क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

क्या एनपीआर पर मोदी सरकार ने अपना स्टैंड बदल दिया है?

"आप क्रोनोलॉजी समझ लीजिए. पहले सीएबी आने जा रहा है. सीएबी आने की बाद एनआरसी आएगा और एनआरसी केवल बंगाल के लिए नहीं आएगा. पूरे देश के लिए आएगा. घुसपैठिए पूरे देश की समस्या हैं. बंगाल चूंकि बॉडर स्टेट है तो वहां की गंभीर समस्या है लेकिन पूरे देश की समस्या है. पहले सीएबी आएगा. सारे शरणार्थियों को नागरिकता दिया जाएगा." 

By टीम बीबीसी हिन्दी दिल्ली
Google Oneindia News

अमित शाह और नरेन्द्र मोदी
Getty Images
अमित शाह और नरेन्द्र मोदी

अमित शाह का सीएए पर दिया बयान याद है न.

"आप क्रोनोलॉजी समझ लीजिए. पहले सीएबी आने जा रहा है. सीएबी आने की बाद एनआरसी आएगा और एनआरसी केवल बंगाल के लिए नहीं आएगा. पूरे देश के लिए आएगा. घुसपैठिए पूरे देश की समस्या हैं. बंगाल चूंकि बॉडर स्टेट है तो वहां की गंभीर समस्या है लेकिन पूरे देश की समस्या है. पहले सीएबी आएगा. सारे शरणार्थियों को नागरिकता दिया जाएगा."

और अब ज़रा याद कीजिए 18 दिसंबर 2019 को प्रमुख हिंदी अखबारों में दिए इस सरकारी विज्ञापन को. सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून पर अफ़वाह और सच के भ्रम को दूर करने के लिए ये छापा गया था.

विज्ञापन में अफ़वाह की श्रेणी में लिखा गया - ऐसे दस्तावेज़ जिनसे नागरिकता प्रमाणित होती हो, उन्हें अभी से जुटाने होंगे अन्यथा लोगों को निर्वासित कर दिया जाएगा.

और सच की श्रेणी में लिखा गया - ये ग़लत है. किसी राष्ट्रव्यापी एनआरसी की घोषणा नहीं की गई है. अगर कभी इसकी घोषणा की जाती है तो ऐसी स्थिति में नियम और निर्देश ऐसे बनाए जाएंगे ताकि किसी भी भारतीय नागरिक को परेशानी न हो.

NEWSPAPER CLIP

सीएए के मुद्दे पर सरकार में चल रहे कंफ्यूजन का ये बेहतरीन उदाहरण था. ऐसा ही कंफ्यूजन नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी एनपीआर पर भी देखने को मिल रहा है.

ताज़ा उदाहरण है सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का बयान.

बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद हुए प्रेस कॉन्फ़्रेंस में जावड़ेकर से एनपीआर में माता-पिता के जन्म स्थान/ जन्म तिथि पर ये सवाल पूछा गया - "क्या सरकार ने एनपीआर फॉर्म में माता-पिता के जन्म स्थान/ जन्म तिथि को ड्रॉप कर दिया है?"

इस पर उन्होंने कहा, "जिस कैबिनेट की बैठक में एनपीआर पर चर्चा हुई थी, उस बैठक के बाद मैंने ख़ुद आपको ब्रीफ किया था. मैंने उस दिन भी साफ किया था कि एनपीआर फॉर्म में कुछ सवाल ऑप्शनल होंगे. ऑप्शनल सवालों का जवाब आपको याद हो तो दीजिएगा. जवाब अगर याद नहीं तो आप नहीं दीजिएगा. माता-पिता के जन्म स्थान या जन्म तिथि अगर आपको नहीं मालूम तो मत दीजिए."

इस जवाब पर दोबारा से पत्रकार ने सवाल किया, " तो क्या एनपीआर फॉर्म से ये सवाल ही ड्रॉप कर दिया गया है?"

इस पर उन्होंने कहा, "नहीं, ऐसा नहीं है. जवाब नहीं देंगे तो सवाल ड्रॉप ही माना जाएगा न."

इसके पहले की वो आगे इस पर और विस्तार से बोलते, उन्होंने अपने जवाब में ही एक सवाल जोड़ दिया, "पहले आप ये बताइए. एनपीआर कौन लाया? कांग्रेस ने. कब लाया? 2010 में. तब आप लोगों ने स्वागत किया. ऐसा न्याय तो नहीं हो सकता कि वो लाएँ तो अच्छा है और हम लाएँ तो बुरा है."

जावड़ेकर के इस बयान के बाद से ही इस पर चर्चा शुरू हो गई कि क्या एनपीआर पर केन्द्र सरकार ने अपना स्टैंड बदल दिया है?

वैसे एनपीआर पर कंफ्यूजन की शुरुआत रामविलास पासवान के बयान से हुई. रामविलास पासवान केन्द्र सरकार में मंत्री भी हैं और सरकार में सहयोगी पार्टी भी.

