क्या कट्टरपंथियों और अलगाववादियों की खौफ से जायरा वसीम ने छोड़ दिया बॉलीवुड?
नई दिल्ली- दंगल गर्ल जायरा वसीम ने जिस तरह से और जिन तर्कों के आधार पर बॉलीवुड को अलविदा कहा है, उसपर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। एक थ्योरी ये भी है कि कहीं उनके इस फैसले के पीछे कट्टरपंथियों और कश्मीरी अलगाववादियों का डर तो नहीं है। क्योंकि, तथ्य ये है कि कश्मीर में उन्हें ये सब पहले भुगतना पड़ चुका है। वो अकेली नहीं हैं, उनसे पहले भी कुछ लड़कियों ने इस्लाम की सामाजिक बेड़ियों को तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें अपनी ख्वाहिशों की उड़ान को कट्टरपंथियों के दबाव में जमीनदोज कर देना पड़ा था।
धर्म का बहाना जंचता नहीं
फिल्म 'दंगल' और 'सीक्रेट सुपरस्टार' की एक्ट्रेस जायरा वसीम ने बॉलीवुड छोड़ने के अपने फैसले के पीछे धर्म के पथ से भटकने की बात को कारण बताया है। 6 पेज के लेटर के माध्यम से अपने फैंस और समर्थकों तक अपनी सफाई पहुंचाने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया है। लेकिन, उनके इस फैसले पर जिस तरह के सवाल उठ रहे हैं, उससे जायरा के फैसले पर संदेह बढ़ना लाजिमी है। हालांकि, ये बात सही है कि अपनी जिंदगी के बारे में कोई भी फैसला उन्हें ही लेना है। लेकिन, इसके लिए जिस तरह से उन्होंने धर्म से दूर होने की बात कही है, वह हजम होना मुश्किल लग रहा है। पूर्व कांग्रेस प्रवक्ता और मौजूदा शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है कि बॉलीवुड में कई मुस्लिम अभिनेत्रियां हुई हैं, जिन्होंने अपनी अदा से न सिर्फ खुद शोहरत कमाई है, बल्कि हिंदी सिनेमा को भी बुलंदियों पर पहुंचाया है। यानी अगर वो बॉलीवुड में रहकर अपना करियर और आगे लेकर जाना चाहतीं, तो भी धर्म कभी उनकी राह में रोड़ा नहीं बन सकता था। या यूं कहें कि अगर उन्होंने सिर्फ इस वजह से इंडस्ट्री छोड़ी है, तो उनके फैसले को सही ठहराना मुश्किल है।
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कट्टरपंथियों और अलगाववादियों का डर?
अब बात मुद्दे की। प्रियंका चतुर्वेदी ने एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने नुसरत जहां के खिलाफ जारी फतवे का हवाला देते हुए जायरा वसीम के फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने के पीछे कश्मीरी अलगाववादियों से मिलने वाली धमकियों की ओर इशारा किया है। प्रियंका की आशंका बहुत ही सटीक है। क्योंकि, इसमें उन्होंने इंडिया टुडे की एक पुरानी रिपोर्ट का भी हवाला दिया है, जिसमें जायरा के कट्टरपंथियों के निशाने पर आने की ढाई साल पुरानी एक रिपोर्ट भी लगाई गई है। प्रियंका ने इस ट्वीट में लिखा है, "जो लोग नुसरत के फतवे से तुलना कर रहे हैं, वो याद रखें कि जायरा जबसे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आई हैं, वो लगातार कश्मीरी हार्ड लाइनर्स के निशाने पर रही हैं।"
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ढाई साल पहले जायरा के साथ क्या हुआ था?
दरअसल, करीब ढाई साल पहले जायरा वसीम ने जम्मू-कश्मीर की तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से मुलाकात की थी, जिसमें उन्होंने दंगल गर्ल की काफी सराहना की थी।। जब राज्य सरकार की ओर से इसकी जानकारी सार्वजनिक की गई, तो जायरा और उनके परिवार वाले कट्टरपंथियों के उत्पीड़न का शिकार बनने लगे। अंत में हालात ऐसे बन गए कि जायरा को राज्य की मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए माफीनामा तक जारी करना पड़ा। ये आलम तब का है, जब कश्मीर में पीडीपी की अगुवाई वाली सरकार थी। अब राज्य में माहौल बदला है, इसलिए कट्टरपंथी या अलगाववादी भले ही खुलकर धमकियां देने की जुर्रत नहीं कर पा रहे हों, लेकिन जिस तरह से जायरा ने अचानक फिल्मों से किनारा किया है, उससे संदेहों को बल मिलना स्वाभाविक है।
कश्मीर की 3 लड़कियों के साथ क्या हुआ था?
जायरा से पहले कश्मीर में तीन लड़कियों के एक रॉक बैंड ने काफी धमाल मचाया था। दिसंबर, 2012 में श्रीनगर में उनके 'प्रगाश' बैंड का एक परफॉर्मेंस कमाल कर गया। इस बैंड को 10वीं की छात्र वोकलिस्ट-गिटारिस्ट नोमा नजीर, ड्रमर फराह डीबा और गिटारिस्ट अनीका खालिद ने मिलकर बनाया था। अपने पहले ही पब्लिक परफॉर्मेंस में उन्होंने बेस्ट परफॉर्मर का अवॉर्ड जीत लिया। लेकिन, इसके बाद तीनों लड़कियों को धमकियां मिलनी शुरू हो गईं। उनके बैंड के खिलाफ एक सरकार समर्थित मौलाना ने फतवा जारी कर दिया। जमात-ए-इस्लामी ने भी इसे शरियत के खिलाफ बताकर आग उगलना शुरू कर दिया। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने भी तीनों बच्चियों पर वेस्टर्न कल्चर को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। इस तरह की धमकियों से डर कर उन लड़कियों को अपना बैंड ही बंद कर देना पड़ा और उन्होंने सदा के लिए अपने म्यूजिक करियर को अलविदा कह दिया। इसीलिए जायरा वसीम का ये फैसला कश्मीर की उन तीन होनहार लड़कियों की ही याद दिला रहा है।
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