हाशिमपुरा नरंसहार: कोर्ट ने यूपी के 16 पूर्व पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया, उम्रकैद की सजा सुनाई
नई दिल्ली। 1987 के हाशिपुरा नरसंहार मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस के 17 पुलिसकर्मियों को इस मामले में दोषी ठहराया है। कोर्ट ने सभी दोषी पुलिसकर्मियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस नरसंहार में अल्पसंख्यक समुदाय के 42 लोगों को निशाना बनाकर मौत के घाट उतारा गया था। पीड़ित परिवारों को इंसाफ के लिए 31 वर्ष का लंबा इंतजार करना पड़ा है, ऐसे में आर्थिक मदद से से इस क्षति को कम नहीं किया जा सकता है।
पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमे ट्रायल कोर्ट ने पुलिसकर्मियों को दोषी नहीं माना था। सरकार ने अपनी अपील में कहा था कि ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान काफी कमियां थी। 21 मार्च को कोर्ट ने 16 पुर्व पुलिसकर्मियों को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं है, लिहाजा उन्हें संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जाता है।
जिन पुलिसकर्मियों को इस मामले में बरी किया गया था उनके नाम सुरेश चंद शर्मा, निरंजन ला, कमल सिंह, बुधी सिंह, बसंत बल्लब, कुंवर पाल सिंह, बुधा सिंह, रामबीर सिंह, लीला धर, हमबीर सिंह, मोकम सिंह, शामी उल्लाहा, श्रवण कुमार, जयपाल सिंह, महेश प्रसाद और राम ध्यान थे। इस मामले में अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि 22 मई 1987 को पीएसी के जवान मेरठ के हाशिमपुर गांव में आए थे और उन्होंने 50 मुस्लिम परिवार के लोगों को पकड लिया था। ये लोग मस्जिद के बाहर खड़े हुए थे। इसके बाद उन्हें मौत के घाट उतारकर कुंए में फेंक दिया गया था।
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