर यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आज बहुत बड़ा दावा किया है। यूपी सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने कप्पन के बारे में कहा है कि जांच में उनको लेकर 'चौंकाने वाले नतीजे ' सामने आए हैं। गौरतलब है कि केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया था, जब वह यूपी के हाथरस में एक दलित युवती के साथ कथित गैंग रेप और उसके बाद हुई उसकी मौत के बाद मचे बवाल को कवर करने के लिए वहां जा रहे थे। गौरतलब है कि उसके बाद से यूपी सरकार कई पत्रकार और बुद्धीजीवी संगठनों के निशाने पर है और उनकी रिहाई की मांग चल रही है।

सिद्दीकी कप्पन के 'पत्रकार' होने पर चौंकाने वाला दावा

सिद्दीकी कप्पन के 'पत्रकार' होने पर चौंकाने वाला दावा

उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच के सामने कहा है कि सिद्दीकी कप्पन ने दावा किया था कि वह केरल के एक अखबार में बतौर पत्रकार काम करते हैं, लेकिन वह अखबार दो साल पहले ही बंद हो गया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा है कि, 'अबतक की जांच में कुछ चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं।' इस बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यिन भी शामिल हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट कप्पन की गिरफ्तारी पर सवाल उठाने वाली केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट की याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

कप्पन का अखबार दो साल पहले बंद हो चुका है- यूपी सरकार

कप्पन का अखबार दो साल पहले बंद हो चुका है- यूपी सरकार

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने हाल ही एक हलफनामा दायर करके यह भी दावा किया था कि कप्पन 'पत्रकारिता की आड़' में जाति विभाजन और कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ने के लिए 'बहुत ही निर्धारित डिजाइन' के तहत हाथरस जा रहे थे। राज्य सरकार ने दावा किया है कि कप्पन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के ऑफिस सेक्रेटरी हैं और पत्रकार दिखाने के लिए उस पहचान पत्र का इस्तेमाल कर रहे थे, जो अखबार 2018 में ही बंद चुका था। गौरतलब है कि अपने जवाबी हलफनामे में याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से सर्वोच्च अदालत के रिटायर जज से उनके कथित रूप से 'गैरकानूनी गिरफ्तारी' की जांच कराने की मांग की थी। यही नहीं याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया है कि कप्पन पीएफआई के ऑफिस सचिव हैं, यूपी पुलिस का यह दावा 'पूरी तरह से गलत और असत्य बयान' है और वह तो सिर्फ पत्रकार हैं। यही नहीं याचिकाकर्ता ने यूपी सरकार पर उनकी गलत तरीके से गिरफ्तारी को छिपाने के लिए तथ्यों को गलत ढंग से पेश करने के भी आरोप लगाए हैं।

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अगले हफ्ते होगी सुनवाई

अगले हफ्ते होगी सुनवाई

इस बीच अदालत ने याचिककर्ता से पूछा है कि क्या वह इस मामले में हाई कोर्ट में जाना चाहेंगे। इसपर याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में ही इसकी सुनवाई चाहते हैं और इसमें कप्पन की पत्नी और दूसरों की याचिकाओं को भी शामिल कराना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि, 'इसी केस में हाई कोर्ट ने बन्दी प्रत्यक्षीकरण की याचिका पर एक महीने का समय दिया है और मैं यहां बहस करना चाहता हूं।' उन्होंने कहा कि, 'मुझे अंतिम रूप से यहीं पर सुना जाए।' इस पर तुषार मेहता ने कहा कि वकील कप्पन से मिल चुके हैं और तर्क दिया कि यहां पर आरोपी इस मामले में पार्टी नहीं हैं। इसपर सिब्बल ने पत्रकार अर्णब गोस्वामी के केस का हवाला दिया, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट से आत्महत्या के लिए उकसाने के एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी है। इस पर अदालत ने कहा कि 'हर केस अलग होता है।' बेंच ने यह भी कहा कि, 'आप एक भी उदाहरण दीजिए जहां कोई संस्था राहत मांगने के लिए अदालत में पहुंची हो।' अदालत ने साफ किया कि वह इस मामले में कानून के हिसाब से सुनवाई करेगा और इसे हाई कोर्ट में ही सुना जाना चाहिए। इस मामले में अगले हफ्ते सुनवाई होगी। उधर राज्य सरकार ने अदालत से कहा है कि वह केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करेगा।

यूएपीए और आईपीसी की विभन्न धाराओं की तहत हुई है गिरफ्तारी

यूएपीए और आईपीसी की विभन्न धाराओं की तहत हुई है गिरफ्तारी

गौरतलब है कि सिद्दीकी कप्पन की ओर से दावा किया जाता रहा है कि वह अपने एम्पलॉयर से इजाजत लेकर पत्रकारिता करने के लिए 5 अक्टूबर को हाथरस जा रहे थे। लेकिन, उन्हें रास्ते में ही गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने कहा था कि उसने मथुरा में पीएफआई से कथित संबंधित होने की वजह से चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें मालाप्पुरम से सिद्दीकी, मुजफ्फरनगर के अतीक-उर-रहमान, बहराइच के मसूद अहमद और रामपुर का आलम शामिल है। इन आरोपियों पर आईपीएसी की विभिन्न धाराओं और यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। पीएफआई पर पहले सीएएम विरोधी आंदोलन के लिए फंडिंग करने के भी आरोप लग चुके हैं।

हाथरस कांड पर खूब हो चुकी है राजनीति

हाथरस कांड पर खूब हो चुकी है राजनीति

गौरतलब है कि पिछले 14 सितंबर को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के एक गांव में 19 साल की एक दलित युवती के साथ कथित तौर पर गांव के ही कुछ आरोपियों ने कथित तौर पर गैंग रेप किया था, जिसके कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो गई थी। लेकिन, जिला प्रसासन और पुलिस वालों ने कथित रूप से उसके परिजनों की सहमति के बिना ही देर रात में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था, जिसके बाद यह घटना देशभर में चर्चित हो गई थी और हाथरस राजनीति का अखाड़ा बन गया था।

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English summary
Hathras: Shocking claim in Kerala SC over Siddiqui Kappan, know what happened?
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