राम विलास पासवान और प्रकाश जावड़ेकर
Getty Images
राम विलास पासवान और प्रकाश जावड़ेकर

'द हिंदू' अखबार से बातचीत में रामविलास पासवान ने कहा, "मुझे अपने माता-पिता के जन्म की तारीख नहीं पता, तो उससे संबंधित दस्तावेज़ कहां से लाउंगा."

उन्होंने उसी बातचीत में आगे कहा, "सरकार इन सवालों को ड्रॉप करने पर विचार कर सकती है. वैसे भी सरकार ने कहा है कि एनपीआर में हर सवाल से जुड़े दस्तावेज़ देने की ज़रूरत नहीं होगी."

दरअसल एनपीआर फ़ॉर्म में जिन 21 पैमानों पर सवाल पूछे जा रहे हैं उनमें से एक सवाल "माता-पिता के जन्म स्थान/ जन्म तिथि" को लेकर भी है.

TWITTER@PIBHOMEAFFAIRS

एनपीआर का विरोध करने वाले राज्य सरकारों को भी इस सवाल पर सबसे ज़्यादा आपत्ति है. विपक्ष का आरोप है कि जैसे ही इस सवाल के जवाब से पता चलेगा आप कहां से आए हैं या आपको अपने पूर्वजों के बारे में नहीं पता, तो आप एक संदिग्ध कैटेगरी में डाल दिए जाएंगे. यही सवाल विपक्ष की चिंता की जड़ है.

विपक्ष के एनपीआर के विरोध को ताज़ा हवा इस बात से भी मिली है कि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने 9 जनवरी 2020 को केवाईसी फ़ॉर्म के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ में एनपीआर को भी जोड़ दिया गया है.

बैंकों को केवाईसी के लिए जारी दिशा निर्देशों के लिए जनवरी में अपडेट करके एक सर्कुलर भेजा गया है. उसी सर्कुलर में केवाईसी के लिए आधिकारिक ज़रूरी दस्तावेज़ों की सूची में एक दस्तावेज़ एनपीआर को भी माना गया है.

कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए सरकार को इसी मुद्दे पर घेरा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, " जो चीज़ ऑप्शनल हैं उसको लिखते क्यों हो? आपके फॉर्म में ऐसे प्रश्न आते क्यों हैं? आवश्यकता क्यों है ऐसे प्रश्न की? ऑप्शनल के आधार पर भी डाउटफुल करार दिया जा सकता है. आखिर आरबीआई को आज एनपीआर को केवाईसी डाक्यूमेंट में इसे डालने की ज़रूरत क्यों पड़ी है. डर जनता में नहीं सरकार में होना चाहिए. लेकिन आज सरकार से जनता डरी हुई है."

उन्होंने आगे कहा, " दरअसल सीएए, एनआरसी, एनपीआर और उसमें लिखे गए छह नए सवाल और आरबीआई की नई गाइडलाइन - सब मिला कर सरकार, ऐसा कॉकटेल तैयार कर रही है, जिससे डर का माहौल पैदा हो. लेकिन हम भारतीय ज़िद्दी पार्टी हैं. हम इसे नहीं मानते हैं."

नरेन्द्र मोदी और अमित शाह
Getty Images
नरेन्द्र मोदी और अमित शाह

एनपीआर यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर क्या है?

मोदी कैबिनेट ने 24 दिसंबर को 2021 की जनगणना और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी एनपीआर को अपडेट करने की मंज़ूरी दे दी.

जनगणना 2021 में शुरू होगी लेकिन एनपीआर अपटेड का काम असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक चलेगा.

गृह मंत्रालय ने 2021 की जनगणना के लिए 8, 754 करोड़ रुपए और एनपीआर अपडेट करने के लिए 3,941 करोड़ रुपए के ख़र्च के प्रस्ताव को भी मंज़ूरी दी है.

एनपीआर सामान्य रूप से भारत में रहने वालों या यूजुअल रेजिडेंट्स का एक रजिस्टर है. भारत में रहने वालों के लिए एनपीआर के तहत रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. यह भारतीयों के साथ भारत में रहने वाले विदेशी नागरिकों के लिए भी अनिवार्य होगा. एनपीआर का मक़सद देश में रहने वाले लोगों के व्यापक रूप से पहचान से जुड़ा डेटाबेस तैयार करना है.

पहला एनपीआर 2010 में तैयार किया गया और इसे अपडेट करने का काम साल 2015 में घर-घर जाकर सर्वे के ज़रिए किया गया.

अब इसे एक बार फिर से अपडेट करने का काम 2020 में अप्रैल महीने से सितंबर तक 2021 की जनगणना में हाउसलिस्टिंग फ़ेज़ के साथ चलेगा.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Has the Modi government changed its stand on NPR?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X